देश आजादी के 75 साल पूरे करने वाला है। इस अवधि में देश ने विकास की नई ऊंचाइयों को छुआ है, लेकिन आज भी एक बड़ा वर्ग मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करता नजर आ रहा है। देश को आजादी दिलाने के संघर्ष काल में महात्मा गांधी, सरदार पटेल और तमाम स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में जिस भारत का सपना देखा था, वह आज भी पूरी तरह साकार नहीं हो पाया है। देश के करोड़ों गरीब जीवनयापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो महिलाओं को समानता के लिए आज भी जूझना पड़ रहा है। जनजातीय परिवार में जन्मीं मुर्मू आदिवासियों का दर्द भी जानती हैं और महिलाओं का भी। गरीबी उन्होंने नजदीक से देखी है। ऐसे में देश यह तो उम्मीद कर ही सकता है कि उसे एक ऐसा राष्ट्रपति मिला है जो उनके दुख-दर्द को समझता है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने जिस तरह राष्ट्रपति पद की गरिमा को आगे बढ़ाया था, मुर्मू भी उस परम्परा को आगे बढ़ाएंगी। मुर्मू को देश की सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य मिला है। कोरोना महामारी के दौर में भारत ने वैश्विक स्तर पर नई पहचान बनाई है। यह भारत के लिए बदलाव का दौर है। हम नए भविष्य के निर्माण की तरफ बढ़ रहे हैं। युवाओं के हौसलों को नई उड़ान देने के लिए नए सिरे से नीतियां बनाने का भी यही समय है।
देश आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है। अगले 25 साल हमारे लिए महत्त्वपूर्ण रहने वाले हैं। हमारे विकास की गति तय करेगी कि दुनिया में हम कहां होंगे। हमारा मुकाबला किसी और से नहीं, बल्कि अपने आप से होना है। राजनीतिक टकराव पर लगाम लगाने में यदि हम सफल रहे तो हमारा भविष्य सुनहरा होगा। विविधताओं से भरे इस देश में जितने अवसर हैं, उतनी ही चुनौतियां भी। देखना होगा कि हम किस तरह चुनौतियों को पार करके अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम होते हैं।