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द वाशिंगटन पोस्ट से… बच्चों को वैक्सीन की जरूरत रोका जाए भ्रामक प्रचार

locationनई दिल्लीPublished: Oct 28, 2021 09:09:48 am

Submitted by:

Patrika Desk

कोविड-19 : वैक्सीनेशन से बच्चों का स्वास्थ्य ठीक रहेगा

द वाशिंगटन पोस्ट से... बच्चों को वैक्सीन की जरूरत रोका जाए भ्रामक प्रचार

द वाशिंगटन पोस्ट से… बच्चों को वैक्सीन की जरूरत रोका जाए भ्रामक प्रचार

लीना एस. वेन (फिजिशियन व स्तम्भकार)

खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए), यूएस के सलाहकारों ने मंगलवार को 5 से 11 साल के बच्चों के लिए फाइजर/ बायोएनटेक की वैक्सीन की सिफारिश कर कोविड-19 महामारी उन्मूलन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। लाखों और लोगों को कोरोना वैक्सीन लगने से महामारी की दिशा बदल सकती है। इससे सामुदायिक संक्रमण में भी कमी आएगी। हालांकि इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि छोटे बच्चों को बीमारी, अपंग होने या जान जाने का खतरा नहीं रहेगा। कई ऐसे डेटा सामने आए हैं कि छोटे बच्चों को कोरोना वायरस नहीं होता। यह मात्र भ्रामक प्रचार है। महामारी शुरू होने के बाद 5 से 11 वर्ष के कम से कम 18 लाख बच्चे कोविड-19 संक्रमित हुए।

फिलहाल इस उम्र के 10 प्रतिशत से ज्यादा बच्चों में संक्रमण के नए मामले पाए गए। 8600 से ज्यादा बच्चे अस्पताल में भर्ती करवाए गए। इनमें हर तीन में से एक बच्चे को आईसीयू में भर्ती करना पड़ा। दुर्भाग्य से 143 बच्चों की मृत्यु हो गई। जिन बच्चों में बीमारी के गंभीर लक्षण पाए गए, उनमें से ज्यादातर बच्चे मोटापे और अस्थमा से परेशान हैं। छोटे बच्चों में एमआइएस-सी बीमारी के लक्षण पाए गए। कोविड-19 संक्रमण के कई सप्ताह बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं। इससे शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं और इसका असर लम्बे समय तक रह सकता है।

यह सच है कि वयस्क कोविड संक्रमण से ज्यादा बीमार पड़ते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि बच्चों को कोविड नहीं होता। कल्पना कीजिए, अगर कोई ऐसी बीमारी हो, जो केवल छोटे बच्चों को ही होती हो। मान लीजिए, हजारों बच्चे बीमार हुए। इनमें से 100 से अधिक की मृत्यु हो गई और बाकी बीमारी के बाद के गंभीर लक्षणों से जूझ रहे हैं। ऐसे में, क्या इस जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए बच्चों की वैक्सीन बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए? फाइजर की वैक्सीन इसी उद्दश्य को पूरा करेगी।

एफडीए सलाहकारों ने व्यापक समीक्षा में पाया कि फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट मायोकार्डिटिस ही है, जो 30 साल की उम्र तक के युवाओं में पाया जाता है। लेकिन यह प्रभाव बहुत हलका होता है और कुछ दिन में अपने आप ही ठीक हो जाता है। ज्यादातर लोगों में इसके कोई लॉन्ग टर्म प्रभाव नहीं पाए जाते। बच्चों से स्कूल में कोरोना संक्रमण फैल सकता है। इसलिए लाखों बच्चों का टीकाकरण कर कोरोना वायरस के फैलाव से बचा जा सकता है।

छोटे बच्चों के लिए वैक्सीन अधिकृत करने का मुख्य कारण बच्चों को सुरक्षित करना है। इससे कोरोना से बचाव को लेकर दिमागी तौर पर लोग आश्वस्त रहेंगे और अपने ऑफिस व कहीं भी जाने-आने में नहीं हिचकेंगे। इससे स्कूल भी नहीं छूटेगा, क्योंकि रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार वैक्सीन लगाने के बाद कोविड-19 के सम्पर्क में आने पर भी लोगों को क्वारंटीन करने की जरूरत नहीं होती।

टीकाकरण से बच्चों को भी वह सब करने की छूट मिलेगी, जो कोरोना के डर से वे नहीं कर पा रहे थे। कई माता-पिता कोरोना के जोखिम से बचने के लिए बच्चों को पाठ्यक्रम से इतर गतिविधियों से दूर रखे हुए हैं। वैक्सीन लगाने के बाद बच्चे खेल एवं अन्य गतिविधियों में भाग ले सकेंगे। कोरोना काल में बच्चों ने काफी कुछ सहा है। टीकाकरण के बाद वे आम जीवन जी सकेंगे। सभी स्कूली बच्चों को वैक्सीन लगने से उनका स्वास्थ्य सुरक्षित होगा और वे कोरोना पूर्व की सामान्य दिनचर्या में लौट सकेंगे।

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