पिछले तीन युद्धों में पाकिस्तान का क्या हश्र हुआ, दुनिया जानती है। सन् 1965 व 1971 के युद्ध में तो मियांदाद बच्चे रहे होंगे, सो उन्हें पाकिस्तान की पिटाई याद नहीं होगी लेकिन वे इतिहास के पन्नों को तो पलट ही सकते हैं।
भारत की कमजोरी सिर्फ एक ही है कि वह अपने पड़ोसियों के साथ शांति के साथ रहना चाहता है। बेवजह तनाव की बजाए देश को प्रगति के रास्ते पर ले जाना चाहता है। आजादी के बाद से 69 सालों में उसने ऐसा करके भी दिखाया है।
भारत और पाकिस्तान एक ही साथ आजाद हुए थे लेकिन दोनों देशों की हालत सबको पता है। शिक्षा हो, स्वास्थ्य सेवाएं हों अथवा प्रति व्यक्ति आय, पाकिस्तान भारत के मुकाबले कहीं ठहरता ही नहीं। दूसरे देशों से मिलने वाली मदद के सहारे अपनी गाड़ी खींचने वाला पाकिस्तान कर्ज में डूबा हुआ ऐसा देश है जिस पर कोई भरोसा करने को तैयार नहीं।
पाकिस्तानी सरकार, सेना और आईएसआई के बीच चलने वाली खींचतान देश को रसातल में पहुंचा चुकी है। बीते 68 साल में से जिस देश की हुकूमत 34 साल तक सेना के कब्जे में रही हो उसके हाल का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।
मियांदाद भारत की चिंता करने की बजाय यदि अपने मुल्क की चिंता करें तो बेहतर होगा। मोदी को भारत के लोग पसंद करते हैं या नापसंद, ये भारत का आंतरिक मामला है। पाकिस्तान के नापाक इरादों को भारत अब सहने को तैयार नहीं है और उसे अब भी सद्बुद्धि नहीं आई तो अल्लाह भी उसे नहीं बचा पाएगा।