script‘लॉकडाउन’ ने खोले शिक्षा जगत में क्रांति के द्वार | Coronavirus epidemic lockdown MHRD revolution in education and online education system | Patrika News

‘लॉकडाउन’ ने खोले शिक्षा जगत में क्रांति के द्वार

locationनई दिल्लीPublished: Apr 19, 2020 12:33:54 pm

Submitted by:

Prashant Jha

लॉकडाउन ने शिक्षा जगत में ‘डिजिटल क्रांति’ के लिए द्वार खोल दिये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी पहल ‘डिजिटल इंडिया’ ने सरकार, सरकारी सेवाओं और आम नागरिकों के बीच की दूरियां मिटा दी हैं। अब ‘डिजिटल लर्निंग’ के विस्तार से विद्वान अध्यापकों और सुदूर देहात में रह रहे जिज्ञासु विद्यार्थियों के बीच की दूरियां भी खत्म होंगी। डिजिटल कंटेंट की बढ़ती मांग देश में बड़े पैमाने पर रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध करायेगी।

nishank.jpg

डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ (केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री)

आज से साढ़े पांच दशक पहले 1964 में, कनाडा के प्रसिद्ध दार्शनिक मार्शल मैकलुहान ने कहा था- ‘संस्कृति की सीमाएं खत्म हो रही हैं और पूरी दुनिया एक ‘ग्लोबल विलेज’ (वैश्विक गांव) में तब्दील हो रही है।’ करीब ढाई दशक पहले, 1997 में, ब्रिटेन की वरिष्ठ अर्थशास्त्री एवं पत्रकार फ्रैंसिस कैर्नकोर्स ने ‘द डेथ ऑफ डिस्टेंस’ सिद्धांत दिया था जिसमें कहा गया ‘कि दुनिया की दूरियों का अंत हो गया है।’ लेकिन, उन महान विभूतियों ने भी शायद ‘वैश्विक महामारी’ और ‘वैश्विक लॉकडाउन’ जैसे किसी परिदृश्य की कल्पना नहीं की होगी, जिनसे आज पूरी दुनिया एक साथ जूझ रही है। कोरोना के संकट ने आज दुनियाभर में लोगों को अपने-अपने घरों में कैद कर दिया है।

हमारे यहां यह कहावत काफी प्रचलित है- ‘प्रत्येक चुनौती अपने साथ कुछ नए अवसर भी लाती है। जरूरत है उन अवसर को पहचानने और उनका लाभ उठाने की। ‘मुझे संतोष है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मौजूदा अभूतपूर्व वैश्विक संकट में छिपे अवसर की पहचान की और उनका लाभ उठाने के लिए तत्परता से कारगर प्रयास कर रहा है।

‘लॉकडाउन’ के कारण देशभर में शिक्षण संस्थान बंद हैं। विभाग के सामने दो रास्ते थे। पहला आसान रास्ता था कि इसे ‘छुट्टी के दिन’ मानकर ‘लॉकडाउन’ खत्म होने का इंतजार किया जाये। जबकि, दूसरा रास्ता था, विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए नए प्रयास किए जाएं। विभाग ने दूसरे रास्ते को चुना और दो हफ्ते में ही ज्यादातर घरों के परिदृश्य बदल गए हैं। आज देश में करोड़ों विद्यार्थी अपने-अपने घरों में बैठकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं, ई-लर्निंग प्लेटफॉम्र्स और डिजटल लाइब्रेरीज तक पहुंच रहे हैं और एजुकेशनल चैनलों को देख रहे हैं।

इस नए परिदृश्य में संभावनाओं को नया आकार देने के लिए एचआरडी मंत्रालय ने अपने आपको तेजी से परिवर्तित किया है। शिक्षा के डिजिटल प्लेटफार्मों तक विद्यार्थियों की पहुंच बढ़ाने के लिए मंत्रालय ने कई स्तरों पर प्रयास तेज कर दिए हैं। विभाग की पहल पर देश के अधिकतर स्कूल अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म शुरू कर चुके हैं और नए शैक्षणिक सत्र के मुताबिक बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शिक्षकों के व्याख्यान विद्यार्थियों तक पहुंचाने के साथ-साथ व्हाट्सएप के जरिये भी उन्हें जरूरी नोट्स तथा मंत्रालय के ई-लर्निंग प्लेटफार्मों के लिंक उपलब्ध करा रहे हैं। बहुत से शिक्षक छात्रों के सवाल का जवाब देने के लिए उनके साथ ऑनलाइन चैट भी कर रहे हैं।


इसी बीच 23 मार्च के बाद से मंत्रालय के ई-लॢनंग प्लेटफार्मों तक करीब डेढ़ करोड़ लोग पहुंच चुके हैं। इस दौरान राष्ट्रीय ऑनलाइन शिक्षा मंच swayam तक पहुंच में पांच गुना से अधिक की वृद्धि हुई है और इसे ढाई लाख से अधिक बार एक्सेस किया जा चुका है। swayam मंच पर उपलब्ध 574 पाठ्यक्रमों में करीब 26 लाख विद्यार्थी नामांकित हैं। ‘स्वंय प्रभा’ टीवी चैनल को रोज करीब 59 हजार लोग देख रहे हैं। ‘लॉकडाउन’ शुरू होने के बाद से इस चैनल को लगभग सात लाख लोग देख चुके हैं।

‘लॉकडाउन’ के बाद नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी को 15 लाख से अधिक बार एक्सेस किया जा चुका है। इसी कड़ी में एनसीईआरटी के शिक्षा पोर्टल दीक्षा, ई-पाठशाला, एनआरओईआर, एनआईओएस इत्यादि के वरिष्ठ माध्यमिक पाठ्यक्रम, एनपीटीईएल, एनईएटी, एआईसीटीई के स्टूडेंट-कॉलेज हेल्पलाइन वेब पोर्टल, एआईसी प्रशिक्षण और शिक्षण (एटीएएल), इग्नू पाठ्यक्रम, यूजीसी पाठ्यक्रम, शोधगंगा, शोधशुद्धि, विद्वान, ई-पीजी पाठशाला, रोबोटिक्स शिक्षा (ई-यंत्र) जैसी कई अन्य महत्वपूर्ण ऑनलाइन पहल भी हैं, जहां इस दौरान विद्यार्थियों की पहुंच काफी बढ़ गई है। ऑडियो-वीडियो लेक्चर और वर्चुअल क्लास रूम छात्रों, अध्यापकों और शोधकर्ताओं के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रही हैं। ई-लर्निंग में आने वाले दिनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भी बड़ी भूमिका हो सकती है।

आज केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और आईआईटी, एनआईटी जैसे उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थानों के ६० फीसदी से अधिक छात्र किसी-न-किसी रूप में ई-लर्निंग की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि पढ़ाई का यह नया तरीका देश में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, जो पहले शायद संभव नहीं था। हालांकि, ई-लर्निंग की राह में कई चुनौतियां भी हैं, लेकिन हमारा मंत्रालय उनके अधिकतम समाधान के लिए प्रयासरत हैं। मैं खुद भी शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगातार संपर्क कर रहा हूं और उन्हें जरूरी निर्देश देने के साथ-साथ उनके सुुझाव को जान रहा हूं। इंटरनेट कनेक्टिविटी और अन्य शिक्षण संस्थानों से रिकॉर्ड किए गए व्याख्यान और हाथ से लिखे नोट्स भी छात्रों के साथ साझा करने को कहा गया है, ताकि सीमित नेटवर्क एक्सेस वाले छात्रों को भी शिक्षण सामग्री मिल सके ।

इसके अलावा हमारा मंत्रालय टेलीविजन के माध्यम से भी दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा दे रहा है, ताकि जिन छात्रों के पास कंप्यूटर या इंटरनेट की सुविधा नहीं है, वे भी घर बैठे पढ़ाई कर सकें । ‘स्वयं प्रभा’ समूह के 32 डीटीएच चैनल उपग्रह के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षणिक कार्यक्रमों का प्रसारण कर रहे हैं। इनके लिए उच्च गुणवत्तापूर्ण सामग्री एनपीटीईएल, आईआईटी, यूजीसी, सीईसी, इग्नू, एनसीईआरटी और एनआईओएस द्वारा प्रदान की जा रही है। इग्नू के रेडियो चैनल ज्ञानवाणी (105.6) और ज्ञानदर्शन भी विभिन्न आयुवर्ग के विद्यार्थियों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम और कैरियर के अवसरों की जानकारी प्रसारित कर रहे हैं। उक्त टीवी एवं रेडियो चैनलों के माध्यम से विद्यार्थियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में पेशेवर और गृहिणी भी अपना ज्ञान बढ़ा रही हैं तथा कौशल विस्तार कर रहे हैं।

इस तरह ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ और ‘लॉकडाउन’ की बाधा के बीच भी डिजीटल लर्निंग प्लेटफार्मस और टूल्स के जरिये पठन-पाठन जारी है और बड़ी संख्या में विद्यार्थी व अध्यापक इनका लाभ उठा रहे हैं। इन नए अवसरों का उपयोग करते हुए गुणवत्तापूर्ण डिजिटल शिक्षा को ज्यादा से ज्यादा घरों तक पहुंचाने तथा ऑनलाइन शिक्षा पद्धति को और अधिक प्रभावी व रचनात्मक बनाने के लिए एचआरडी मंत्रालय ने सभी संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं। ये सुझाव हैशटैग ‘भारत पढ़े ऑनलाइन’(#BharatPadheonline) के साथ मेरे एवं मंत्रालय के एकाउंट को टैग करते हुए दिए जा सकत हैं। लोग अपने सुझाव को bharatpadheonline.mhrd@gmail.com पर मेल भी कर सकते हैं। हमें विश्वास है, डिजिटल लर्निंग जल्द ही विद्यार्थियों की दिनचर्या का अभिन्न अंग बनेगी। साथ ही, डिजिटल कंटेंट की बढ़ती मांग देश में बड़े पैमाने पर रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध कराएगी।

कुल मिलाकर, ‘लॉकडाउन’ ने शिक्षा जगत में ‘डिजीटल क्रांति’ लिए नए द्वार खोल दिए हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की महत्वाकांक्षी पहल ‘डिजीटल इंडिया’ ने सरकार, सरकारी सेवाओं और आम नागरिकों के बीच दूरियां मिटा दी हैं। मोदी सरकार हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा देश की सभी पंचायतों तक पहुंचा चुकी है। अब ‘डिजिटल लर्निंग’ के विस्तार से विद्वान अध्यापकों और सुदूर देहात में रह रहे जिज्ञासु विद्यार्थियों के बीच भी दूरियां खत्म होंगी। कल्पना कीजिए, यदि देश-दुनिया की ज्यादातर बड़ी यूनिवर्सिटीज ऑनलाइन शिक्षा देने लगें, तो छात्रों को अध्ययन के लिए दूसरे शहरों व देशों में जाना नहीं पड़ेगा और काफी कम खर्च में वैश्विक गुणवत्ता की शिक्षा उनके अपने शहर या देश में ही मिल जाएगी। और तब ‘ग्लोबल विलेज’ और ‘द डेथ ऑफ डिस्टेंस’ की परिकल्पना शिक्षा के क्षेत्र में भी साकार होती नजर आएंगी। इसी उम्मीद के साथ, सभी विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं अध्यापकों से अनुरोध है कि कोरोना को हराने के लिए अपने घरों में रहें और सीखना-सिखाना जारी रखें।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो