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Caste Census : जातीय जनगणना को लेकर हिचक बरकरार, बहस अब भी जारी

locationनई दिल्लीPublished: Aug 02, 2021 08:35:16 am

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Patrika Desk

caste census : 1872 में शुरू हुई जनगणना प्रक्रिया में समय के अनुरूप कई परिवर्तन हुए हैं।1931 तक जनगणना में जातिगत आंकड़े शामिल किए जाते थे।2011 की जनगणना में विभिन्न प्रकार के कुल 29 सवाल पूछे गए।2021 की जनगणना देश की 16वीं जनगणना होगी।

Census 2021 In India : जातीय जनगणना को लेकर हिचक बरकरार, बहस अब भी जारी

Census 2021 In India : जातीय जनगणना को लेकर हिचक बरकरार, बहस अब भी जारी

हाल ही लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सरकार ने नीतिगत फैसला किया है कि जनगणना Census 2021 In India में अनुसूचित जाति व जनजाति (एससी-एसटी) को छोड़कर दूसरी जातियों की गणना Caste census नहीं की जाएगी। इसके बाद से ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं। इससे पूर्व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले भी यह मांग कर चुके हैं। नित्यानंद राय के हालिया बयान से पूर्व 31 अगस्त 2018 को तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में जनगणना 2021 पर हुई बैठक के बाद पीआइबी की ओर से जारी बयान में बताया गया था कि जनगणना में पहली बार ओबीसी आंकड़े सम्मिलित किए जाएंगे। असल में पिछड़ी जातियों की संख्या से संबंधित सही आंकड़ा ही नहीं है। 1931 की जनगणना के आधार पर मंडल आयोग ने पिछड़ों की संख्या 52 फीसदी बताई थी।

जातीय जनगणना की मांग-
लगभग हर जनगणना से पूर्व जातिगत जनगणना की मांग उठती है। अमूमन ओबीसी व वंचित वर्ग से जुड़े लोग ही यह मांग करते हैं, जबकि उच्च जाति वर्ग इसका विरोध करता आया है। नीतीश कुमार, जीतनराम मांझी और अठावले के अलावा बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव पंकजा मुंडे ने भी ट्वीट कर ऐसी ही मांग की थी। महाराष्ट्र विधानसभा ने 8 जनवरी को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से आग्रह किया था कि 2021 की जनगणना जाति आधारित हो। 1 अप्रेल को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने सरकार से जनगणना 2021 में ओबीसी जनसंख्या के आंकड़े दर्शाने की मांग की थी। हैदराबाद के जी.मल्लेश यादव ने जातिगत जनगणना की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई है।

कैसे रुकी जातीय जनगणना-
स्वतंत्र भारत में वर्ष 1951 से 2011 के बीच प्रकाशित जनगणना में अनुसूचित जाति-जनजाति संबंधी आंकड़े दिए गए हैं, लेकिन अन्य जातियों के नहीं। 1931 तक जनगणना में जातिगत आंकड़े शामिल किए जाते थे। हालांकि, 1941 में, जाति-आधारित डेटा एकत्र किया गया था, लेकिन प्रकाशित नहीं किया गया था। तत्कालीन जनगणना आयुक्त एम.डब्ल्यू.एम. येट्स ने एक नोट में कहा, ‘कोई अखिल भारतीय जाति तालिका नहीं होती… । केंद्रीय उपक्रम के हिस्से के रूप में इस विशाल और महंगी तालिका के लिए समय बीत चुका है।Ó यह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान था। तब से यह काम अटका हुआ है।

इस बार होगी डिजिटल जनगणना –
वर्ष 1872 में शुरू हुई जनगणना प्रक्रिया में समय के साथ कई परिवर्तन हुए हैं। 2021 की जनगणना डिजिटल होगी यानी पूरी तरह से कागज रहित। जनसंख्या के आंकड़ों के संग्रहण तथा वर्गीकरण की प्रक्रिया पूर्णतया डिजिटल होगी। जनगणना की प्रक्रिया में मोबाइल एप का प्रयोग किया जाएगा। जनगणना की देखरेख के लिए एक जनगणना पोर्टल विकसित किया जाएगा। इसमें जनसांख्यिकी और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक मापदंडों जैसे शिक्षा, एससी/एसटी, धर्म, भाषा, विवाह, विकलांगता, व्यवसाय और व्यक्तियों के प्रवास पर डेटा एकत्र किया जाना है। प्रवासन के कारणों का डेटा भी एकत्र किया जाएगा।

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