न्यूजीलैंड ही नहीं, ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े शहर सिडनी में भी कोरोना गाइडलाइन से जुड़े दंडात्मक प्रावधान और सख्त कर दिए गए हैं। कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के प्रसार के खतरे को देखते हुए ये कदम उठाए गए हैं। भारत में कुछ राज्य अभी भी कोरोना से जूझ रहे हैं। तीसरी लहर के जल्दी ही आने की चेतावनी भी विशेषज्ञ लगातार दे रहे हैं। फरवरी में भी पहला मामला सामने आने के बाद न्यूजीलैंड ने ऐसी ही सख्ती से कम समय में ही महामारी पर काबू पा लिया था। एक तरह से यह मिसाल भी है कि यदि समय रहते प्रतिबंधात्मक उपाय अपना लिए जाएं तो महामारी पर काबू पाया जा सकता है।
यह बात सही है कि लॉकडाउन जैसे सख्त कदमों से आर्थिक मोर्चे पर कई तकलीफें सामने आती हैं। लेकिन ऐसे उपाय संक्रमण की रफ्तार की गंभीरता के हिसाब से छोटे रूप में अपनाए जाएं तो कारगर हो सकते हैं। भारत जैसे देश में तो यह और भी जरूरी इसलिए हो जाता है क्योंकि कोरोना संक्रमण थोड़ा भी कम होने पर हमारे यहां लापरवाही हद दर्जे तक बढ़ती दिख रही है। पर्यटन स्थलों व बाजारों में उमडऩे वाली भीड़ को तो जैसे मास्क लगाने की परवाह ही नहीं। वैसे भी मुसीबत कभी कह कर नहीं आती। लेकिन सावधानी, मुसीबतों से बचाने का काम जरूर कर सकती है।
कोरोना की दूसरी लहर में हमने अस्पतालों के हाल व सरकारों की लाचारी खूब देखी है। ब्रिटेन में कोरोना की पहली लहर के दौर में किए गए शोध की जानकारी तो और भी चिंताजनक है कि वहां हर दस में से एक को संक्रमण अस्पतालों से हुआ है। संक्रमण की तीसरी लहर कब और कैसी होगी, इसका अंदाजा भले ही नहीं लगा हो लेकिन यह रिपोर्ट संक्रमण की भयावहता जरूर बताती है। इसलिए चाहे सरकारें हों या फिर आम आदमी, दोनों के लिए सचेत रहना ही सबसे बड़ा बचाव है।