scriptकामकाजी महिलाओं को मिले बेहतर माहौल | Better environment for working women | Patrika News

कामकाजी महिलाओं को मिले बेहतर माहौल

locationनई दिल्लीPublished: Jun 24, 2021 07:41:38 am

भारत में कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ भेदभाव की शिकायत पुरानी है। उनके साथ वेतन में भी भेदभाव किया जाता है। अब भी महिलाओं के कामकाज को कम महत्त्व दिया जाता है।

कामकाजी महिलाओं को मिले बेहतर माहौल

कामकाजी महिलाओं को मिले बेहतर माहौल

कोरोना महामारी का असर परिवार और रोजगार पर सीधे दिखाई दिया है। कोरोना की पहली लहर के बाद लगाए गए लॉकडाउन ने लाखों लोगों की नौकरियां छीनी थी। महिलाएं भी बड़ी संख्या में बेरोजगार हुईं। दूसरी लहर ने भी रोजगार को प्रभावित किया, जिससे हर वर्ग का आत्मविश्वास डगमगाया है। भारत में नौकरी में टिके रहना महिलाओं के लिए पहले से ही चुनौतीपूर्ण रहा है। कोरोना ने इस संकट को और बढ़ाया है। यही वजह है कि उनका आत्मविश्वास ज्यादा डगमगाया है। लिंक्डइन वर्क फोर्स कॉन्फिडेंस की रिपोर्ट पर भरोसा करें, तो कामकाजी महिलाओं के आत्मविश्वास में भारी कमी आई है। उनके भीतर नौकरी खो जाने की चिंता दोगुनी बढ़ी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मार्च में कामकाजी महिलाओं का द इंडिविजुअल कॉन्फिडेंस स्कोर (आइसीआर) यानी आत्मविश्वास का स्कोर 57 था, जो गिरकर 49 रह गया है। पुरुषों का आत्मविश्वास का स्कोर 58 से गिरकर 56 पर आ गया है। यानी कामकाजी महिलाओं को पुरुषों की तुलना में नौकरी की ज्यादा चिंता सता रही है।

इस रिपोर्ट पर गौर करें तो साफ है कि इस आपदा ने महिलाओं की नौकरी को ज्यादा असुरक्षित बना दिया है। उन्हें नौकरी खोने का डर ज्यादा है। यही वजह है कि महिलाओं में अवसाद के मामले भी बढ़े हैं। भारत में कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ भेदभाव की शिकायत पुरानी है। उनके साथ वेतन में भी भेदभाव किया जाता है। अब भी महिलाओं के कामकाज को कम महत्त्व दिया जाता है। हकीकत इसके उलट है। कई अध्ययनों में दावा किया गया है कि महिलाएं अपने काम के प्रति बहुत गंभीर होती हैं। वे फैसले लेने में दृढ़ता दिखाती हैं और उनके फैसले ज्यादा व्यापक होते हैं। सवाल यही है कि आखिर फिर हम उनके साथ भेदभाव क्यों करते हैं? उनके भीतर के असुरक्षा के भाव को कम करने का प्रयास क्यों नहीं किया जाता? उन्हें कार्यस्थल पर एक बेहतर माहौल देने की कोशिश क्यों नहीं की जाती? उनके साथ वेतन में भेदभाव क्यों होता है? ये ऐसे सवाल हैं, जो सरकार से ज्यादा नियोक्ता और सहकर्मियों की सोच से जुड़े हुए हैं।

नीतियां बनाने का काम सरकार का है और उनके पालन का काम नियोक्ता का। साथ ही एक बेहतर माहौल देने का काम सहकर्मियों का भी है। अगर सहकर्मी उन्हें बराबरी का माहौल और सम्मान देंगे, तो तय है कि यह असुरक्षा का भाव कम होगा। उनके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी, जो कार्यस्थल से लेकर परिवार के भीतर भी दिखाई देगी। ऐसे में जरूरी है कि हम कामकाजी महिलाओं के साथ खड़े हों और उन्हें एक बेहतर माहौल दें।

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