कला का संबंध मानसिक जगत से गहरे रूप में जुड़ा रहता है। कलाकार जिस विषय का प्रत्यक्षीकरण करता है, वह उसके मानसिक जगत का एक अपरिहार्य हिस्सा बन जाता है। इन सभी प्रक्रियाओं से गुजरता हुआ कलाकार एक ऐसे सौंदर्य को प्राप्त करता है, जिससे कला अभिव्यक्त होती है तथा वह संप्रेषणीयता को प्राप्त करती है। ध्यान रहे बिना मानसिक प्रयास के सृजन अपूर्ण ही नहीं, बल्कि असंभव सा होता है।
•May 25, 2023 / 09:24 pm•
Patrika Desk
कल्पना जगत में रहने के बाद भी कलाकार सत्य से परे नहीं