कला के विभिन्न स्वरूपों की बुनियाद है चिंतन
Published: Jul 27, 2023 07:09:22 pm
कला और कलाकार: विषय के प्रति निष्ठा है जरूरी


कला के विभिन्न स्वरूपों की बुनियाद है चिंतन
आर.बी. गौतम
कलाविद और वरिष्ठ पत्रकार
....................................... हमारा चिंतन दो ध्रुवों पर आधारित रहता है। इनमें एक को यथार्थता कहा जा सकता है तो दूसरे को कल्पनाशीलता। यथार्थता के माध्यम से हम बाह्य रूपों को प्राप्त करते हैं तो कल्पनाशीलता के माध्यम से आंतरिक जगत में बाह्य जगत से प्रत्यक्षीकृत विषय-वस्तुओं का खेल खेलते हैं। सही मायने में हमारा चिंतन इन दो धु्रवों की मिश्रित प्रक्रिया से ही जुड़ा होता है। अधिकांश देशों में चिंतकों को समुचित सम्मान मिलता है। वस्तुत: कला के विभिन्न स्वरूपों की बुनियाद ही चिंतन है। इस चिंतन के अभाव में कोई भी कला हो, कला की श्रेणी में नहीं रख सकते। इसीलिए साहित्यकार, संगीतज्ञ व चित्रकार भी सृजनात्मकता में ऐसे ही चिंतन में संलग्न होते हैं। यदि पूछा जाए कि आखिर वह कौन-सा गुण है जिसके कारण किसी कलाकार को सृजनात्मक गुणों से संपन्न समझा जाता है, तो सृजनात्मकता का गुण ही वह गुण है जो किसी अद्भुत कृति को जन्म देता है।