श्रेष्ठ विचार ही मनुष्य की सबसे बड़ी सम्पदा
सद्-विचार से मनुष्य अपने अविनाशी-स्वरूप को सहज ही उपलब्ध हो सकता है, जबकि जगत के अन्य पदार्थ नश्वर-मरणधर्मा हैं। अत: सद्-विचार संग्रहण-अनुशीलन करें। आध्यात्मिक विचार परिपक्व होते ही जीवन में आनन्द-माधुर्य, ऐश्वर्य-सौन्दर्य आदि दिव्यताएं स्वत: ही स्फुरित होने लगती हैं।
Published: April 25, 2022 06:31:13 pm
स्वामी अवधेशानंद गिरी
दिव्य व आध्यात्मिक विचार हमारे अंत:करण को परिष्कृत कर शुभत्व, देवत्व और पारमार्थिक प्रवृत्तियों को साकार करते हैं। अत: वैचारिक रूप से शुचि सम्पन्न रहें। साधन चतुष्टय सम्पन्न साधक के लिए शास्त्र विचार व आप्त वचन ही जीवन सिद्धि के साधन हैं। भारत की आध्यात्मिक शक्ति से समस्त विश्व प्रभावित है। आध्यात्मिक जीवन पूर्ण निस्वार्थ होता है। आध्यात्मिक-विचार मनुष्य जीवन की श्रेष्ठतम सम्पदा है। सद्-विचार से मनुष्य अपने अविनाशी-स्वरूप को सहज ही उपलब्ध हो सकता है, जबकि जगत के अन्य पदार्थ नश्वर-मरणधर्मा हैं। अत: सद्-विचार संग्रहण-अनुशीलन करें। आध्यात्मिक विचार परिपक्व होते ही जीवन में आनन्द-माधुर्य, ऐश्वर्य-सौन्दर्य आदि दिव्यताएं स्वत: ही स्फुरित होने लगती हैं। सद्-विचार और शुभ-संकल्प में प्रतिकूलताओं के परिहार का अपूर्व सामथ्र्य विद्यमान होता है। सनातन-शास्त्र कथन है कि भवरोग औषधि हंै द्ग सद्-विचार। अध्यात्म जीवन पूर्ण निस्वार्थ होता है। आध्यात्मिक विचारों के अभाव में व्यक्ति पथ-भ्रष्ट हो जाता है। अनुभव की बात है कि अधिक सांसारिक ज्ञान अर्जित करने से अहंकार आ सकता है, परन्तु आध्यात्मिक ज्ञान जितना अधिक अर्जित करते हैं, उतनी ही विनम्रता आती है। श्रेष्ठ विचार ही मनुष्य की सबसे बड़ी सम्पदा है। अच्छा साहित्य जीवन के प्रति आस्था ही उत्पन्न नहीं करता, वरन् उसके सौंदर्य पक्ष का भी उद्घाटन कर उसे पूजनीय बना देता है। सुविचार नकारात्मक विचारों से भरे जीवन में आशा की किरण जगा सकता है। यदि आपकी ईश्वर में आस्था है, तो आपके लिए उलझनों में भी रास्ता है। जीवन में जितनी पवित्रता विनम्रता होती है, जीवन का उत्कर्ष भी उतना ही होता है। कुएँ में उतरने वाली बाल्टी जब झुकती है तब ही पानी लेकर आती है। इसलिए जीवन में कुछ पाना है तो झुकना सीखिए।

श्रेष्ठ विचार ही मनुष्य की सबसे बड़ी सम्पदा
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