patrika opinion आतंकियों पर चीन का दोहरा रवैया खतरनाक
मक्की के मामले में नरम रुख अपनाकर चीन ने खुद अपने दोहरे मापदंड को बेपर्दा कर दिया है। यह पहला मौका नहीं है, जब चीन ने आतंकवाद पर पलटी मारी है। मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव को भी चीन ने दस साल तक लटकाए रखा था।
Published: June 20, 2022 06:45:26 pm
पाकिस्तानी आतंकी अब्दुल रहमान मक्की के मामले ने चीन की कथनी और करनी के फर्क को जगजाहिर कर दिया है। चीन के वीटो के कारण मक्की को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की काली सूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। मक्की को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने का संयुक्त प्रस्ताव भारत और अमरीका ने पेश किया था। मक्की, लश्कर-ए-तैयबा के सरगना और 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद का रिश्तेदार है। वह जम्मू-कश्मीर में हिंसा का साजिश रचने, धन जुटाने, आतंकियों की भर्ती करने और युवकों को कट्टरपंथी बनाने में शामिल रहा है।
भारत के अलावा अमरीका ने भी उसे पहले से आतंकी घोषित कर रखा है। अमरीका में उस पर 20 लाख डॉलर का इनाम है। वह पाकिस्तान में भारत विरोधी भाषण देता रहा है। कई आतंकी संगठनों से उसकी मिलीभगत है। तालिबान नेता मुल्ला उमर और अल कायदा के अयमान अल-जवाहिरी से भी उसके करीबी संबंध बताए जाते हैं। मक्की को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने की प्रक्रिया में अड़चन पैदा कर चीन ने अपने दोस्त पाकिस्तान को भले राहत दी हो, उसका यह कदम आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को बड़ा झटका है। पिछले साल अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद आतंकवाद को लेकर चीनी नेताओं के सख्त बयानों से लगा था कि चीन भी इस समस्या के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय लड़ाई का हिस्सा बन सकता है। इस संभावना को पिछले साल उस समय भी बल मिला, जब पाकिस्तान में अपने नौ इंजीनियरों की हत्या से बौखलाए चीन ने धमकी दी थी कि आतंकियों को पाकिस्तान अगर जल्द नहीं पकड़ता है, तो वह वहां घुसकर आतंकियों पर मिसाइल हमले करेगा। ग्लोबल काउंटर टेररिज्म फोरम की पिछले अक्टूबर में हुई बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने सभी देशों से आतंकवाद पर दोहरा मापदंड छोडऩे की अपील की थी। उन्होंने कहा था, 'आतंकवाद बाघ की तरह है, जो अपने पालने वाले को खा जाता है।'
मक्की के मामले में नरम रुख अपनाकर चीन ने खुद अपने दोहरे मापदंड को बेपर्दा कर दिया है। यह पहला मौका नहीं है, जब चीन ने आतंकवाद पर पलटी मारी है। मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव को भी चीन ने दस साल तक लटकाए रखा था। दरअसल, भारत और पाकिस्तान से जुड़े मसलों में चीन अक्सर आंख मूंदकर पाकिस्तान की पैरवी करता रहा है। चीन यह दोहरा रवैया पाकिस्तान से ज्यादा खतरनाक है।

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