कल की जिस घटना को लेकर वे ऐसी आशंका जता रहे हैं, वह मामला भी राजस्थान के एक त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम को लेकर जारी गिरफ्तारी वारंट का है। पहले भी तोगडिय़ा ऐसी आशंका जाहिर कर चुके हैं। गुजरात में भी जब उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ तब भी उन्होंने ऐसा ही डर जताया था। तोगडिय़ा अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग एजेंसियों को ऐसा षड्यंत्र रचने के लिए आरोपित करते रहे हैं। कभी गुप्तचर संगठनों को तो कभी अपनी ही पार्टी के नेताओं को।
तोगडिय़ा आम आदमी नहीं है। एक बड़े संगठन के नेता हैं। संगठन भी ऐसा जिसे देश-प्रदेशों में सत्तारूढ़ दल के करीब माना जाता है। जान तो आम आदमी की भी कीमती है और तोगडिय़ा की भी। लेकिन भय का माहौल किसी के सामने नहीं होना चाहिए। यदि तोगडिय़ा अथवा अन्य कोई, ऐसा काम कर रहे हैं जिससे देश की एकता-अखण्डता, शान्ति, सद्भाव और भाईचारा समाप्त हो रहा है तब उन्हें दण्डित करने के लिए हमारी सरकारों और प्रशासन के पास कानून प्रदत्त कई विकल्प उपलब्ध हैं।
यदि ऐसा नहीं है और उनके खिलाफ वैसी कोई कार्रवाई नहीं होती है तब उनका डर दूर होना चाहिए। यह डर इसलिए और भी ज्यादा चिंताजनक है कि, उन्हें ‘जेड’ सुरक्षा मिली हुई है। तब यह सवाल उठना भी लाजिमी है कि, उसके होते वे चुपचाप गायब कैसे हो गए? जिन्हें ऐसी सुरक्षा मिली है, भले वे लाख मना करें लेकिन सुरक्षा कर्मियों की नजरों से वे ओझल कैसे हो सकते हैं। यदि ऐसी सुरक्षा प्राप्त व्यक्तियों के साथ कोई हादसा होता है तब दोष उनका नहीं सुरक्षा कर्मियों का ही माना जाएगा? यह सरकारों को सुनिश्चित करना है कि, ऐसे व्यक्ति सुरक्षित रहें।