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कोरोना से जंग में मजबूत हथियार बनेंगे एप

locationनई दिल्लीPublished: Apr 11, 2020 06:44:54 pm

Submitted by:

Prashant Jha

सरकार का दावा है कि लोगों की लोकेशन और उनके मूवमेंट की जानकारी रखने वाला यह एप ‘प्राइवसी-फर्स्ट’ के सिद्धांत पर बनाया गया है और उपयोगकर्ता का जो भी डाटा यह एप लेता है, वह इन्क्रिप्टिड है।
 

covid-19 arogya setu app

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योगेश कुमार गोयल

कोरोना महामारी से इस समय पूरी दुनिया एक बड़ी जंग लड़ रही है और इसी जंग में मदद के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा ‘आरोग्य सेतु’ नामक एक एप लांच किया गया है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री की अपील के बाद करोड़ों भारतीयों द्वारा इस एप को डाउनलोड किया जा चुका है। इस एप का निर्माण भारत सरकार के आयुष विभाग द्वारा लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए किया गया है तथ एप में कोरोना के लक्षण, बचाव तथा रोकथाम से जुड़ी जानकारियां दी गई हैं। यही कारण है कि कोरोना के खिलाफ प्रभावी ढ़ंग से लड़ाई लड़ने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के सभी जवानों को यह एप इंस्टॉल का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा रेलवे द्वारा अपने करीब 13 लाख कर्मचारियों और मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा शैक्षणिक संस्थाओं से जुड़े सभी लोगों, शिक्षकों तथा छात्रों को भी यह एप डाउनलोड तथा इंस्टॉल करने को कहा गया है।

क्या है ‘आरोग्य सेतु’ एप?

‘आरोग्य सेतु’ एप लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे तथा जोखिम का आकलन करने में मदद करता है। लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने के उद्देश्य से यह एप बनाया गया है। जिस भी व्यक्ति के फोन में यह एप होगा, वह दूसरों के सम्पर्क में कितना रहा है, यह पता लगाने के लिए ब्लूटूथ तकनीक, एल्गोरिदम तथा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। हमारे मोबाइल की ब्लूटूथ, जीपीएस तथा मोबाइल नंबर का उपयोग करते हुए यह विशेष एप हमारे आसपास मौजूद कोरोना पॉजिटिव लोगों के बारे में पता लगाने में मदद करता है।

इसके अलावा यह संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने की आशंका के बारे में भी अलर्ट नोटिफिकेशन देता है। हालांकि यह केवल तभी पता चल सकता है, जब सम्पर्क में आने वाले आसपास के संदिग्ध संक्रमित व्यक्ति ने भी यह एप अपने मोबाइल फोन में इंस्टॉल किया हो और यह सक्रिय हो। यही कारण है कि इस एप को ज्यादा से ज्यादा मोबाइल फोनों में इंस्टॉल कराने के लिए अभियान चलाने पर जोर दिया जा रहा है। इस एप को एंड्रॉयड स्मार्टफोन के अलावा आईफोन में भी इंस्टॉल किया जा सकता है। कांटैक्ट ट्रेसिंग के लिए यह एप हमारे मोबाइल नंबर, ब्लूटूथ तथा लोकेशन डाटा का उपयोग करता है और बताता है कि आप कोरोना के जोखिम के दायरे में हैं या नहीं। लोकेशन और ब्लूटूथ का इस्तेमाल करते हुए एप जांचता रहता है कि आपके आसपास कोई संक्रमित व्यक्ति अथवा संभावित संक्रमित तो नहीं है। यह एप तभी कार्य करता है, जब आप अपने मोबाइल नंबर को रजिस्टर करते समय ओटीपी से उसे प्रमाणित करते हैं। यदि आप जरूरत के समय में स्वयंसेवक (वालेंटियर) बनने की इच्छा रखते हैं तो एप रजिस्टर करते समय स्वयं को इसके लिए नामांकित करने का विकल्प भी इसमें मौजूद है। एप में कोरोना से बचाव के लिए सभी जरूरी दिशा-निर्देश तथा सुझाव भी दिए गए हैं।

कैसे करें इंस्टॉल?

सबसे पहले अपने मोबाइल की लोकेशन तथा ब्लूटूथ ऑन कर लें। अब ‘एपल स्टोर’ अथवा ‘गूगल प्ले स्टोर’ को खोलें और सर्च में AarogyaSetu टाइप करें। यहां से इस एप को अपने मोबाइल में इंस्टॉल करें। जब आप यह एप इंस्टॉल करेंगे, यह आपसे मोबाइल की लोकेशन उपयोग करने की अनुमति मांगेगा। इंस्टॉल करने के बाद मोबाइल की ब्लूटूथ तथा लोकेशन दोनों सदैव ऑन रखें क्योंकि यह एप तभी काम करेगा, जब ये दोनों ऑन होंगे। इन्हीं के जरिये इस एप को यह पता रहेगा कि आप कब और कहां जा रहे हैं और बाहर आप अनजाने में ही किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में तो नहीं आए हैं। एप खोलने के बाद 11 उपलब्ध भारतीय भाषाओं में से अपनी एक पसंदीदा भाषा का चयन करें। अब अपना रजिस्ट्रेशन करने के लिए यहां अपना नाम, उम्र, लिंग, व्यवसाय, पिछले 14 दिनों में की गई विदेश यात्रा इत्यादि की सही-सही जानकारी दें। एप में सेंट्रल तथा सभी प्रदेशों के हेल्पलाइन नंबर की जानकारी उपलब्ध है, जिस पर क्लिक पर आप वह नंबर डायल कर सकते हैं।

यह एप काम कैसे करता है?

यह एप ‘सेल्फ असेसमेंट टेस्ट’ में दी गई निजी जानकारी के अलावा लक्षण, बीमारी इत्यादि जानकारियों तथा आपकी लोकेशन के आधार पर बताता है कि आपको कोरोना का कितना जोखिम है और आपको फोन पर परामर्श की, कोरोना का टेस्ट कराने की या डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है या नहीं। इस सेल्फ असेसमेंट टेस्ट के आधार पर ही कोरोना के जोखिम का अंदाजा लगाया जाता है और बाकी लोगों को भी उसी के आधार पर अलर्ट किया जाता है, इसलिए यह बेहद जरूरी है कि रजिस्टर करते समय इसमें बिल्कुल सही जानकारी दी जाए। अगर आपको कोरोना का जोखिम है तो एप के जरिये आपको जानकारी मिलेगी कि आपको कोरोना की जांच कराने की जरूरत है या केवल क्वारंटीन से ही काम चल जाएगा।

यदि कोरोना परीक्षण कराए जाने की जरूरत है तो यह परीक्षण कहां करा हैं, यह जानकारी भी आपको मिल जाएगी। आरोग्य सेतु एप में हरे तथा पीले रंग के जोन के जरिये जोखिम का स्तर दर्शाया जाता है। अगर आपके मोबाइल की एप में आपको हरे जोन में दिखाया जाता है तो इसका अर्थ है कि आपको कोई खतरा नहीं है और आप सुरक्षित हैं लेकिन कोरोना से बचने के लिए आपके लिए सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) को बनाए रखना और घर पर रहना आवश्यक है। अगर आपको इस एप में पीले रंग में दिखाया जाता है तो इसका अर्थ है कि आपको बहुत जोखिम है और आपको हैल्पलाइन पर सम्पर्क करना चाहिए। अगर कोई कोरोना पॉजिटिव अथवा कोरोना के लक्षण वाला व्यक्ति आइसोलेशन में न रहकर सार्वजनिक स्थान पर जाता है तो इसकी जानकारी भी प्रशासन तक पहुंच जाएगी।

आरोग्य सेतु के अलावा अन्य एप से निगरानी
आरोग्य सेतु के अलावा पंजाब, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा इत्यादि कुछ राज्य सरकारों द्वारा भी ऐसे मोबाइल एप शुरू किए जा चुके हैं, जिनके जरिये कोरोना से संबंधित जानकारियां हासिल की जा रही हैं। आंध्र प्रदेश में ‘कोरोना अलर्ट ट्रेसिंग सिस्टम’ का उपयोग शुरू किया जा रहा है, जिसके जरिये होम क्वारंटीन में रखे गए हजारों लोगों पर नजर रखी जा रही है। हिमाचल प्रदेश में भी ‘कोरोना मुक्त हिमाचल’ एप जल्द लांच किए जाने की संभावना है। कर्नाटक सरकार में तो गत दिनों सरकार द्वारा यह आदेश दिए गए थे कि लोग हर घंटे अपनी सेल्फी खींचकर भेजें। वहां ‘कोरोना वाच’ एप के जरिये कोरोना पॉजिटिव लोगों के पिछले 14 दिनों के मूवमेंट के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

विदेशों में भी सक्रिय हैं ऐसे एप

कोरोना के मरीजों पर नजर रखने के लिए कोरोना संक्रमण से ग्रस्त कई देशों द्वारा पहले ही ऐसे एप बनाए जा चुके हैं। चीन द्वारा सरकारी विभागों तथा चीन इलैक्ट्रॉनिक्स टैक्नोलॉजी ग्रुप कॉर्पोरेशन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित और स्वास्थ्य तथा यातायात प्राधिकरण के डाटा से समर्थित ऐसी ही एप ‘क्लोज कांटैक्ट डिटेक्टर’ लांच की गई थी। उस एप में कोरोना से कम प्रभावित और ज्यादा प्रभावित इलाकों को हरे और लाल जोन में मार्क किया गया था। उस एप से उपयोगकर्ता को पता चल जाता है कि वह किसी संक्रमित व्यक्ति या कोरोना संक्रमण की आशंका वाले व्यक्ति के निकट तो नहीं है। उस एप के लिए कैमरा, फेशियल रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर, एआई तकनीक की मदद से डाटा जुटाया गया। वह एप लोगों को स्वयं यह जांचने का अवसर देता है कि वे कहीं कोरोना वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के सम्पर्क में तो नहीं आए।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘वीचैट’ एप पर भी मिल सकती है जानकारी

जांच के लिए उपयोगकर्ता को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘वीचैट’ जैसे एप का उपयोग कर अपने स्मार्टफोन पर एक क्विक रिस्पांस (क्यूआर) कोड को स्कैन करना होता है। उपयोगकर्ता को एप कोरोना संक्रमित व्यक्ति अथवा संक्रमण के संदिग्ध व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर अलर्ट जारी करता है, जिसके बाद सम्पर्क में आए व्यक्ति को घर में रहने अथवा स्थानीय प्रशासन को सूचित करने की सलाह दी जाती है।

‘हैल्थ कोड’ नामक एक और चीनी एप भी शुरू की गई थी, जिसके आधार पर उपयोगकर्ता को उसके शरीर के तापमान तथा ट्रैवल हिस्ट्री के आधार पर एक कलर कोड दिया जाता है। उसी से यह तय होता है कि उसे क्वारंटीन करना है या नहीं। दक्षिण कोरिया में ‘कोरोना मैप’ नामक एप बनाई गई थी, जो प्रशासन को यह सूचना देती है कि कोरोना से प्रभावित व्यक्ति किन-किन लोगों से मिला और किस रूट से कहां-कहां गया। इस जानकारी को ‘कांटैक्ट ट्रेसिंग’ नाम दिया गया था। इस एप के इस्तेमाल से वहां के व्यक्ति उन स्थानों का पता कर सकते हैं, जहां कोरोना से संक्रमित कोई व्यक्ति भर्ती हुआ हो। इसमें मरीज की लोकेशन से लेकर उसके अस्पताल की जानकारी और वो कब से पीड़ित है, ये सभी जानकारियां भी मिल जाती हैं।

दक्षिण कोरिया में ‘कोरोना 100एम’

दक्षिण कोरिया में ‘कोरोना 100एम’ नामक जीपीएस आधारित एक और एप का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस एप की विशेषता यह है कि यह लोगों को 100 मीटर की दूरी से ही कोरोना वायरस के बारे में अलर्ट करने में सक्षम है। यह एप उपयोगकर्ता को उसकी लोकेशन के 100 मीटर के दायरे में संक्रमित व्यक्ति की जानकारी देता है। इसराइल में तो कोरोना संक्रमण को रोकने तथा कांटैक्ट ट्रेसिंग के लिए लोगों के मोबाइल डाटा पर नजर रखने के लिए एक अस्थाई कानून भी पास किया जा चुका है। अमेरिका, हांगकांग इत्यादि में भी सरकारों द्वारा ऐसे ही कदम उठाए जा रहे हैं। ब्रिटेन में लंदन के किंग्स कॉलेज अस्पताल के शोधकर्ताओं द्वारा बनाया गया एप ‘सी-19 कोविड सिम्पटम्स ट्रैकर’ यह अलर्ट देता है कि कहां कोरोना संक्रमण का खतरा है। इसके अलावा इस एप के जरिये मरीज स्वयं अपने लक्षण भी बता सकता है।

सिंगापुर में ‘ट्रेस टूगेदर’

सिंगापुर में ‘ट्रेस टूगेदर’ नामक एप के जरिये कोरोना संक्रमितों को ट्रैक करने का प्रयास किया जा रहा है। एप के जरिये सरकार के पास उपयोगकर्ता का पूरा डेटा रहता है, जिससे आसानी से पता चल जाता है कि वह कब एप का इस्तेमाल करने वाले दूसरे उपयोगकर्ता के संपर्क में आया और कितनी देर तक उसके सम्पर्क में रहा। इस एप पर कोई भी व्यक्ति उन स्थानों का पता कर सकता है, जहां संक्रमण का खतरा ज्यादा है। वहां इस एप की मदद से ऐसे लोगों को ट्रैक करने में सफलता भी मिली, जो बाद में कोरोना संक्रमित पाए गए। यह एप उपयोगकर्ता की लोकेशन को ट्रैक करते हुए ब्लूटूथ से एप के दूसरे उपयोगकर्ताओं के सम्पर्क में आने का रिकॉर्ड रखता है। इस तरह की एप्स के जरिये इन तमाम देशों में कांटैक्ट ट्रेसिंग में काफी मदद मिली थी। इसीलिए उम्मीद की जा रही है कि ‘आरोग्य सेतु’ एप भारत में भी इस दिशा में काफी हद तक कारगर साबित होगा।

डाटा सुरक्षा को लेकर उठते सवाल

भारत सरकार द्वारा लांच किया गया ‘आरोग्य सेतु’ एप हो या कोरोना मरीजों पर नजर रखने के लिए दूसरे देशों में लांच किए गए ऐसे ही अन्य एप, इन्हें जहां कोरोना से जंग लड़ने के मामले में मजबूत हथियार माना जा रहा है, वहीं इन एप पर उपयोगकर्ताओं के डाटा की सुरक्षा को लेकर कुछ साइबर विशेषज्ञों द्वारा सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं। साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार का यह कदम भले ही उचित लग रहा है लेकिन सरकार इस प्रकार जो जानकारियां एकत्रित कर रही है, उनका कब और कैसे इस्तेमाल होगा, उसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।

हालांकि सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि ‘आरोग्य सेतु’ एप उपयोगर्ताओं की निजता को ध्यान में रखकर बनाया गया है लेकिन भारत के जाने-माने साइबर विशेषज्ञ पवन दुग्गल का कहना है कि सरकार कह सकती है कि एप के जरिये कांटैक्ट ट्रेसिंग जनस्वास्थ्य के मद्देनजर इसलिए जरूरी है क्योंकि कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा बढ़ रहा है लेकिन सरकार द्वारा ऐसी कोई गारंटी नहीं दी जा रही कि स्थिति सामान्य होने के बाद इस डाटा को नष्ट कर दिया जाएगा। वैसे ‘आरोग्य सेतु’ एप की प्राइवेसी पॉलिसी में कहा गया है कि डाटा केवल भारत सरकार के साथ साझा होगा और उपयोगकर्ता के नाम या नंबर को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।

सरकार का दावा है कि लोगों की लोकेशन और उनके मूवमेंट की जानकारी रखने वाला यह एप ‘प्राइवसी-फर्स्ट’ के सिद्धांत पर बनाया गया है और उपयोगकर्ता का जो भी डाटा यह एप लेता है, वह इन्क्रिप्टिड है। सरकार का यह भी कहना है कि उपयोगकर्ता के डाटा का गलत इस्तेमाल नहीं होगा लेकिन कुछ साइबर विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि एप को अनइंस्टॉल करने के बाद भी सरकार सारी जानकारियां अपने पास रख सकती है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि ये सभी जानकारियां क्लाउड में अपलोड की जाएंगी और अगर कोई उपयोगकर्ता इस एप को डिलीट करता है तो 30 दिनों के भीतर उसका डाटा क्लाउड से हटा दिया जाएगा। बहरहाल, देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या जिस प्रकार लगातार बढ़ रही है, ऐसे में कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए फिलहाल तो देश के लोगों को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एकजुट करने के लिए इस एप की जरूरत महसूस हो ही रही है। इस समय एप में मौजूद डाटा का इस्तेमाल सरकार द्वारा कोरोना से संबंधित डाटाबेस तैयार करने और वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि आरोग्य सेतु एप की मदद से सरकार आइसोलेशन तथा कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए समय रहते जरूरी कदम उठाने में सफल होगी। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा कई पुस्तकें लिख चुके हैं)

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