इतनी बड़ी आबादी इस योजना के तहत लाभान्वित होगी जितनी कि पूरे यूरोप की जनसंख्या भी नहीं है। अब एक हेल्पलाइन नंबर 14555 के जरिये कोई भी जरूरतमंद इस योजना से जुड़ सकता है। केंद्र खर्च का 60 फीसदी देगा जबकि राज्यों को 40 प्रतिशत भार वहन करना होगा। अभी चार राज्यों— तेलंगाना, उड़ीसा, केरल और पंजाब तथा केंद्र शासित दिल्ली ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। नेशनल हेल्थ एजेंसी इसको चलाएगी तथा 1.5 लाख स्वास्थ्य केंद्र अतिरिक्त खोले जाएंगे। हृदय, कैंसर और अस्थि रोगों सहित 1354 तरह की बीमारियों के इलाज को इसके तहत लिया जा सकेगा।
इस योजना के तहत पंजीकरण 2011 में सामाजिक-आर्थिक आधार पर जनगणना के तहत होगा। हालांकि इसके बाद जनसंख्या 2018 तक 50 करोड़ के करीब बढ़ चुकी है। क्या ये लोग भी इस योजना के तहत आएंगे, अभी इसका खुलासा नहीं किया गया है। दूसरा केरल, तेलंगाना, उड़ीसा और पंजाब जैसे गैर-भाजपा शासित राज्यों से सहमति नहीं बन पाने के कारण इन राज्यों के लोग इस योजना से वंचित रहेंगे। दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल इसे मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना के रूप में लागू करना चाहते हैं। इसके लिए आधार कार्ड जरूरी होगा। संबद्ध अस्पतालों में ‘आयुष्मान मित्र’ डेस्क बनाई जाएगी जो कि पात्र लोगों की मदद करेंगी। हालांकि इससे भ्रष्टाचार बढऩे की आशंका बनी रहेगी। केन्द्र सरकार की योजना तो ठीक है लेकिन इसको जारी करने का समय उपयुक्त नहीं लगता। छह महीने इसको लागू करने में लग जाएंगे तब तक कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होकर आम चुनाव भी आसन्न होंगे।
यदि यह योजना सही तरह से लागू नहीं हो पायी तो नुकसान मोदी सरकार को भुगतना पड़ सकता है। अभी यह भी तय नहीं है कि कौन-सी बीमा कंपनी को इसके लिए अधिकृत किया गया है। समय पर प्रीमियम की क्या व्यवस्था होगी। राजस्थान में भामाशाह योजना के तहत मुफ्त इलाज इसीलिए बीच में अटक गया क्योंकि सरकार कंपनी को प्रीमियम नहीं दे पाई। अस्पतालों में कैशलेस इलाज में कितने घोटाले होते हैं, जग जाहिर है। इस योजना की निगरानी के लिए एजेंसी तो बना दीं लेकिन क्या यह बीमा कंपनियों और अस्पतालों की मिलीभगत पर अंकुश लगा पाएगी? कुल मिलाकर यह योजना चुनावी शिगूफा ज्यादा प्रतीत होती है। यदि इसे 2015 में जारी किया जाता तो आज परिणाम सामने होते। अभी तो सब कुछ भविष्य के गर्भ में है। आम गरीब आदमी को मुफ्त इलाज मिलना चाहिए, लेकिन इसको वोट का आधार बना लिया तो मर्ज घटने के बजाय बढ़ेगा ही।