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Patrika Opinion: चीन: सख्ती ने पकड़ी जनआंदोलन की राह

Published: Nov 28, 2022 10:16:26 pm

Submitted by:

Patrika Desk

राष्ट्रपति जिनपिंग को तीसरी बार सत्ता मिलने का रास्ता साफ होने के चंद दिनों बाद ही शुरू हुआ यह आंदोलन धीरे-धीरे उग्र होने लगा है। आंदोलनकारी चीन को अनलॉक करने के साथ जिनपिंग से गद्दी छोड़ने और प्रेस की आजादी की मांग भी उठा रहे हैं।
 

प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

तैंतीस साल बाद फिर चीन में लोकतंत्र लाने की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है। देश के १५ बड़े शहरों में सरकार विरोधी प्रदर्शन होना सामान्य घटना नहीं है। इससे पहले १९८९ में एक पार्टी के शासन वाले चीन में अब तक के सबसे बड़े सरकार विरोधी प्रदर्शन ने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी को हिलाकर रख दिया था। प्रदर्शन को सरकार ने कुचल दिया था। पुलिस फायरिंग में हजारों लोग मारे गए थे। पचास दिन चले हिंसक आंदोलन को देखकर लगा था कि दुनिया में चल रही लोकतंत्र की हवा शायद जल्द ही चीन तक भी पहुंच जाए। लेकिन, वहांं हमेशा की तरह आंदोलन सफल नहीं हो पाया।
तीन दशक पहले हुए इस आंदोलन की बड़ी वजह महंगाई और भ्रष्टाचार बने थे, जबकि इस बार आंदोलन का कारण कोरोना महामारी से बचाव के लिए लागू की गई बंदिशें बन रही हैं। घर में कैद चीनी सडक़ों पर घूमना चाहते हैं, लेकिन सरकार की सख्ती से वे विवश हैं। कोरोना की बंदिशों को आधार बनाकर शुरू हुए इस आंदोलन में कम्युनिस्ट शासन को समाप्त करने की मांग भी जुड़ गई है। राष्ट्रपति जिनपिंग को तीसरी बार सत्ता मिलने का रास्ता साफ होने के चंद दिनों बाद ही शुरू हुआ यह आंदोलन धीरे-धीरे उग्र होने लगा है। आंदोलनकारी चीन को अनलॉक करने के साथ जिनपिंग से गद्दी छोडऩे और प्रेस की आजादी की मांग भी उठा रहे हंै। जब दुनिया के दूसरे देशों में कोरोना कहर बरपा रहा था, तब चीन सुरक्षित था। लेकिन, अब चीन में कोरोना के बढ़ते मामले जनता को डराने लगे हैं। लोगों की शिकायत है कि उन्हें रोजमर्रा का सामान लेने के लिए घर से बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है। इसके बावजूद घर से बाहर निकलने पर की जा रही सख्ती उन्हें आंदोलन की राह पर ले जा रही है। हैरत की बात यह है कि चीन में हो रहे विरोध प्रदर्शन की खबरें दुनियाभर में प्रकाशित हो रही हैं, लेकिन चीनी मीडिया ने इस पर चुप्पी साध रखी है।
नियमों की सख्ती के चलते चार दिन पहले एक इमारत में लगी आग से दस लोगों की मौत हो गई थी। लॉकडाउन की सख्ती के कारण राहत समय पर नहीं पहुंच पाई। लोगों का गुस्सा तब और भडक़ उठा जब अधिकारियों ने आग से मरने के पीछे इमारत में रहने वालों को ही दोषी ठहरा दिया। कोरोना लॉकडाउन से उपजा गुस्सा चीन के आंदोलन को किस दिशा में ले जाएगा, इस पर दुनियाभर की निगाहें हैं। आंदोलन की सफलता और विफलता तय करेगी कि चीन में लोकतंत्र की बयार अभी बहेगी या नहीं?
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