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एंटी रोमियो स्क्वाड बनाम मॉरल पुलिसिंग

Published: Apr 01, 2017 01:19:00 pm

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आमतौर पर ऐसे इलाके स्कूल, कॉलेज, बाजार व भीड़भाड़ वाले अन्य स्थान होते हैं। केवल उत्तर प्रदेश सरकार ही छेडख़ानी रोक रही हो ऐसा नहीं है।

महिलाओं की सुरक्षा के फैसले का विरोध क्यों?

प्रकाश सिंह

इस बात पर तो इलाहबाद हाईकोर्ट ने ही मुहर लगा दी है कि उत्तर प्रदेश में एंटी रोमियो स्क्वाड गठित करने में कुछ भी गलत नहीं है। जो लोग इसे ‘मोरल पुलिसिंग’ का नाम दे रहे हैं उनको यह भी समझना चाहिए कि किसी भी सरकार की प्राथमिकता महिलाओं की सुरक्षा करना होता है। 
महिलाओं की सुरक्षा और छेड़छाड़ की घटनाओं को रोकने के लिए ऐसे प्रयासों का विरोध क्यों किया जा रहा है, यह बात समझ से परे हैं। हमें इस स्क्वाड के बारे में भी समझना होगा। दो या इससे अधिक पुलिसकर्मियों की यह टीम उन इलाकों में, जहां छेडख़ानी की ज्यादा शिकायतें आती हैं तैनात की जाएगी। 
आमतौर पर ऐसे इलाके स्कूल, कॉलेज, बाजार व भीड़भाड़ वाले अन्य स्थान होते हैं। केवल उत्तर प्रदेश सरकार ही छेडख़ानी रोक रही हो ऐसा नहीं है। सभी प्रदेश अपनी सुविधा के हिसाब से ऐसी टीम गठित करते रहे हैं, इनका नाम जरूर अलग-अलग हो सकता है। 
संवेदनशील इलाकों में ईव टीजिंग की घटनाएं, जातीय हिंसा व साम्प्रदायिकता का रूप भी ले सकती है। इसलिए ऐसे मामलों में तत्परता से कार्रवाई की जरूरत है। हां, इतना जरूर है कि सरकार को इस बात का ध्यान रखना होगा कि कहीं एंटी रोमियो स्क्वाड के नाम पर पुलिस किसी को बेजा परेशान न करें क्योंकि ऐसा हुआ तो सरकार की अच्छी भली मंशा पर सवालिया निशान लगते देर नहीं लगेगी। 
यह देखने में आता है कि कई बार सरकार की ओर से निर्देश जारी होते ही सम्बंधित महकमे का पूरा अमला हरकत में आ जाता है। आना भी चाहिए। लेकिन, किसी भी काम में उत्साह का अतिरेक ठीक नहीं है। जो लोग विरोध कर रहे हैं उनको भी यह डर तो है ही कि कहीं किसी को अनावश्यक रूप से पुलिस कार्यवाही में जलील न होना पड़े। 
उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लम्बे समय से देखते हुए मैं इस बात को अच्छी तरह जानता हूं कि पुलिस के किसी भी अप्रिय कदम से माहौल बिगड़ते देर नहीं लगती। इसलिए ऊपर से नीचे तक इस बात का ध्यान रखना होगा कि सरकार की मंशा के अनुरूप काम हो। 
अपनी मर्जी से साथ घूमने वाले या बैठे बालिग जोड़ों को परेशान न करें। लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर यदि कोई मर्यादा का उल्लंघन करता नजर आए तो उसे बख्शा नहीं जाना चाहिए। सरकार के इस फैसले की सफलता तब ही सुनिश्चित होगी जब बेकसूरों को परेशान करने वाले पुलिसकर्मियों को लेकर भी सरकार सख्त रवैया अपनाए। 
यह रोमियो स्क्वाड सही तरीके से कार्य करे जरूरत के अनुसार इसके लिए उसे प्रशिक्षित भी किया जा सकता है। इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस व्यावस्था की आड़ में रिश्वतखोरी न पनप जाए। कुल मिलाकर इस फैसले को मोरल पुलिसिंग के बजाय सरकार की बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में देखा जाना चाहिए।
पहले पुलिस को अपनी कार्यशैली सुधारनी होगी

बृृंदा करात

उत्तर प्रदेश में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के नाम पर एंटी रोमियो स्क्वाड का गठन किया गया है, वह वास्तव में समाज के साथ मजाक होकर रह गया है। सरकार का ऐसा दृष्टिकोण जानकर ही बहुत अजीब लगता है कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं से छेड़छाड़ की जा रही है और वे इसे चुपचाप सहन करने को मजबूर हैं। 
यह बात तो कोई कहेगा नहीं कि महिलाओं की सुरक्षा की चिंता नहीं करनी चाहिए। लेकिन, यह कहां का न्याय है कि कोई लड़़का-लड़की सहमति से घूमते मिलें तो उन्हें रोककर न केवल बेवजह पूछताछ की जाए बल्कि अपमानित भी किया जाए। 
यहां तक कि सरेआम पिटाई तक कर दी जाए। यह किस जमाने में रह रहे हैं हम? नारी समुदाय की सुरक्षा का ढोल पीटते हुए एंटी रोमियो स्क्वाड बनाने के फैसले को सस्ती लोकप्रियता हासिल करने वाला कदम ही कहा जा सकता है। 
मैं तो यह कहती हूं कि हकीकत में महिला सुरक्षा के नाम पर उत्तर प्रदेश सरकार केवल ढोंग कर रही है। यह ‘मोरल पुलिसिंग’ है जिसको कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता। मेरा मानना है कि यदि सरकार को महिलाओं के लिए कुछ करना ही है तो उसे कानून के दायरे में रहकर ही करना चाहिए।
एंटी रोमियो स्क्वाड के जरिए की जाने वाली पुलिसिया कार्रवाई से केवल थोड़े समय के लिए ऐसी गतिविधियां रुकती हैं। यह कोई स्थाई हल नहीं है। मैं तो इस बात की पक्षधर हूं कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर समय-समय पर जो सिफारिशें की जाती रही हैं, उन पर अमल किया जाना चाहिए। मुझे लगता है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला भी उसी संदर्भ में आया है। 
वह भी इसी ओर इशारा कर रहा है कि दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद बने जस्टिस जे.एस. वर्मा आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर उन पर सख्ती से अमल किया जाए। इस आयोग ने बलात्कार, यौन हमलों, छेड़छाड़ जैसे मामलों पर त्वरित कार्रवाई और मुकदमों के जल्द निपटाने की बात कही है। 
इस आयोग ने पुलिस सुधारों की बात भी की है और कहा गया है कि राज्य सुरक्षा आयोग बनाया जाना चाहिए, जिसका अध्यक्ष मुख्यमंत्री या गृहमंत्री हो। यह सब पुलिस को मामले में राज्य सरकार के हस्तक्षेप से बचाने के उद्देश्य से किया जाना चाहिए। 
उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह जस्टिम वर्मा आयोग की इस तरह की सिफारिशों को लागू करे। कोई अभियान चलाकर लोगोंं में खौफ पैदा करने से ही महिलाएं सुरक्षित नहीं हो जाएंगी। महिलाएं सुरक्षित हों यह तो सभी चाहते हैं लेकिन रोमियो स्क्वाड जैसे अभियान किसी को बेवजह परेशान करने का कारण बन जाए उसे ठीक नहीं कहा जा सकता। 
आज जरूरत पुलिस के कामकाज में सुधार की है न कि आमजन को सुधारने के लिए एंटी रोमियो स्क्वाड बनाकर अभियान चलाने की। 

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