आगे कहा- धूत कहो, अवधूत कहो, रजपूत कहौ, जोलहा कहौ कोऊ। चाहे मुझे किसी भी जाति का कह लो, मुझे कौन किसी की बेटी से बेटा ब्याहना है। काका कबीर ने कहा था, ‘कांकर पाथर जोड़ी के मस्जिद लेई चिनाय, ता चढ़ मुल्ला बांग दे बहरा हुआ खुदाय। और सुनो- ‘पाहन पूजै हरि मिले तो मैं पूजूं पहाड़। अब बाबा तुलसी और काका कबीर की बात सुन कर क्या धर्म के ठेकेदार उनके पीछे नहीं पड़ जाते?
चचा रसखान ने कृष्ण के प्रेम में कहा- तांहि अहीर की छोकरिया, छछिया भर छाछ पे नाच नचावै।अब आज की बात करें। गायक सोनू निगम ने यही तो कहा था कि भाइयों, प्रार्थना लाउड स्पीकर से क्यों?
कसम से गला फाड़ लाउड स्पीकर पर अजान और भजन सुन कर तो हमारा भेजा भी चबकने लगता है। इन बाबा, चाचा और काकाओं के साथ जरा हमारे प्रिय मीर और गालिब की बात कर लें। मीर तकी मीर तो कहते हैं कि कश्का खींचा, दैर में बैठे, कब का तर्क इस्लाम किया यानी हम तो तिलक लगा कर मंदिर में जा बैठे हैं।
गालिब कह गए, खुदा के वास्ते न पर्दा काबे से हटा गालिब, कहीं ऐसा न हो वही काफिर सनम निकले। अब ऐसी बात कहने-सुनने वाले का जमाना नहीं रहा। सोनू निगम ने दिल की बात क्या कह दी, कोई उसका सर मूंडने पर दस लाख देने को तैयार हो गया। कोई उसे बुरा-भला कहने लगा। मजे की बात कि सोनू ने अपने हज्जाम से खुद ही सर मुंडवा लिया। अब कट्टर लोग उसके बाल कैसे उड़ाएंगे? वाह भई सोनू वाह।
व्यंग्य राही की कलम से