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सौन्दर्य बोध

Published: Aug 07, 2015 11:51:00 pm

सुन्दर महिलाओं की चिन्ता छोड़ो। यह नेक काम तो वे खुद
या उनके परिजन ही कर ही लेंगे। आप तो अपना घर संभालो

Delhi Police

Delhi Police


वाह भारती, आप कमाल करते हैं। आपका सौन्दर्य बोध अद्भुत है। आपको सुन्दरता की बड़ी चिन्ता है। दिल्ली पुलिस को “आप” सरकार के अधीन लाकर पहला काम सुन्दर महिलाओं की सुरक्षा करना चाहते हैं। बाकी सब जाएं भाड़ में।

आपने अपने श्रीमुख से फरमाया है कि अगर राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस व्यवस्था आम आदमी पार्टी की सरकार के पास हो तो दिल्ली की खूबसूरत महिलाएं रात को भी बिना डर के बाहर घूम फिर सकती हैं। भाई भारती , चलिए सुन्दर महिलाओं की सुरक्षा के लिए आप सिपाही लगा देंगे तो फिर बदसूरतों का क्या हाल होगा? यह मानसिकता है इस देश के सत्ताधारियों की। माना कि आप “सुन्दरता” की सुरक्षा कर लेंगे लेकिन इससे पहले जरा अपना घर तो संभाल लीजिए। इसी लाजवाब सौन्दर्य सूक्ति पर आपकी होम मिनिस्टरनी ने क्या कहा है- “सोमनाथ को सिर्फ सुन्दर महिलाओं की चिन्ता है।

मैं दिखने में सामान्य हूं शायद इसलिए मुझसे बुरा बर्ताव हो रहा है। उन्हें मेरी (पत्नी की) सुरक्षा की चिन्ता नहीं जबकि सुन्दर çस्त्रयों की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं।” अब आपके घर की तो आप ही जानें लेकिन एक जमाने में हम भी सौन्दर्य के पुजारी थे। कलियों के पीछे आवारा भंवरे की तरह मंडराते रहते थे। जैसे-जैसे समझ बढ़ी तब पता चला कि असली सुन्दरता चेहरे मोहरे में नहीं कहीं और छिपी रहती है। तब लगातार मेहनत करने वाली गरीब मजदूर सुन्दर लगने लगी जो दिन भर खट कर पति का बराबर हाथ बंटाती थी। तब वह पढ़ी-लिखी साधारण नैन नक्श वाली सुघड़ युवती भी अच्छी लगी जिसने अपना लाखों का पैकेज ठुकरा कर कच्ची बस्ती की पिछड़ी औरतों-बच्चियों का जीवन सुधारने का फैसला कर लिया।

तब बूढ़ी दादी अद्भुत सौन्दर्यशाली लगने लगी जिसकी एक आंख बचपन में ही खराब हो गई थी और जो तपते बुखार में भी उठ कर पड़ोसी के बीमार बच्चे को संभालने चली जाती थी। अब तो लगता है कि आपका और आपके केजी साहब का एक मात्र एजेन्डा यही बचा रह गया है कि किसी तरह पुलिस को अपने बस में करो और फिर क्या है?

इसके बाद तो किसी को कभी भी गिरफ्तार करवाया जा सकता है। वैसे भी एक सवाल तो उठता ही है कि जिस आदमी पर उसकी ब्याहता पत्नी ही घरेलू हिंसा का अक्षम्य आरोप लगा रही हो वह किसी और की सुरक्षा का ठेका कैसे ले सकता है? लेकिन लोक में कई लोकोक्तियां भी कही-सुनी जाती हैं- कुछ लोगों को घर की मुर्गी भी नहीं सुहाती पर पड़ोसी की बिना बघार लगी दाल पर भी जुबान लपलपाते हैं। सोम भाई, आपसे इतना ही निवेदन है कि सुन्दर महिलाओं की सुरक्षा की चिन्ता छोड़ो। यह नेक काम तो वे खुद, उनके परिजन या रिश्तेदार ही कर ही लेंगे। आप तो अपना घर संभालो। फिलहाल आप “खिड़की एक्सटेंशन” की फिकर करो जहां आपने जमकर बवाल काटा था।
राही
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