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भावनाओं से खेलता (एंटी) सोशल मीडिया कब खिलवाड़ कर जाएगा पता ही नहीं!

Published: Aug 04, 2019 12:25:49 am

Submitted by:

Giriraj Sharma

भारतीय समाज में भी सोशल मीडिया का सुरूर छाया हुआ है। नई-पुरानी दोनों पीढ़ी पर नशा बराबर चढ़ा है। लोग आगे-पीछे कुछ नहीं सोचते…

Anti-Social Media playing with emotions
सोशल मीडिया में रोजाना हजारों वीडियो वायरल होते हैं। इनमें आधे से ज्यादा पुराने या फेब्रीकेटेड होते हैं। भारतीय समाज में भी सोशल मीडिया का सुरूर छाया हुआ है। नई-पुरानी दोनों पीढ़ी पर नशा बराबर चढ़ा है। लोग आगे-पीछे कुछ नहीं सोचते। वीडियो की सच्चाई कोई नहीं जानना चाहता। कुछेक लोग इसकी पड़ताल करते हैं, लेकिन अफ़सोस, ऐसे लोग बहुत कम हैं। जब वीडियो हंसी-मजाक का हो तो लोग खुश हो जाते हैं। यह स्वाभाविक है, लेकिन सोशल मीडिया पर हजारों भ्रामक वीडियो भी वायरल होते हैं। जो हमारे समाज और संस्कृति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इन वीडियो की सच्चाई पहचान पाना मुश्किल होता है। नतीजतन लोग उन पर विश्वास कर बैठते हैं। भावावेश में कुछ भी गलत कदम उठा लेते हैं। यही वजह है, सोशल मीडियाजनित अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। पुलिस भी चिंतित रहती है। क्योंकि वायरल वीडियो के सोर्स तक पहुंच पाना आसान काम नहीं है। यह पुलिस के लिए भी मुश्किल है। सोशल मीडिया पर अपराधी भी सक्रिय हैं। वे अपना जाल फैलाने से नहीं चूकते। फेसबुक उनका सबसे बड़ा हथियार है। ऐसे और भी कई टूल्स हैं, जिनके जरिये वे किशोर (टीनएजर्स) और बुजुर्गों को अपना शिकार बनाते हैं।
सोशल मीडिया
दिल्ली पुलिस की क्राइम बांच के अनुसार सोशल मीडिया पर पांच तरीके के अपराध सामने आ रहे हैं-

1. वीडियो के जरिये ब्लैकमेलिंग
2. अश्लील कंटेंट के जरिये हरेसमेंट
3. छुट्टियों पर जाने के अपडेट्स देखकर चोरी
4. ऑनलाइन वीडियोज दिखाकर लुभाना और ठगी करना
5. आपराधिक वीडियोज सोशल मीडिया पर डालना – तोडफ़ोड़, मॉब लिंचिंग, मारपीट, गाली-गलौज, धर्म के नाम पर वीडियोज बनाकर पोस्ट करना
सोशल मीडिया के वीडियो इसलिए हैं घातक

रिसर्च फर्म ग्लोबल वेब इंडेक्स ने इस साल की शुरुआत में एक रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट सोशल मीडिया ट्रेंड्स को बताती है। इसमें बताया गया है कि दुनियाभर में जितने लोग सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर हैं, उनमें से 85% फेसबुक पर हैं। हालांकि, इसके रोजाना इस्तेमाल करने वालों की संख्या यानी सक्रिय सदस्य 79% हैं।
कंटेंट (वीडियो या टेक्स्ट) जब ऐसा कुछ पेश करता है जो यूजर्स की भावनाओं पर असर डाले, तब यह तेजी से….
इस मामले में दूसरे नंबर पर यूट्यूब है। सोशल मीडिया पर मौजूद कुल यूजर्स में इसके मेंबर्स की संख्या 79% है, लेकिन इनमें से 86% लोग इस पर वीडियो देखने आते हैं। ग्लोबल वेब इंडेक्स के मुताबिक, फेसबुक मैसेंजर के 72% मेंबर्स हैं, लेकिन इनमें से 55% सक्रिय सदस्य ही इसका इस्तेमाल करते हैं। इस लिस्ट में चौथे नंबर पर वॉट्सऐप है। इसके 66% मेंबर्स हैं। 63% मेंबर्स के साथ इंस्टाग्राम 5वें नंबर पर है।
आशय यह है कि सोशल मीडिया का दायरा बहुत व्यापक है। यहां पर डाला गया कंटेंट (वीडियो या टेक्स्ट) जब ऐसा कुछ पेश करता है जो यूजर्स की भावनाओं पर असर डाले, तब यह तेजी से शेयर होना शुरू हो जाता है। इसे ही वायरल होना कहते हैं। कई बार कुछ निर्धारित ग्रुप्स (समूह) जानबूझ कर ऐसा कंटेंट शेयर करते हैं, जिसका मकसद ही पोस्ट को वायरल करना होता है।
भारत में रोजाना ढाई घंटे सोशल मीडिया का इस्तेमाल

ग्लोबल वेब इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में लोग रोजाना औसतन 2 घंटे 22 मिनट सोशल मीडिया और मैसेजिंग पर बिताते हैं। जबकि 2017 में यह समय 2 घंटे 15 मिनट था। सबसे ज्यादा देर तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल फिलीपींस के लोग करते हैं। यहां के लोग औसतन 4 घंटे 11 मिनट सोशल मीडिया पर बिताते हैं। वहीं, इस मामले में भारतीय 13वें नंबर पर हैं। 2017 में सोशल मीडिया पर भारतीय यूजर्स रोजाना औसतन 2 घंटे 25 मिनट खर्च करते थे। 2018 में यह 5 मिनट बढ़कर ढाई घंटे हो गया। जापान के लोग सिर्फ 39 मिनट सोशल मीडिया पर बिताते हैं, जबकि 2017 में वे 46 मिनट इस पर बिताते थे।
वायरल
माइक्रोसॉफ्ट ने भी किया सर्वे

माइक्रोसॉफ्ट ने दुनिया के 22 देशों में एक सर्वे किया। इसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि 64 फीसदी भारतीयों को फर्जी खबरों का सामना करना पड़ रहा है। वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 57 फीसदी का है। 42 फीसदी ने कहा कि उन्हें फिशिंग जैसी वारदातों से भी जूझना पड़ा है। फर्जी या भ्रामक खबरों के प्रचार-प्रसार में परिवार या दोस्तों की भी अहम भूमिका होती है। ऐसा करने वालों का आंकड़ा 9 फीसदी से बढ़कर 29 फीसदी तक पहुंच गया है।
किशोर और बुजुर्ग हैं टार्गेट

सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा सक्रिय यूजर्स की उम्र 15 से 35 वर्ष है। स्मार्टफोन के बढ़ते दायरे ने बच्चों ही नहीं बल्कि बुजुर्गों पर भी इसकी लत लगा दी है। किशोर (टीनएजर्स ) और बुजुर्ग दो ऐसे ग्रुप हैं, जिन्हें इमोशनल कंटेंट सबसे ज्यादा आकर्षित करता है। किसी कंटेंट को वायरल करने में यह दोनों आयुवर्ग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कई शोध भी इसकी पुष्टि करते हैं। इन उम्र पर हावी इमोशन और पोस्ट की सत्यता के बारे में पुख्ता जानकारी जुटाने के लिए उचित संपंर्कों की कमी के चलते ये आसानी से इन्हें शेयर करते हैं और कंटेंट को वायरल कर देते हैं। साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि ऐसे कंटेंट को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले इन आयुवर्ग को ही निशाना बनाते हैं और अपने मकसद में कामयाब रहते हैं।
सावधानी नहीं देगी परेशानी

अगर आप भी सोशल मीडिया पर अपना दायरा बढ़ाने में लगे हैं। लोगों के हालचाल जानने के लिए समय खर्च करते हैं। तो आपको सावधान रहने की जरूरत है। सोशल मीडिया की सीमा, लाभ और हानि हर चीज का अच्छी तरह से हिसाब लगाएं। खुद को किसी भी परेशानी से बचाने के लिए बस यह तय कर लें कि
1. किसी पोस्ट की सत्यता जांचें बगैर शेयर नहीं करेंगे।
2. किसी अनजान यूजर से दोस्ती, लेन-देन, लाइक-कमेंट, फाइल शेयरिंग नहीं करेंगे।
3. अपने सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड दूसरे को नहीं बताएंगे
4. अपना कंप्यूटर-स्मार्टफोन अनलॉक नहीं छोड़ेगे।
5. कुछ भी पोस्ट करने से पहले इसके प्रभाव समझेंगे।
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