लिंग भेद खत्म करें
बढ़ती जनसंख्या तथा घटते संसाधन मनुष्य जाति के लिए एक विकट समस्या बन चुकी है। जनसंख्या नियंत्रण के बिना देश, समाज, गांव तथा परिवार का विकास संभव नहीं है। सरकार लिंग भेद का खात्मा कर जनसंख्या पर प्रभावी नियंत्रण कर सकती है। लिंग भेद के कारण अनचाहे बच्चों की संख्या में वृद्धि हो रही है। शिक्षा के माध्यम से लिंग भेद का खात्मा किया जा सकता है। इसलिए सरकार को चाहिए कि शिक्षा के विकास तथा शिक्षा की सब तक पहुंच सुनिश्चित करे। लोगों को भी मानसिक रुप से परिपक्व होने की आवश्यकता है और साथ-साथ हम सभी का दायित्व बनता है कि सरकार की नीतियों में सहयोग कर एक सभ्य समाज के निर्माण में अपना योगदान दें।
-कविता बिरम्हान, झुंझुनू
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बढ़ती जनसंख्या तथा घटते संसाधन मनुष्य जाति के लिए एक विकट समस्या बन चुकी है। जनसंख्या नियंत्रण के बिना देश, समाज, गांव तथा परिवार का विकास संभव नहीं है। सरकार लिंग भेद का खात्मा कर जनसंख्या पर प्रभावी नियंत्रण कर सकती है। लिंग भेद के कारण अनचाहे बच्चों की संख्या में वृद्धि हो रही है। शिक्षा के माध्यम से लिंग भेद का खात्मा किया जा सकता है। इसलिए सरकार को चाहिए कि शिक्षा के विकास तथा शिक्षा की सब तक पहुंच सुनिश्चित करे। लोगों को भी मानसिक रुप से परिपक्व होने की आवश्यकता है और साथ-साथ हम सभी का दायित्व बनता है कि सरकार की नीतियों में सहयोग कर एक सभ्य समाज के निर्माण में अपना योगदान दें।
-कविता बिरम्हान, झुंझुनू
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लड़के की चाह में भी बढ़ रही हैं जनसंख्या
जनसंख्या नियंत्रण बहुत आवश्यक है। एक सर्वे के अनुसार लड़के की चाह में भी संतानों की संख्या बढ़ रही है। इससे हमें पता लगता है कि लैंगिक समानता कितनी जरूरी है। और भी ऐसे कई कारण है जिनसे जनसंख्या बढ़ रही है। हमें उन्हीं कारणों को मिटाना है बस ।
-मुदिता, सवाई माधोपुर
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जनसंख्या नियंत्रण बहुत आवश्यक है। एक सर्वे के अनुसार लड़के की चाह में भी संतानों की संख्या बढ़ रही है। इससे हमें पता लगता है कि लैंगिक समानता कितनी जरूरी है। और भी ऐसे कई कारण है जिनसे जनसंख्या बढ़ रही है। हमें उन्हीं कारणों को मिटाना है बस ।
-मुदिता, सवाई माधोपुर
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शिक्षा पर ध्यान दे सरकार
किसी भी सरकार का यह दायित्व है कि वह अपनी जनता को प्रर्याप्त आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए। प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता सीमित है, लेकिन जनसंख्या बेतहाशा बढ़ती जा रही है। अगर जनसंख्या में वृद्धि इसी प्रकार से होती रही, तो वह दिन दूर नहीं है कि हमारे लिए जरूरी चीजों का भी टोटा हो जाएगा। इस स्थिति को देखते हुए सरकार का यह दायित्व है कि वह जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए । इसके लिए सरकार को एक प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून के साथ ही शिक्षा को बढ़ावा देना होगा। जागरूकता बढ़ाने के लिए लगातार विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आवश्यक हैं, जिससे नागरिक स्वत: प्रेरित होकर इसमें सहयोग करें ।
श्याम सुन्दर कुमावत, किशनगढ़, अजमेर
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किसी भी सरकार का यह दायित्व है कि वह अपनी जनता को प्रर्याप्त आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए। प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता सीमित है, लेकिन जनसंख्या बेतहाशा बढ़ती जा रही है। अगर जनसंख्या में वृद्धि इसी प्रकार से होती रही, तो वह दिन दूर नहीं है कि हमारे लिए जरूरी चीजों का भी टोटा हो जाएगा। इस स्थिति को देखते हुए सरकार का यह दायित्व है कि वह जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए । इसके लिए सरकार को एक प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून के साथ ही शिक्षा को बढ़ावा देना होगा। जागरूकता बढ़ाने के लिए लगातार विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आवश्यक हैं, जिससे नागरिक स्वत: प्रेरित होकर इसमें सहयोग करें ।
श्याम सुन्दर कुमावत, किशनगढ़, अजमेर
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चुनाव लडऩे के लिए दो बच्चों की शर्त आवश्यक
भारत आज पूरे विश्व में जनसंख्या के मामले में दूसरे पायदान पर है। समय की मांग है कि अब जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान दिया जाए। सरकारी नौकरी में आने वालों के 2 ही बच्चे हों। इसकी सख्ती से पालना हो। चुनाव लडऩे वालों के 2 ही बच्चे हों। तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ केवल 2 बच्चों वालों को ही मिले। निजी कम्पनियों में भी उनको ही रोजगार देने में प्राथमिकता दी जाए, जिनके 2 से ज्यादा बच्चे नहीं हैं। लोन भी उनको ही दिया जाए, जिनके 2 ही बच्चे हों।
-मुस्ताक अहमद खिलजी, देणोक, जोधपुर
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भारत आज पूरे विश्व में जनसंख्या के मामले में दूसरे पायदान पर है। समय की मांग है कि अब जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान दिया जाए। सरकारी नौकरी में आने वालों के 2 ही बच्चे हों। इसकी सख्ती से पालना हो। चुनाव लडऩे वालों के 2 ही बच्चे हों। तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ केवल 2 बच्चों वालों को ही मिले। निजी कम्पनियों में भी उनको ही रोजगार देने में प्राथमिकता दी जाए, जिनके 2 से ज्यादा बच्चे नहीं हैं। लोन भी उनको ही दिया जाए, जिनके 2 ही बच्चे हों।
-मुस्ताक अहमद खिलजी, देणोक, जोधपुर
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जागरूकता पर दिया जाए ध्यान
जनसंख्या वृद्धि देश के समक्ष बड़ी चुनौती है। जलवायु, खनिज तथा ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों का अनियंत्रित दोहन हमें ऐसी अंतहीन गुफा की ओर ले जा रहा है, जहां से आगे का रास्ता दिखाई नहीं देता। अनियंत्रित आबादी से न सिर्फ आर्थिक संकट पैदा हो रहा है, बल्कि भ्रष्टाचार में वृद्धि, वायु प्रदूषण, जल संकट भी विकट हो रहा है। ऐसे में गर्भ निरोधक साधनों का प्रचार जनसंख्या वृद्धि रोकने का प्राथमिक बिंदु लगता है, वहीं लोगों को परिवार नियोजन की महत्ता समझाने से जनसंख्या नियंत्रण में मदद मिल सकती है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए जागरूकता ही एकमात्र उपाय है, कानून बनाना इस समस्या का समाधान नहीं है।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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जनसंख्या वृद्धि देश के समक्ष बड़ी चुनौती है। जलवायु, खनिज तथा ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों का अनियंत्रित दोहन हमें ऐसी अंतहीन गुफा की ओर ले जा रहा है, जहां से आगे का रास्ता दिखाई नहीं देता। अनियंत्रित आबादी से न सिर्फ आर्थिक संकट पैदा हो रहा है, बल्कि भ्रष्टाचार में वृद्धि, वायु प्रदूषण, जल संकट भी विकट हो रहा है। ऐसे में गर्भ निरोधक साधनों का प्रचार जनसंख्या वृद्धि रोकने का प्राथमिक बिंदु लगता है, वहीं लोगों को परिवार नियोजन की महत्ता समझाने से जनसंख्या नियंत्रण में मदद मिल सकती है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए जागरूकता ही एकमात्र उपाय है, कानून बनाना इस समस्या का समाधान नहीं है।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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न मिले सरकारी सुविधाओं का लाभ
सरकार संसद में जनसंख्या नियंत्रण बिल लाकर कानून बना सकती है। बिल में दो संतान का प्रावधान रखा जाए। दो से अधिक संतान होने पर उन्हें एवं उनकी संतान को किसी भी सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जाए। कानून का कड़ाई से पालन कराने पर भी ध्यान दिया जाए।
-सत्येंद्र सिंह जादौन, दतिया।
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सरकार संसद में जनसंख्या नियंत्रण बिल लाकर कानून बना सकती है। बिल में दो संतान का प्रावधान रखा जाए। दो से अधिक संतान होने पर उन्हें एवं उनकी संतान को किसी भी सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जाए। कानून का कड़ाई से पालन कराने पर भी ध्यान दिया जाए।
-सत्येंद्र सिंह जादौन, दतिया।
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जनसंख्या पर बने कानून
हमारा देश निरंतर विकास की इबारत लिख रहा है, परंतु लगातार बढ़ती जनसंख्या सभी समस्याओं की जड़ है। इस पर नियंत्रण पाए बिना प्रकृति का सपना अधूरा ही रहेगा। आम नागरिकों को भी इस बात पर चिंतन करना चाहिए। भारत सरकार पिछले कई वर्षों से परिवार नियोजन जैसे जागरूक अभियान चलाती रही है, परंतु इसका बहुत कम असर देखने को मिला है। अब सरकार को एक ठोस जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की आवश्यकता है। इस कानून के बनने से एक से दो दशक मे जनसंख्या नियंत्रित हो सकती है और देश स्वत: ही प्रगति पथ पर अग्रसर हो जाएगा। जिस तरह सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म किया है, उसी तरह जनसंख्या को लेकर भी कानून बनाने के लिए अग्रसर रहना चाहिए। देश के भीतर जनसंख्या वृद्धि के कारण भीड़ बढ़ती जा रही है। सरकार को चाहिए कि जल्दी जनसंख्या वृद्धि पर बिल लाकर दो बच्चों का कानून बनाए।
किशन सारस्वत, बीकानेर
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हमारा देश निरंतर विकास की इबारत लिख रहा है, परंतु लगातार बढ़ती जनसंख्या सभी समस्याओं की जड़ है। इस पर नियंत्रण पाए बिना प्रकृति का सपना अधूरा ही रहेगा। आम नागरिकों को भी इस बात पर चिंतन करना चाहिए। भारत सरकार पिछले कई वर्षों से परिवार नियोजन जैसे जागरूक अभियान चलाती रही है, परंतु इसका बहुत कम असर देखने को मिला है। अब सरकार को एक ठोस जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की आवश्यकता है। इस कानून के बनने से एक से दो दशक मे जनसंख्या नियंत्रित हो सकती है और देश स्वत: ही प्रगति पथ पर अग्रसर हो जाएगा। जिस तरह सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म किया है, उसी तरह जनसंख्या को लेकर भी कानून बनाने के लिए अग्रसर रहना चाहिए। देश के भीतर जनसंख्या वृद्धि के कारण भीड़ बढ़ती जा रही है। सरकार को चाहिए कि जल्दी जनसंख्या वृद्धि पर बिल लाकर दो बच्चों का कानून बनाए।
किशन सारस्वत, बीकानेर
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न मिले सरकारी नौकरी
देश में जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण कानून की सख्त जरूरत है। लोगों को ‘हम दो, हमारे दोÓ की नीति का पालन करना होगा। सरकार को दो बच्चा नीति मानने वालों को प्रोत्साहन और न मानने वालों को हतोत्साहित करने के साथ सरकारी सुविधाओं से वंचित कर देना चाहिए। सरकार को सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भ निरोधक उपलब्ध करवाने चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण कानून के तहत यह प्रावधान किया जाए कि दो से अधिक बच्चे वाले लोगों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगीर। जो एक बच्चे के बाद नसबंदी करवा लें, उनके बच्चों को निशुल्क शिक्षा और नौकरी में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
-अशोक कुमार शर्मा, झोटवाड़ा, जयपुर।
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देश में जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण कानून की सख्त जरूरत है। लोगों को ‘हम दो, हमारे दोÓ की नीति का पालन करना होगा। सरकार को दो बच्चा नीति मानने वालों को प्रोत्साहन और न मानने वालों को हतोत्साहित करने के साथ सरकारी सुविधाओं से वंचित कर देना चाहिए। सरकार को सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भ निरोधक उपलब्ध करवाने चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण कानून के तहत यह प्रावधान किया जाए कि दो से अधिक बच्चे वाले लोगों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगीर। जो एक बच्चे के बाद नसबंदी करवा लें, उनके बच्चों को निशुल्क शिक्षा और नौकरी में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
-अशोक कुमार शर्मा, झोटवाड़ा, जयपुर।
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जन चेतना जरूरी
जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार सर्वप्रथम लोगों में जन चेतना पैदा करे। इसके साथ ही लोगों को शिक्षित करने पर ध्यान दे। सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून भी बना सकती है और इसका कड़ाई से पालन करवाकर जनसंख्या नियंत्रित कर सकती है।
-राजेश कुमावत, पाली
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जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार सर्वप्रथम लोगों में जन चेतना पैदा करे। इसके साथ ही लोगों को शिक्षित करने पर ध्यान दे। सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून भी बना सकती है और इसका कड़ाई से पालन करवाकर जनसंख्या नियंत्रित कर सकती है।
-राजेश कुमावत, पाली
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विधानसभा और संसद सदस्यों के लिए भी हो प्रावधान
जनसंख्या नियंत्रण के लिए शासन को संविधान में संशोधन करना चाहिए। धार्मिक बंधनों से परे पूरेे भारतवर्ष में एक समान कानून की आवश्यकता है। कुछ राज्यों में सरकारी नौकरियों के लिए दो से ज्यादा बच्चों वाले अभ्यर्थी अपात्र हैं। यह प्रावधान विधानसभा और संसद का सदस्य बनने वालों पर भी लागू होना चाहिए। दो से ज्यादा बच्चे होने पर राशन कार्ड से लेकर सभी सरकारी लाभों से वंचित कर दिया जाना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण के लिए जब तक सख्त कानून नहीं बनेगा, तब तक देश की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं हो सकती।
-गोपाल प्रसाद वर्मा, तिल्दा, रायपुर
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जनसंख्या नियंत्रण के लिए शासन को संविधान में संशोधन करना चाहिए। धार्मिक बंधनों से परे पूरेे भारतवर्ष में एक समान कानून की आवश्यकता है। कुछ राज्यों में सरकारी नौकरियों के लिए दो से ज्यादा बच्चों वाले अभ्यर्थी अपात्र हैं। यह प्रावधान विधानसभा और संसद का सदस्य बनने वालों पर भी लागू होना चाहिए। दो से ज्यादा बच्चे होने पर राशन कार्ड से लेकर सभी सरकारी लाभों से वंचित कर दिया जाना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण के लिए जब तक सख्त कानून नहीं बनेगा, तब तक देश की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं हो सकती।
-गोपाल प्रसाद वर्मा, तिल्दा, रायपुर
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मीडिया के जरिए फैलाएं जागरूकता
मीडिया एक सशक्त माध्यम है। अखबार, टीवी, रेडियो के जरिए लोगों को अधिक जनसंख्या के कारण होने वाली हानि को बताया जाए। इसमें आंगनबाड़ी का भी सहयोग ले सकते हैं। सरकार भी 2 से अधिक संतान वालो को नौकरी न दे। नए कार्मिकों से भी 2 से अधिक संतान नहीं होने का शपथ पत्र भरवाया जाए।
अमृत शेर, बूंदी
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मीडिया एक सशक्त माध्यम है। अखबार, टीवी, रेडियो के जरिए लोगों को अधिक जनसंख्या के कारण होने वाली हानि को बताया जाए। इसमें आंगनबाड़ी का भी सहयोग ले सकते हैं। सरकार भी 2 से अधिक संतान वालो को नौकरी न दे। नए कार्मिकों से भी 2 से अधिक संतान नहीं होने का शपथ पत्र भरवाया जाए।
अमृत शेर, बूंदी
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हम दो हमारे एक
जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार ‘हम दो हमारे एकÓ की मुहिम चलाए तथा एक से अधिक संतान होने पर उस परिवार को राष्ट्रीय महत्व की योजनाओं, सरकारी सेवाओं आदि के लाभ से वंचित कर दिया जाना चाहिए।
श्योप्रकाश सहारण, पीलीबंगा, हनुमानगढ़
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जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार ‘हम दो हमारे एकÓ की मुहिम चलाए तथा एक से अधिक संतान होने पर उस परिवार को राष्ट्रीय महत्व की योजनाओं, सरकारी सेवाओं आदि के लाभ से वंचित कर दिया जाना चाहिए।
श्योप्रकाश सहारण, पीलीबंगा, हनुमानगढ़
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अंधविश्वास पर चोट जरूरी
जनसंख्या नियंत्रण के लिए सख्त कानून बनानाया जाए और उसकी कठोर पालना हो। इसके लिए किसी दंड का प्रावधान होना चाहिए। शिक्षा के लिए अभियान चलाया जाए, क्योंकि अशिक्षा भी एक कारण है जनसंख्या वृद्धि का। अंधविश्वास और लड़का-लड़की में भेद भी जनसंख्या को बढ़ावा देता है। सरकारी अभियानों के जरिए लोगो को जनसंख्या नियंत्रण का महत्व समझाया जाए।
-दीप्ति मिश्रा, कोटा
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जनसंख्या नियंत्रण के लिए सख्त कानून बनानाया जाए और उसकी कठोर पालना हो। इसके लिए किसी दंड का प्रावधान होना चाहिए। शिक्षा के लिए अभियान चलाया जाए, क्योंकि अशिक्षा भी एक कारण है जनसंख्या वृद्धि का। अंधविश्वास और लड़का-लड़की में भेद भी जनसंख्या को बढ़ावा देता है। सरकारी अभियानों के जरिए लोगो को जनसंख्या नियंत्रण का महत्व समझाया जाए।
-दीप्ति मिश्रा, कोटा
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बालिका सशक्तीकरण के बारे में जागरूक करना चाहिए।
अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि रोजगार, भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध करवाने में बाधक है। सरकार को ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों को परिवार नियोजन की शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। गर्भनिरोधक विधियां कम कीमत पर उपलब्ध होनी चाहिए। सामाजिक संगठनों और सरकार को लोगों को बालिका सशक्तीकरण के बारे में जागरूक करना चाहिए। अंतत: सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जनसंख्या का पूरा कार्यबल देश के विकास में शामिल हो।
-दीप्ति जैन, उदयपुर
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अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि रोजगार, भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध करवाने में बाधक है। सरकार को ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों को परिवार नियोजन की शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। गर्भनिरोधक विधियां कम कीमत पर उपलब्ध होनी चाहिए। सामाजिक संगठनों और सरकार को लोगों को बालिका सशक्तीकरण के बारे में जागरूक करना चाहिए। अंतत: सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जनसंख्या का पूरा कार्यबल देश के विकास में शामिल हो।
-दीप्ति जैन, उदयपुर
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जरूरी है शिक्षा
जनसंख्या नियंत्रण किसी कानून से नहीं, बल्कि शिक्षा के प्रचार प्रसार से संभव हो सकती हैं। सरकार को चाहिए कि वह शिक्षा को समान रूप से प्रत्येक भारतीय तक पहुंचाए। शिक्षित लोग यह बात जल्दी समझ पाएंगे कि देश की उन्नति के लिए क्या उचित है और क्या अनुचित।
-प्रखर गुप्ता, भीलवाड़ा
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जनसंख्या नियंत्रण किसी कानून से नहीं, बल्कि शिक्षा के प्रचार प्रसार से संभव हो सकती हैं। सरकार को चाहिए कि वह शिक्षा को समान रूप से प्रत्येक भारतीय तक पहुंचाए। शिक्षित लोग यह बात जल्दी समझ पाएंगे कि देश की उन्नति के लिए क्या उचित है और क्या अनुचित।
-प्रखर गुप्ता, भीलवाड़ा
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सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जाए
जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार को यह कानून लाना चाहिए चाहिए कि जिनके दो बच्चों से ज्यादा हों, उनकी हर सरकारी सुविधा खत्म हो जाएगी। ऐसे लोग किसी भी चुनाव में भाग नहीं ले सकेंगे।
-भगवती लाल जैन, मुणोत मैसूर
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जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार को यह कानून लाना चाहिए चाहिए कि जिनके दो बच्चों से ज्यादा हों, उनकी हर सरकारी सुविधा खत्म हो जाएगी। ऐसे लोग किसी भी चुनाव में भाग नहीं ले सकेंगे।
-भगवती लाल जैन, मुणोत मैसूर
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प्रभावी नीति बने
सरकार को हम दो हमारे दो की नीति को अधिक प्रभावी बनाना चाहिए, ताकि जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लग सके। साथ ही सभी प्रकार के सरकारी लाभ से उन्हें वंचित किया जाए, जिनके दो से अधिक संतान हो।
सवाईसिंह बिशाला , बाड़मेर
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सरकार को हम दो हमारे दो की नीति को अधिक प्रभावी बनाना चाहिए, ताकि जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लग सके। साथ ही सभी प्रकार के सरकारी लाभ से उन्हें वंचित किया जाए, जिनके दो से अधिक संतान हो।
सवाईसिंह बिशाला , बाड़मेर
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कठोर कानून जरूरी
जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार को कठोर कानून बनाना चाहिए। जिस व्यक्ति के दो बच्चें से ज्यादा हंै, उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाए।
मुकेश जैन अध्यापक, पड़ावा, झालावाड़
…………………………. जरूरी है जनसंख्या नियंत्रण कानून
जनसंख्या को नियंत्रण करना आज के दौर की सबसे प्रमुख चुनौती है। बढ़ती हुई जनसंख्या देश की आर्थिक स्थिति तो बिगाड़ती ही है, इसके साथ ही बेरोजगारी जैसी समस्याएं को भी जन्म लेती हैं। इसके नियंत्रण के लिए सरकार को जागरूकता के साथ-साथ कानून भी बनाना होगा। जनसंख्या नियंत्रण में सहयोग करना भी एक तरह से देशभक्ति ही है।
-योगेश कुमार झा पोरसा, मुरैना
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जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार को कठोर कानून बनाना चाहिए। जिस व्यक्ति के दो बच्चें से ज्यादा हंै, उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाए।
मुकेश जैन अध्यापक, पड़ावा, झालावाड़
…………………………. जरूरी है जनसंख्या नियंत्रण कानून
जनसंख्या को नियंत्रण करना आज के दौर की सबसे प्रमुख चुनौती है। बढ़ती हुई जनसंख्या देश की आर्थिक स्थिति तो बिगाड़ती ही है, इसके साथ ही बेरोजगारी जैसी समस्याएं को भी जन्म लेती हैं। इसके नियंत्रण के लिए सरकार को जागरूकता के साथ-साथ कानून भी बनाना होगा। जनसंख्या नियंत्रण में सहयोग करना भी एक तरह से देशभक्ति ही है।
-योगेश कुमार झा पोरसा, मुरैना
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नक्कारखाने में तूती की आवाज
बेतहाशा जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए तुरंत प्रभाव से कानून बनाया जाना चाहिए। ‘हम दो हमारे दोÓ का सरकारी नारा नक्कारखाने में तूती की आवाज सिद्ध हुआ है। इसलिए अब इस संबंध में कानून जरूरी है। यदि जनसंख्या पर लगाम नहीं लगाई गई, तो देश में बेरोजगारी, भुखमरी जैसी समस्याएं जटिल होती जाएंगी।
-डॉक्टर अशोक कुमार, पटना
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बेतहाशा जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए तुरंत प्रभाव से कानून बनाया जाना चाहिए। ‘हम दो हमारे दोÓ का सरकारी नारा नक्कारखाने में तूती की आवाज सिद्ध हुआ है। इसलिए अब इस संबंध में कानून जरूरी है। यदि जनसंख्या पर लगाम नहीं लगाई गई, तो देश में बेरोजगारी, भुखमरी जैसी समस्याएं जटिल होती जाएंगी।
-डॉक्टर अशोक कुमार, पटना
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सशक्त जनसंख्या नीति की आवश्यकता
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी 121 करोड़ थी तथा अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्तमान में यह 130 करोड़ को भी पार कर चुकी है। साथ ही वर्ष 2030 तक भारत की आबादी चीन से भी ज्यादा होने का अनुमान है। ऐसे में भारत के समक्ष तेजी से बढ़ती जनसंख्या एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि जनसंख्या के अनुपात में संसाधन सीमित हैं। इस स्थिति में जनसांख्यिकीय लाभांश जनसांख्यिकीय अभिशाप में बदलता जा रहा है।
जनसंख्या वृद्धि ने कई चुनौतियों को जन्म दिया है, जिसमें राष्ट्रीय संसाधनों पर अत्यधिक दबाव बढ़ा है। बढ़ी हुई आबादी में एक हिस्सा रोटी और रोजगार के सीमित अवसरों में अपराध के मार्ग को चुना, तो प्रशासन को भी लॉ एंड ऑर्डर स्थापना में चुनौती पेश हुई है। राष्ट्र की आय का बड़ा हिस्सा लोककल्याणकारी योजनाओं में खर्च हुआ है। इसके बावजूद पर्याप्त सुधार नजर नहीं आ रहे हैं।
स्वतंत्र भारत में सबसे पहला जनसंख्या नियंत्रण के लिए राजकीय अभियान वर्ष 1951 में आरंभ किया गया, किंतु इससे सफलता नहीं मिल सकी। इंदिरा गांधी सरकार ने वर्ष 1975 के आपातकाल के दौरान बड़े स्तर पर जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास किए। इस अभियान में खामियों के कारण इसका विरोध हुआ। घ्
जनसंख्या नियंत्रण के लिए भारत में एक मजबूत कानून आवश्यक हो गया है। इसके तहत 2 से अधिक संतान की स्थिति में सरकारी नौकरी में निर्योग्यता तय हो। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में बदलाव कर 2 से अधिक संतान वाले उम्मीदवारों की चुनाव लडऩे में निर्योग्यता तय हो। लोककल्याणकारी योजनाओं में 2 से अधिक संतान वाले दंपती को जीवन निर्वाह की आवश्यक योजनाओं के अतिरिक्त योजनाओं के लाभ से वंचित किया जए।
शिक्षा व जन-जागरूकता अभियान के तहत लोगों को अधिकाधिक जागरूक करने पर जोर दिया जाना। गरीबी ही सभी समस्याओं की जड़ होती है, लिहाजा गरीबी उन्मूलन पर ध्यान दिया जाए। परिवार नियोजन अपनाने वाले लोगों को आर्थिक-सामाजिक संबल व प्रोत्साहन देने वाली स्कीम लाई जाए।
-मुकेश रणवां, भीराणा ; सीकरद्ध
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी 121 करोड़ थी तथा अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्तमान में यह 130 करोड़ को भी पार कर चुकी है। साथ ही वर्ष 2030 तक भारत की आबादी चीन से भी ज्यादा होने का अनुमान है। ऐसे में भारत के समक्ष तेजी से बढ़ती जनसंख्या एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि जनसंख्या के अनुपात में संसाधन सीमित हैं। इस स्थिति में जनसांख्यिकीय लाभांश जनसांख्यिकीय अभिशाप में बदलता जा रहा है।
जनसंख्या वृद्धि ने कई चुनौतियों को जन्म दिया है, जिसमें राष्ट्रीय संसाधनों पर अत्यधिक दबाव बढ़ा है। बढ़ी हुई आबादी में एक हिस्सा रोटी और रोजगार के सीमित अवसरों में अपराध के मार्ग को चुना, तो प्रशासन को भी लॉ एंड ऑर्डर स्थापना में चुनौती पेश हुई है। राष्ट्र की आय का बड़ा हिस्सा लोककल्याणकारी योजनाओं में खर्च हुआ है। इसके बावजूद पर्याप्त सुधार नजर नहीं आ रहे हैं।
स्वतंत्र भारत में सबसे पहला जनसंख्या नियंत्रण के लिए राजकीय अभियान वर्ष 1951 में आरंभ किया गया, किंतु इससे सफलता नहीं मिल सकी। इंदिरा गांधी सरकार ने वर्ष 1975 के आपातकाल के दौरान बड़े स्तर पर जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास किए। इस अभियान में खामियों के कारण इसका विरोध हुआ। घ्
जनसंख्या नियंत्रण के लिए भारत में एक मजबूत कानून आवश्यक हो गया है। इसके तहत 2 से अधिक संतान की स्थिति में सरकारी नौकरी में निर्योग्यता तय हो। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में बदलाव कर 2 से अधिक संतान वाले उम्मीदवारों की चुनाव लडऩे में निर्योग्यता तय हो। लोककल्याणकारी योजनाओं में 2 से अधिक संतान वाले दंपती को जीवन निर्वाह की आवश्यक योजनाओं के अतिरिक्त योजनाओं के लाभ से वंचित किया जए।
शिक्षा व जन-जागरूकता अभियान के तहत लोगों को अधिकाधिक जागरूक करने पर जोर दिया जाना। गरीबी ही सभी समस्याओं की जड़ होती है, लिहाजा गरीबी उन्मूलन पर ध्यान दिया जाए। परिवार नियोजन अपनाने वाले लोगों को आर्थिक-सामाजिक संबल व प्रोत्साहन देने वाली स्कीम लाई जाए।
-मुकेश रणवां, भीराणा ; सीकरद्ध