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धर्मांधता पर सवार वायरस से खतरा

locationनई दिल्लीPublished: Apr 10, 2020 01:41:50 pm

Submitted by:

Prashant Jha

जरूरत है आज के दौर में वैज्ञानिक और तार्किकता को बढ़ावा देने की ताकि आने वाली पीढ़ी जाहिल और गंवार होने की बजाय शिक्षित और समझदार बने और ऐसे संकट की घड़ी में अज्ञानता को छोड़कर वैज्ञानिक तर्कों पर भरोसा कर सके ।

धर्मांधता पर सवार वायरस से खतरा

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सुरेंद्रसिंह शेखावत

वैश्विक महामारी बन चुके कोरोना से जहां एक और पूरी दुनिया के हालात बुरे हो चुके हैं वहीं धर्मांधता के चलते कई समुदाय अभी भी इस बीमारी की भयावहता को मानने के लिए तैयार नहीं है ।कहने को तो यह वायरस संपर्क के जरिए संक्रमण फैलाता है मगर एक दूसरा माध्यम भी है जिस पर सवार होकर यह वायरस सफर कर रहा है, वह है धर्मांधता का वायरस। आधे से अधिक नोबेल सम्मान जीतने वालों का देश इजराइल भी आधुनिक और प्रगतिशील समझे जाने वाले यहूदी धर्म गुरुओं की धर्मांधता के चलते कोरोना वायरस से बदहाल हो गया है । इजराइल का बन्नी ब्रोक शहर जिसकी आबादी 1.86 लाख है , मीडिया खबरों के मुताबिक 40 फ़ीसदी कोरोना संक्रमित हो गया है ।इजरायल के स्वास्थ्य मंत्री याकोव लिट्जमैन जो खुद कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं , धार्मिक संस्थाओं की सभाओं पर प्रतिबंध का विरोध कर रहे थे । वे खुद कोरोना प्रकोप फैलने के बाद भी धार्मिक सभाओं में भी भाग ले रहे थे । आश्चर्य की बात तो यह है कि प्रगतिशील समझे जाने वाले यहूदी समुदाय का एक बड़ा कट्टरपंथी तबका इजराइल में लॉक डाउन का न केवल विरोध कर रहा है बल्कि तोड़ने में जुटा है ।

भारत जैसे बहुधार्मिक समृद्धता वाले देश में भी तबलीगी जमात की मरकज के कारण बड़ी संख्या में सक्रमण फैल गया है जिसके चलते एक बड़े समुदाय को शक की नजरों से देखा जा रहा है । जमात की मूर्खतापूर्ण हरकत के कारण दुर्भाग्य से बीमारी का भी सम्प्रदायिककरण संप्रदायिकरण होने का खतरा दिख रहा है । जमात के कारण भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी हालात खराब हो गए हैं । इधर हिंदुस्तान में भी कुछ धार्मिक समुदाय भी रामनवमी पर जुलूस निकालने को लेकर भी अड़े हुए थे। यानि धर्मांधता और अज्ञानता कमोबेश सभी जगह है ।

इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि सरकारों द्वारा सारे संचार माध्यमों से इस महामारी की भयावहता का प्रचार करने के बावजूद धर्मांध धार्मिक नेता कुछ भी मानने को तैयार नहीं है। स्वामी विवेकानंद ने भी कहा था कि अंधविश्वास तो मनुष्यता का बड़ा शत्रु है ही , धर्मांधता उससे भी बुरी है । वर्तमान विश्व में इस महामारी के प्रकोप के हालात में धार्मिक प्रमुखों को जहां इस संक्रमण की घड़ी में अपने अनुयायियों को चिकित्सकों और विशेषज्ञों द्वारा जारी गाइडलाइन को मानने के लिए निर्देशित करना था। इसके बजाय कुछ धार्मिक समूहों ने अज्ञानता और अशिक्षा को बढ़ाने वाली धर्मांधता का परिचय दिया है ।

इसीलिए जरूरत है आज के दौर में वैज्ञानिक और तार्किकता को बढ़ावा देने की ताकि आने वाली पीढ़ी जाहिल और गंवार होने की बजाय शिक्षित और समझदार बने और ऐसे संकट की घड़ी में अज्ञानता को छोड़कर वैज्ञानिक तर्कों पर भरोसा कर सके ।

(अधिवक्ता व गांधीवाद के अध्येता)

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