कांग्रेस के मुताबिक, यह उसका अंदरूनी मामला भी है और विवेकाधिकार भी कि वह कब तक खामोश रहना चाहेगी और कब टीवी चैनलों पर आकर अपना पक्ष रखना पसंद करेगी। लेकिन देश की मुख्य विपक्षी पार्टी होने के नाते यह उम्मीद तो की ही जा सकती है कि कांग्रेस और उसके प्रवक्ता जरूरी मुद्दों पर सामने आकर बात करें, सरकार के कामों पर सवाल उठाएं और उसे प्रभावी तरीके से सामने लाएं। दरअसल, प्रवक्ताओं को अपनी बात रखने का वक्त नहीं मिलना चुप्पी साध लेने की वजह नहीं है, बल्कि ऐसा करने के पीछे वजह यह है कि कांग्रेस के प्रवक्ता पूरी तैयारी के साथ मैदान में नहीं आ पा रहे हैं। यदि आ रहे होते तो आज शायद देश में न तो कांग्रेस की हालत इतनी बुरी होती और न ही पार्टी प्रवक्ताओं को टीवी चैनलों से दूर रहने का फैसला करना पड़ता।
लोकसभा चुनाव के परिणामों से यह सवाल स्वाभाविक है कि कांग्रेस पूरे चुनाव में जनता को यह बताने में भी कामयाब नहीं हो सकीकि आखिर उसे वोट क्यों दिया जाए। 72 हजार रुपए कांग्रेस कैसे देगी, इसका भी जवाब कांग्रेस कभी सीधा-सीधा नहीं दे पाई। स्पष्ट है कि जब टीम बिना तैयारी के मैदान में खेलने के लिए उतरेगी तो नुकसान उसे भुगतना ही पड़ेगा। जिस वक्त में राजनीति के मैदान में प्रवक्ताओं की टीम मजबूत हो रही है और दमदारी से अपनी बात रख रही है, उस वक्त में विपक्ष का मैदान छोडऩा, भले ही कुछ समय के लिए, सही नहीं कहा जा सकता। समाजवादी पार्टी भी हाल ही अपनी हार का ठीकरा प्रवक्ताओं पर फोड़ चुकी है। सपा का मानना है कि पार्टी प्रवक्ता जनता के बीच सही तस्वीर नहीं रख पाए।
कांग्रेस को एक बार फिर सोचना होगा कि खामोश हो जाना बेहतर है या फिर पार्टी की सही तस्वीर जनता के सामने पेश न कर पाने की उनके लोगों की नाकाबिलियत के कारण तलाशना। क्यों उनके प्रवक्ता दूसरी पार्टियों के प्रवक्ताओं के सामने कमजोर साबित हो रहे हैं, खासकर तब जबकि विपक्ष में रहकर वे ज्यादा आक्रामक हो सकते हैं। समीक्षा से दो ही बातें सामने आ सकती हैं- या तो उसके प्रवक्ता कुशल नहीं हैं या फिर उसकी नीतियों में मतदाताओं को प्रभावित करने की ताकत नहीं हैं। लगता है कि कांग्रेस आत्ममंथन छोड़कर अपनी नाकामियों का ठीकरा मीडिया पर फोड़ बचना चाह रही है। यह कहकर बच निकलना चाहती है कि उसके प्रवक्ताओं को अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला, इसलिए बड़ी हार झेलनी पड़ी। बेहतर होता कि कांग्रेस भी सपा से सीख लेती, जिसने गलतियों के लिए अपने प्रवक्ताओं को जिम्मेदार माना।