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आपकी बात : रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार को क्या करना चाहिए ?

Published: Apr 05, 2022 03:33:49 pm

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Patrika Desk

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आईं। पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

employment

आपकी बात : रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार को क्या करना चाहिए ?

व्यावसायिक ज्ञान को बढ़ावा

रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार को कठोर से कठोर कदम उठाने चाहिए। इसके लिए व्यावसायिक ज्ञान को प्राथमिकता देना आवश्यक है। नवाचार के माध्यम से रोजगार के नए मार्ग उन्नत किए जा सकते हैं।
चित्रेश बोहरा, जोधपुर, राजस्थान

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कृषि में रुझान बढ़ाएं

रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार को पुलिस विभाग में बड़ी संख्या में भर्ती करनी चाहिए। इससे कानून-व्यवस्था में भी सुधार होगा। पशुपालन को बढ़ावा देना चाहिए। कृषि उपज का उचित मूल्य मिलने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि युवाओं का कृषि की ओर रुझान बढ़े।
– रणजीत सिंह भाटी, राजाखेड़ी (मंदसौर), मध्यप्रदेश

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ग्रामीण क्षेत्र पर दें ध्यान

रोजगार बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में तकनीक का उपयोग बढ़ाना होगा, ताकि अच्छी फसल से रोजगार का रास्ता खुलेगा। ग्रामीण युवाओं को गांव में ही रोजगार की अच्छी सुविधा मिल जाए तो उन्हें इधर-उधर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। रोजगार के लिए बैंकों से कम ब्याज दर पर ऋण, मत्स्य पालन करने के लिए पर्याप्त सुविधा, महिलाओं को गृह उद्योग या छोटे व्यवसाय के लिए ऋण सुविधा, गांवों को डिजिटल सुविधा से परिपूर्ण करना चाहिए, जिससे स्वरोजगार को बढ़ावा मिले।
सरिता प्रसाद, पटना, बिहार

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शिक्षा प्रणाली में सुधार

वर्तमान शिक्षा प्रणाली में स्कूल या कॉलेज स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा सहित अन्य रोजगारपरक विषयों को कोई विशेष स्थान नहीं दिया गया है। लघु व कुटीर उद्योग व्यापक रूप से बेरोजगारी की समस्या को दूर कर सकते हैं, किन्तु वर्तमान में अपनी शिक्षा पूर्ण कर लेने के बाद युवा इस स्थिति में नहीं होता है कि वह समझ सके कि उसे क्या करना है और कैसे करना है। अत: स्कूली स्तर से ही रोजगारपरक विषयों को पाठ्यक्रम में विशेष स्थान दिया जाए, जिससे युवा केवल सरकारी नौकरियों पर निर्भर नहीं रहे।
– एकांश निंबालकर, भोपाल, मध्यप्रदेश

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लघु उद्योग एवं स्वरोजगार को प्रोत्साहन

सरकारों को रोजगार बढ़ाने के लिए रोजगारोन्मुखी शिक्षा को बढ़ावा देना होगा और लघु एवं घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने का प्रयास करना होगा। लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति की बदौलत हर साल जो हजारों वाइट कॉलर जॉब चाहने वाले तैयार हो रहे हैं, उनको अपना व्यवसाय करने के लिए प्रोत्साहित और सहयोग करना होगा।
– कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर (चूरू), राजस्थान

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उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं को मिलें बढ़ावा

वर्तमान में देश महामारी से रिकवर कर रहा है। इस बीच नौकरियों को समर्थन और नए रोजगार पैदा करने के लिए बजट इंसेंटिव में नौकरी को एक कंपोनेंट के तौर पर जोडऩा चाहिए। ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्रों को पीएलआइ स्कीमों के दायरे में लाया जाना चाहिए। इससे इन क्षेत्रों में निवेश को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। आने वाला युग एक तकनीकी युग है, जिसके कारण कंपनियों में स्थाई नौकरियां बहुत कम होंगी। सेवाओं के व्यक्तिगत स्तर पर उत्पादन एवं खपत में भारी वृद्धि होगी। इन समस्याओं के समाधान के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं को बढ़ावा मिलना चाहिए। नए स्टार्टअप्स के माध्यम से रोजगार सर्जन को भी बढ़ावा मिलना चाहिए।
डॉ. अजिता शर्मा, उदयपुर, राजस्थान

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नवाचार की जरूरत

रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार लाने चाहिए क्योंकि हमारे देश के कई युवाओं की शिक्षा योग्यता निम्न स्तर की है। साथ ही, सरकार को मुफ्त के वादों की जगह युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाना चाहिए।
– शुभम वैष्णव, सवाईमाधोपुर, राजस्थान

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कौशल मेले व नियमित भर्ती हों

रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार को चाहिए कि वह नौकरी का मोह छुड़वाने के लिए अधिकाधिक कौशल मेलों का आयोजन कर स्वयं के व्यवसाय, कार्य कुशलता, घरेलू उद्योग-धंधे, इलेक्ट्रॉनिक व मशीनरी आदि के कार्यों में दक्ष करने के लिए विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन कर उनकी ओर आकर्षित करने के लिए उपहार, भोजन व कुछ मानदेय की व्यवस्था करें। साथ ही, नियमित भर्ती, कोर्ट के चक्कर से मुक्ति संग पेपर लीक प्रकरण आदि पर भी नजर रखनी होगी।
– छगनलाल व्यास, खंडप (बाड़मेर), राजस्थान

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स्वदेशी अपनाएं

रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए दूरगामी योजनाएं बनानी होंगी। शहरों व गांवों मे लघु व कुटीर उद्योग लगाने चाहिए। ‘स्वदेशी अपनाएं’ की नीति को प्राथमिकता देनी होगी। विदेशी वस्तु का मोह त्याग कर अगर देशवासी स्वदेशी अपनाएंगे तो हमारे उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा व रोजगार भी बढ़ जाएंगे।
– लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़, राजस्थान

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स्वदेशी निर्माण प्राथमिकता हो

इन दिनों लोगों ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर स्वदेशी निर्मित वस्तुओं का उपयोग शुरू किया है, वह सराहनीय है। वैसे तो स्व-निर्माण के तरीके अपनाने से लोगों को घर बैठे काम मिलने लगा है परंतु स्व-निर्मित चीजों के उत्पादन के लिए, छोटे उद्योगों को और अधिक बढ़ावा देकर बेरोजगारी को कम किया जा सकता है। महामारी की मार से अर्थव्यवस्था के चरमराने के साथ, लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं हैं। ऐसे में सरकार को ‘कम लागत: कम कीमतों’ के सामान गृह उद्योगों के मार्फत तैयार करवाने को प्रोत्साहन दे कर, इन माध्यमों मे रोजगार के अनेक अवसर पैदा करने के प्रयास सतत जारी रखने होंगे।
– नरेश कानूनगो, देवास, म.प्र.

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