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नाज है हमें इन पर

Published: Feb 16, 2017 10:31:00 am

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यह बात सही है कि हम अंतरिक्ष कार्यक्रमों का व्यावसायिक इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके बावजूद सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया के फ्रांस, ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देशों तथा रूस, चीन और अमरीका से प्रतिस्पर्धा को तैयार है?

भारत ने अंतरिक्ष में नया कीर्तिमान स्थापित किया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) के जरिए एक साथ 104 उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर विश्व रिकॉर्ड बना दिया। इस अपूर्व सफलता के लिए इसरो के प्रमुख ए.एस. किरन कुमार सहित सभी वैज्ञानिक और कर्मचारियों को बधाई। देश को गर्व है इन पर। 
पिछले 33 सालों (1994 से) में भारतीय अंतरिक्ष अभियान के तहत 40 मिशन सफलतापूर्वक पूरे कर चुका है। अपने अभियान हाथ में लेने के साथ हम अंतरिक्ष में व्यावसायिक अभियान भी चला रहे हैं जिससे बड़ी मात्रा में राजस्व भी प्राप्त हो रहा है। 
यह बात सही है कि हम अंतरिक्ष कार्यक्रमों का व्यावसायिक इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके बावजूद सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया के फ्रांस, ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देशों तथा रूस, चीन और अमरीका से प्रतिस्पर्धा को तैयार है? इसका जवाब यही है कि फिलहाल हम काफी पीछे हैं। 
यदि अंतरिक्ष प्रक्षेपण व अनुसंधान के क्षेत्र में हमें इन देशों के समकक्ष आना है तो 4500-5000 किलोग्राम वजनी उपग्रहों को अंतरिक्ष की और ऊंचाई वाली कक्षा में स्थापित करने की क्षमता हासिल करनी होगी क्योंकि पीएसएलवी 2000 किलोग्राम तक ही पेलोड ले जाने में सक्षम है। 
यह भी एक तथ्य है कि 5000 किलो पेलोड की क्षमता हासिल करने पर ही हमें उतना राजस्व मिल सकता है जिससे कि अभियान खर्च निकालकर लाभ में आ जाए। 300 अरब डॉलर के अंतरिक्ष उद्योग में फ्रांस और चीन से मुकाबले के लिए हमें अपने उन्नत जीएसएलवी कार्यक्रम को शीघ्र पूरा करना होगा। 2014 में जीएसएलवी-डी-5 के जरिए भारत अंतरिक्ष में भारी सेटेलाइट भेजने का प्रयोग सफलतापूर्वक कर चुका है। 
जीएसएलवी-एमके-2 का प्रयोग भी गत सितंबर में सफल रहा था। जीएसएलवी एमके-3 पर काम चल रहा है। यदि यह सफल रहा तो इसरो 2019 तक 50 मिशन में 500 भारी सेटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित करने के लक्ष्य को पा ही लेगा। एक बार फिर पूरे मिशन को देशवासियों की ओर से बधाई।
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