भारत जैसे बहुधार्मिक समृद्धता वाले देश में भी तबलीगी जमात की मरकज के कारण बड़ी संख्या में सक्रमण फैल गया है जिसके चलते एक बड़े समुदाय को शक की नजरों से देखा जा रहा है । जमात की मूर्खतापूर्ण हरकत के कारण दुर्भाग्य से बीमारी का भी सम्प्रदायिककरण संप्रदायिकरण होने का खतरा दिख रहा है । जमात के कारण भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी हालात खराब हो गए हैं । इधर हिंदुस्तान में भी कुछ धार्मिक समुदाय भी रामनवमी पर जुलूस निकालने को लेकर भी अड़े हुए थे। यानि धर्मांधता और अज्ञानता कमोबेश सभी जगह है ।
इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि सरकारों द्वारा सारे संचार माध्यमों से इस महामारी की भयावहता का प्रचार करने के बावजूद धर्मांध धार्मिक नेता कुछ भी मानने को तैयार नहीं है। स्वामी विवेकानंद ने भी कहा था कि अंधविश्वास तो मनुष्यता का बड़ा शत्रु है ही , धर्मांधता उससे भी बुरी है । वर्तमान विश्व में इस महामारी के प्रकोप के हालात में धार्मिक प्रमुखों को जहां इस संक्रमण की घड़ी में अपने अनुयायियों को चिकित्सकों और विशेषज्ञों द्वारा जारी गाइडलाइन को मानने के लिए निर्देशित करना था। इसके बजाय कुछ धार्मिक समूहों ने अज्ञानता और अशिक्षा को बढ़ाने वाली धर्मांधता का परिचय दिया है ।
इसीलिए जरूरत है आज के दौर में वैज्ञानिक और तार्किकता को बढ़ावा देने की ताकि आने वाली पीढ़ी जाहिल और गंवार होने की बजाय शिक्षित और समझदार बने और ऐसे संकट की घड़ी में अज्ञानता को छोड़कर वैज्ञानिक तर्कों पर भरोसा कर सके ।
(अधिवक्ता व गांधीवाद के अध्येता)