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बड़ा सवाल, आखिर भारत और नेपाल संबंध क्यों खराब हो रहे हैं?

locationनई दिल्लीPublished: Sep 21, 2020 05:53:33 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया, पाठकों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी। पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

चीन के जाल में फंसा नेपाल
भारत और नेपाल के बिगड़ते संबंधो के पीछे एक ओर चीन की विस्तारवादी सोच व नीति है, वहीं दूसरी ओर वहां की वामपंथी सरकार है। चीन भारत को घेरने के उद्देश्य से हमारे सभी पड़ोसी देशों को आर्थिक सहायता एवं विकास का झांसा देकर उन पर नियंत्रण स्थापित करना चाहता है। चीन छोटे देशों को अपने ऋण के जाल में फंसाकर उन पर नियंत्रण स्थापित कर लेता है और उन्हें अपने एजेंडे के अनुसार चलाता है । हमारे महत्त्वपूर्ण एवं भरोसेेमंद देश नेपाल को भी उसने इसी जाल में फंसा लिया है। चूंकि नेपाल में अभी वामपंथी सरकार है और चीन वामपंथ का गढ़ है। अत: उसके लिए यह आसान है। अपनी इसी सोच के अनुसार वह नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में अपना नियंत्रण स्थापित कर रहा है, जिससे वह भारत पर नजर रख सके। नेपाल भी चीन के बहकावे में आकर यह भूल रहा है कि उसके लिए भारत ही ज्यादा महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि उसकी सभ्यता एवं संस्कृति सदियों से भारत से ही जुड़ी है और वहां की जनता यहां की मिट्टी में रची-बसी है। वह दिन दूर नहीं है, जब वहां की जनता बगावत करके सरकार के खिलाफ खड़ी होगी।
-श्याम सुन्दर कुमावत, किशनगढ़, अजमेर
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अनावश्यक हस्तक्षेप
दो बिल्लियों की लड़ाई में फायदा बंदर ही उठाता है। दक्षिण एशियाई देशों में विशेषकर भारत के पड़ोसी देशों में निवेश के नाम पर चीन की बढ़ती दखलअंदाजी ने माहौल बिगाड़ दिया है। वैसे नेपाल की भारत से नाराजगी 2015 में सामने आ गई थी, जब नेपाल सरकार ने भारत पर मधेसियों के समर्थन में नेपाल की आर्थिक घेराबंदी का आरोप लगाया। दो भाइयों के बीच की तनातनी का फायदा चीन उठा रहा है। नेपाल का चीन की ओबोर योजना का हिस्सा बनना, नेपाल के स्कूलों में चीनी भाषा मंदारिन को पढऩा अनिवार्य करना, भारत और नेपाल के बिगड़ते रिश्तों की वजह बन रहे हैं। नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव के बाद भारत-नेपाल संबंधों में कड़वाहट आती जा रही है।
अशोक कुमार शर्मा, झोटवाड़ा, जयपुर
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नेपाल के दावे पर सवाल
नेपाल भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी है और सदियों से चले आ रहे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंधों के कारण वह हमारी विदेश नीति में भी विशेष महत्त्व रखता है। नेपाल के लोगों ने विरोध और गुस्सा जाहिर करते हुए भारत पर देश की संप्रभुता की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। हालिया महीनों में नेपाल सीमा के पास सड़क निर्माण के काम की वजह से तनाव बढ़ा है। हालिया विवाद का कारण उत्तराखंड के धारचूला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ती एक सड़क है। नेपाल का दावा है कि काला पानी के पास पडऩे वाला यह क्षेत्र नेपाल का हिस्सा है और भारत ने नेपाल से वार्ता किए बिना इस क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य किया है। आधिकारिक रूप से नेपाल का नवीन मानचित्र जारी किया गया, जो उत्तराखंड के काला पानी, लंपियाधुरा और लिपुलेख को अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा मानता है।
-सदाम हुसैन खिलजी, देणोक, जोधपुर
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चीन के इशारे पर काम कर रही है नेपाल सरकार
भारत और नेपाल शुरू से ही परम् मित्र रहे हैं। वर्तमान में भारत और नेपाल के बीच सम्बन्ध बिगडऩे का प्रमुख कारण है नेपाल का अतिमहत्त्वाकांशी होना और वहां पर कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार का होना, जो चीन के इशारे पर काम कर रही है । चीन के बहकावे में आकर ही नेपाल भारत विरोधी गतिविधियां कर रहा है, जिसके कारण भारत और नेपाल के सम्बन्ध बिगड़ रहे हैं।
-कुशल सिंह राठौड़, कुड़ी भगतासनी, जोधपुर
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चीन पर भरोसा ठीक नहीं
भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक संबंध भी हैं, लेकिन कुछ समय से चीना नेपाल को लुभाने में लगा हुआ है। इसी कारण चीन ने पहले तो बेबुनियाद नक्शे जारी किए, फिर राम और अयोध्या के बारे में गलत बात की। नेपाल की केपी ओली सरकार नहीं जानती की चीन किसी का सगा नहीं है। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि भारत कभी अपने पड़ोसियों के साथ बुरा व्यवहार नहीं करता, लेकिन पड़ोसी गलत करता है तो भारत जवाब हमेशा देता रहता है। हमें पूरा भरोसा है कि भारत नेपाल संबंध जल्द सुधरेंगे
-अजय यादव, पथरिया, छत्तीसगढ़
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चिंताजनक
नेपाल में चीन के बढ़ते दखल व भारतीय क्षेत्र पर नेपाल के दावे के कारण वर्तमान में भारत व नेपाल के सबंध बिगड़ रहे हैं। यह वाकई चिंता की बात है।
– लक्ष्मण कुम्हार, बांय,चूरू
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नेपाल सरकार का अनुचित रवैया
भारत-नेपाल रिश्ते बिगाड़ने का मुख्य कारण नेपाली सरकार की गलत नीयत है। नेपाल जैसे देश के साथ हमारा रोटी-बेटी का रिश्ता है, उसका चीन की चाल में फंस जाना सही नहीं है। नेपाल की ओली सरकार चीन को को कई तरह की रियायतें दे रही हैं और बदले में अपने लिए सुरक्षा का प्रबंध कर रही है।
-प्रखर गुप्ता, भीलवाड़ा
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विश्वास बहाली जरूरी
नेपाल भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी है। सदियों से रोटी और बेटी के मजबूत रिश्ते निभाते दोनों देशों में हल्की सी दरार नजर आने लगी है। नेपाल ने नवीन मानचित्र जारी किया है, जो कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा बतलाया है। दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट तब आई ,जब सितंबर, 2015 में नया नेपाली संविधान अस्तित्व में आया, जिसका भारत ने स्वागत उस रूप में नहीं किया गया, जिस रूप में नेपाल को आशा थी। यहां के लाखों मधेसियों ने वर्ष 2015 में नागरिकता को लेकर व्यापक आंदोलन चलाया था जिसके पीछे भारत की शह होना बतलाया है। नेपाल को भारत की बिग ब्रदर की नीति पसंद नहीं है। विश्वास बहाली के लिए द्विपक्षीय वार्ता पर ध्यान देना होगा।
-मुकेश रणवां, भीराणा, सीकर
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नेपाल में चीन का निवेश
भारत और नेपाल के सम्बंध लगातार बिगड़ते ही जा रहे हैं। नेपाल सीमा विवाद पैदा कर रहा है। वह आर्थिक मोर्चे पर भारत को झटका देना चाहता है। असल में वह अब भारत की राह छोड़कर चीन का साथ चाहता है। चीन नेपाल में भारी निवेश करके नेपाल को लुभा रहा है। भारत नेपाल के संविधान में हुए बदलाव के खिलाफ है। भारत की नोटबन्दी की वजह से नेपाल को भी आर्थिक नुकसान हुआ था। इससे भी नेपाल नाराज था।
-सियाराम मीना, पिपलीया, बून्दी
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नक्शा विवाद मुख्य वजह
भारत-नेपाल नक्शा विवाद द्विपक्षीय सम्बन्धों में बिगाड़ की मुख्य वजह लगता है। चीन इस झगड़े को भड़का रहा है। नेपाल के लोगों द्वारा भारत पर देश की संप्रभुता की अनदेखी का आरोप लगाना, विरोध और गुस्सा जताना, भारत की ओर से नेपाल सीमा के पास सड़क निर्माण के बीच मुक्त आवाजाही, नेपाल द्वारा अपने नक्शे में भारत के क्षेत्र को दर्शाने की बातें दोनों देशों के संबंधों में में कटुता का कारण बनी हैं।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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नेपाल भ्रम में
नेपाल के आजकल पर उग आए हैं, जबकि भारत ने उसकी पूरी सहायता की है। नेपाल चीन की शरण में चला गया है। उसे नहीं पता कि चीन बाद में उसे बर्बाद कर देगा।
राम नरेश गुप्ता, सोडाला, जयपुर
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भारत को सतर्कता की जरूरत
भारत और नेपाल के संबंध बहुत अच्छे रहे हैं। विगत कुछ अरसे से दोनों देशों के संबंधों में तकरार देखने को मिल रही है । इसका कारण कहीं न कहीं चीन है। चीन विस्तारवादी नीति के चलते भारत के सभी पड़ोसी देशों को अपने प्रभाव में करने में लगा हुआ है। इसके चलते नेपाल भी अब हमसे दूरी बनाने में लगा हुआ है। नेपाल के प्रधानमंत्री चीन के संपर्क में हैं और वही बोल रहे हैं जो चीन चाहता है। भारत को सतर्क रहने की जरूरत है ।
-आशुतोष शर्मा, विद्यधरनगर, जयपुर
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नेपाल को लेकर उदासीन रहा भारत
भारत और नेपाल के बीच संबंध बिगडऩे का मुख्य कारण नेपाल में के पी शर्मा ओली की सरकार है। आज नेपाल की ओली सरकार आंख बंद करके चीन की गोद में जा बैठी है। साथ ही हमारी भारत सरकार भी नेपाल के साथ संबंधों को लेकर उदासीन है। इसी का फायदा उठाकर चीन नेपाल को समय-समय पर भारत के खिलाफ भड़काता रहता है। इसी का परिणाम है कि भारत और नेपाल के बीच संबंध दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं।
-सत्येंद्र सिंह जादौन, दतिया।
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बेबुनियाद आरोप
भारत ने सदैव नेपाल के साथ छोटे भाई के समान व्यवहार किया है। उसका आयात-निर्यात सब भारत पर निर्भर है। भारत और नेपाल का इतिहास उनकी मित्रता का गवाह रहा है। हाल ही में नेपाल में हुई राजनीतिक अस्थिरता से जनता का ध्यान भटकाने के लिए और नेपाल पर बढ़ते चीनी अंकुश को जनता से छिपाने के लिए भारत पर आरोप लगाए जा रहे है, जो कि बेबुनियाद हैं।
-मुकेश बालेवा,बाड़मेर
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नेपाल में बढ़ता चीनी दखल
नेपाल भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी देश है और सदियों से चले आ रहे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंधों के कारण वह हमारी विदेश नीति में भी विशेष महत्त्व रखता है। चीन का प्रभाव दक्षिण एशिया में लगातार बढ़ रहा है। नेपाल में चीन के बढ़ते दखल के बाद पिछले कुछ समय से भारत-नेपाल के बीच संबंधों में पहले जैसी गर्मजोशी देखने को नहीं मिल रही। चीन ने इसका पूरा-पूरा लाभ उठाते हुए नेपाल में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है। इसे देखते हुए भारत को कूटनीतिक सुझबूझ का परिचय देना होगा।
डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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चानी की नीति का परिणाम
भारत व नेपाल के बीच संबंधों में परिवर्तन होने का मुख्य कारण चीन की नीति है। चीन नेपाल को भड़का रहा है तथा आर्थिक मदद देकर भी उसे अपने तरफ कर रहा है। इससे नेपाल अब चीन की तरफ ही बोल रहा है और भारत के खिलाफ खड़ा हो रहा है।
-आराधना सोनी, पन्ना, मध्यप्रदेश
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नेपाल का अनुचित रवैया
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद ३७० हटने के बाद भारत सरकार ने एक नक्शा जारी किया था, जिसमें भारतीय सीमा का काला पानी क्षेत्र दिखाया गया। इसका नेपाल ने विरोध किया। साथ में चीन और भारत की सीमा पर भारत सड़क निर्माण अपने क्षेत्र में कर रहा है, जिस पर नेपाल ने आपत्ति जताई। भारत और नेपाल सांस्कृतिक दृष्टि से भी सपीप हैं। यह हो रहा है, जो गलत हो रहा है
-गोविंद सिंह, बेंगलूरु
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चीन की चाल
भारत नेपाल संबंध चीन की वजह से बिगड़ रहे हैं। चीन इन दिनों नेपाल में बड़ी तादाद में निवेश कर रहा है। चीन किसी भी कीमत पर नेपाल को अपने पक्ष का बनाना चाह रहा है। चीन यह चाहता है कि नेपाल की निर्भरता उसके ऊपर रहे, जिससे जब चाहे भारत के खिलाफ वह बड़ा मोर्चा खोल सकता है।
-मुकेश जैन, पिड़ावा, झालावाड़
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