खैर, जहां तक सायबॉर्ग या मशीनी मानव की बात है तो वह ऐसे विचित्र जीव की परिकल्पना है, जो आधा मनुष्य और आधा मशीन होने के साथ प्रत्येक असंभव कार्य कर सकने में समर्थ हो। सायबॉर्ग शब्द ‘सायबरनेटिक ऑर्गेनिज्मÓ से बना है। इसका मतलब आधा मनुष्य और आधा जीव के संदर्भ में लिया जाता है। अब तक मशीनी मानव में जो विकास संभव हो पाया हैं, उसमें चमदागाड़ की आंखों की तरह अंधेरे में देखने वाली रोशनी की चिप डाली गई है। कानों में ऐसी चिपें डाली हैं, जो पराध्वनियों अर्थात अल्ट्रासाउंड को सुनने में सक्षम हैं। मांसपेशियों में कभी न थकने वाली यांत्रिक विशेषताएं समाविष्ट हैं। सायबॉर्ग के हाथ हिटैची की ट्रोली की तरह बने हैं। नवीनतम तकनीक से जुड़े ये प्रयोग फैंटेसी लगते हैं, परंतु वास्तव में ये ऐसे प्रयोग हैं, जो इंसानी शक्ति को शिखर पर पहुंचाएंगें। इस तरह का मानव हॉलीवुड की फिल्मों के साथ हिंदी फिल्मों में भी दिखाई देने लगा है। ‘सुपरमैन’ इसी का रूपांतरण है। ब्रिटेन में इंग्लैंड स्थित यूनिवार्सिटी ऑफ रीडिंग में सायबरनेटिक्स विषय के प्राध्यापक डॉ. केविन वारविक ने दावा किया है कि निकट भविष्य में सायबॉर्ग हमारे साथ कदमताल मिला रहे होंगे।