scriptआर्ट एंड कल्चर : एडवर्टाइजिंग का इल्म खुशबू-खुशबू फिल्म | Art and Culture: The Knowledge of Advertising Khushboo-Khushboo Film | Patrika News

आर्ट एंड कल्चर : एडवर्टाइजिंग का इल्म खुशबू-खुशबू फिल्म

locationनई दिल्लीPublished: Jun 18, 2021 01:53:57 pm

विज्ञापन जगत के नुमाइंदे हिंदी फिल्मों की लीक को तोड़ कुछ बेहतर का भरोसा दिलाते रहे हैं

आर्ट एंड कल्चर : एडवर्टाइजिंग का इल्म खुशबू-खुशबू फिल्म

आर्ट एंड कल्चर : एडवर्टाइजिंग का इल्म खुशबू-खुशबू फिल्म

सुशील गोस्वामी, (सदस्य, सीबीएफसी)

कहते हैं दारासिंह कुश्ती के सिरमौर थे। मगर क्या उन्हें मालूम था कि देश का कोई बूढ़ा, कोई जवान या बच्चा हनुमान जी की कल्पना करे तो सदैव दारासिंह ही चक्षुगोचर होंगे? यह विशुद्ध फिल्मों का कमाल है कि एक विश्वविख्यात पहलवान अंततोगत्वा कुश्ती के कारण कम, अभिनय के लिए ज्यादा, घर-घर जाना गया।

भारत देश में फिल्म बहुत ही बड़ी चुम्बक है। संगीत, नाटक, खेल, व्यापार, राजनीति या विज्ञापन… किसी भी शै में जरा या ज्यादा सफल, बहुतेरे इंसान फिल्मों की तरफ खिंचे भी, और बहुधा चिपक भी गए। एडवर्टाइजिंग से फिल्म जगत में कूदे धुरंधरों तक फिलवक्त बात को बांधते हैं। अनेक नाम हैं विज्ञापनबाजों के, जिन्होंने भारतीय फिल्मों की फिजा में कुछ नई खुशबुएं भरीं, नए रंग घोले और अपने रुख से बदलाव को सार्थक किया है।

विज्ञापन की दुनिया से लोग सहज रूप से, किंचित बड़े अरमानों के साथ फिल्म जगत में उतरते रहे हैं। इस सिलसिले में मुख्य नाम, सत्यजीत बाबू का लिया जाना चाहिए जो अपने समय की प्रसिद्ध ब्रिटिश एड एजेंसी में आर्ट डायरेक्टर रहे। श्याम बेनेगल लिंटास – मुंबई में कॉपी-राइटर हुआ करते थे। उन्होंने भी हिंदुस्तानी सिनेमा की प्रचलित मंडी से जरा अलग जा कर अपनी नितांत मौलिक मंडी रची। अन्य दर्जनों नाम हैं, जिन में से कुछ समय के गर्भ में समा गए और कुछ डटे हैं – फिल्मों को नई सुगंधित बयार देने को। तीन-एक साल पहले सिनेमा हॉल्स में मासूम किलकारी की तरह गूंजी थी ‘बधाई हो!’

स्टार विज्ञापन फिल्ममेकर अमित शर्मा ने ताजगी परोसी थी। थोड़ा पीछे चलें तो लिंटास के प्रमुख आर. बाल्की ने फिल्म निर्देशकीय अवतार धर ‘चीनी कम’ व ‘पा’ जैसे लीक तोडऩे वाले नगीने पेश किए थे। नीतेश तिवारी ने लिओ-बर्नेट के प्रमुख रहने के पश्चात मायानगरी का रुख किया व आमिर संग इंडस्ट्री में ‘दंगल’ मचाया। राम माधवानी, अभिनय देव, दिवाकर बनर्जी, गौरी शिंदे, अश्विनी अय्यर, नवदीप सिंह इत्यादि और भी शुभ नाम हैं, जो विज्ञापन जगत के नुमाइंदे रहे हैं और हिंदी फिल्मों की लीक को तोड़ कर कुछ बेहतर का भरोसा दिलाते हैं।

उधर, प्रसून जोशी जैसे लोग भी हैं जो विज्ञापन की दुनिया के शीर्ष-वैश्विक स्तर पर विराजमान रह कर भी फिल्मों को रंग बसंती में रंग रहे हैं। फिल्म स्क्रिप्ट, गीतों-संवादों को नई ऊंचाइयां देने के लिए प्रसून का नाम सदा गूंजेगा। इसी तरह शांतनु मोइत्रा, अमित त्रिवेदी आदि संगीत के अभिनव सुर साध रहे हैं।

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