लोन लेना पड़ेगा-
गहलोत ने योजनाओं और घोषणाओं को पूरा करने के लिए वित्त व्यवस्था से जुड़े सवाल पर कहा कि वर्ष 2020-2021 के लिए 15वें वित्त आयोग ने सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले ऋण के लिए 4 प्रतिशत छूट देने की सिफारिश की है। फिलहाल हम 3.98 प्रतिशत लिमिट में हैं और अभी भी हमारे पास ऋण लेने की गुंजाइश है। वित्तीय प्रबंधन बेहतर करेंगे, लीकेज रोकेंगे और राजस्व अर्जन बढ़ा कर योजनाओं और घोषणाओं को पूरा करेंगे।
राज्य के 14,000 करोड़ अटके-
मुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के पास राजस्व अर्जन के विकल्प कम बचे हैं। केंद्र के पास आरबीआइ है, और भी कई विकल्प हैं। कोविड के कारण 23 प्रतिशत राजस्व कम मिला है। इधर, पेट्रोल-डीजल से मिलने वाला हिस्सा भी राज्य सरकार से छीन लिया गया है। 14,000 करोड़ रुपए केंद्र के पास अटके हुए हैं। कोरोना काल में बेहतर वित्तीय प्रबंधन के कारण ऐसा बजट ला पाए हैं।
अमीर-गरीब की अलग हों दरें-
गहलोत ने कहा कि अमीर तो महंगाई की मार झेल सकता है, लेकिन गरीब क्या करे। पेट्रोल की कीमतें अमीर के लिए अलग और गरीब के लिए अलग, ऐसा तो नहीं है। यदि कीमतें कम नहीं कर सकते, तो केंद्र ऐसा उपाय निकाले कि अमीर के लिए दाम अलग हों और गरीब के लिए अलग। गहलोत ने कहा – ‘सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और उनकी धज्जियां उड़ा दी हैं। लोग कष्ट में हैं, लेकिन अमीर-गरीब, व्यापारी-नौकरीपेशा सभी का स्वाभिमान होता है।
50 रुपए लीटर मिलना चाहिए पेट्रोल-
मुख्यमंत्री ने कहा – ‘हमने पेट्रोल-डीजल पर 2 प्रतिशत वैट कम किया, इससे 1000 करोड़ का नुकसान होगा। लेकिन जनता को फायदा इसलिए नहीं मिला कि केंद्र की ओर से पेट्रोल-डीजल की दरें फिर बढ़ा दी गईं। राज्य और वैट नहीं घटा सकता, हरियाणा में एवं अन्य राज्यों में यहां से ज्यादा वैट है। यूपीए सरकार में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय दरें चौगुनी थीं, लेकिन कभी तेल की कीमतें ऐसी नहीं रहीं। कच्चे तेल की वर्तमान अंतरराष्ट्रीय कीमतों के हिसाब से आमजन को पेट्रोल 50 रुपए लीटर मिलना चाहिए।’
हेल्थ कवरेज, किसान बजट समय की मांग-
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान अपनी तरह का पहला राज्य है, जिसने सभी के लिए यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के तहत 5 लाख रुपए का कवरेज दिया है। कोई भी ले सकता है, अमीर हो या गरीब। वहीं किसान बजट भी समय की मांग है। किसानों की समस्याएं अलग होती हैं। बिजली में वीसीआर भरने, बिजली कनेक्शन, सिंचाई आदि समस्याएं हैं, कृषि पर अलग से आने वाले बजट में जिन बिंदुओं पर ध्यान दिया जाएगा।