Patrika Opinion: नौकरशाही को बदलना होगा अपना रवैया
Published: Oct 13, 2022 09:27:52 pm
ताजा मामला आइटी अधिनियम की धारा 66-ए का है। सुप्रीम कोर्ट से इस धारा को अमान्य करार दिए जाने के बावजूद विभिन्न राज्यों में इसका दुरुपयोग लगातार जारी है। 2015 में ही श्रेया सिंघल मामले में सुप्रीम कोर्ट इस कानून को खत्म कर चुका है। विचारणीय यह है कि आखिर कार्यपालिका में बैठे वे कौन लोग हैं जिन्हें शीर्ष कोर्ट की अवमानना का भय भी नहीं है।


भारत का उच्चतम न्यायालय
बार-बार ऐसे उदाहरण सामने आते रहे हैं जिनसे पता चलता है कि देश की नौकरशाही अदालतों के फैसलों का पालन करने-कराने में विफल हो रही है। बात सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। उनकी यह विफलता देश को अपने उद्देश्य हासिल करने में भी विफल कर रही है। ताजा मामला आइटी अधिनियम की धारा 66-ए का है। सुप्रीम कोर्ट से इस धारा को अमान्य करार दिए जाने के बावजूद विभिन्न राज्यों में इसका दुरुपयोग लगातार जारी है। 2015 में ही श्रेया सिंघल मामले में सुप्रीम कोर्ट इस कानून को खत्म कर चुका है। विचारणीय यह है कि आखिर कार्यपालिका में बैठे वे कौन लोग हैं जिन्हें शीर्ष कोर्ट की अवमानना का भय भी नहीं है।