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दीर्घकालीन लॉक-डाउन स्थायी उपाय नहीं

लॉक-डाउन व कर्फ्यू से लाखों लोगों को अपना एवं अपने परिवार के सदस्यों का पेट भरने एवं दवा-इलाज में रूकावट पैदा हो रही है. इस स्थिति को समझने कर निदान के रास्ते भी निकलने की आवश्यकता है।

Apr 09, 2020 / 08:08 pm

Prashant Jha

coronavirus Lock down

दीर्घकालीन लॉक-डाउन स्थायी उपाय नहीं

डॉ. विजेन्द्र झाला

कोरोना वायरस से बचने के लिए दुनिया भर के देशों द्वारा लॉक-डाउन जैसा उपाय अपनाया जा रहा है। लॉक-डाउन से कोरोना वायरस को अधिक फैलने से रोका जा सकता है एवं कोरोना वायरस के फैलने पर काफी हद तक नियंत्रण भी हुआ है। यह सही है कि जब तक कोरोना वायरस को खत्म करने की कोई दवा दुनिया के किसी देश में नहीं बन जाती, लॉक-डाउन या कर्फ्यू ही कारगर उपाय है। लेकिन केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा लागू लॉक-डाउन या कर्फ्यू के जरिये कोरोना वायरस को फैलने से रोकने का स्थायी या लम्बा रास्ता न तो संभव है न ही उचित है।

भारत की लगभग 53 प्रतिशत आबादी कृषि व कृषि मजदूरी पर निर्भर है, शेष आबादी का 20-25 प्रतिशत अन्य दैनिक मजदूरी पर निर्भर करती है। इस प्रकार 70-75 प्रतिशत आबादी, मजदूरी व पेट-पालन लॉक-डाउन या कर्फ्यू से प्रभावित होती है। ऐसी स्थिति में जो व्यक्ति सड़क किनारे बैठकर, बोझा ढोकर, रिक्शा चलाकर, हाथ मजदूरी कर, होटल-रेस्टोरेन्ट में काम कर या किसी छोटे-मोट उद्योगों में हाथ मजदूरी कर अपना एवं अपने परिवार का पेट पालता है, उसकी लॉक-डाउन की स्थिति में अत्यंत दयनीय स्थिति बन जाती है। अल्प समय तक तो सरकारें या धनी व सेवा-भावी लोग उनकी मदद कर रहे है, परन्तु लम्बी अवधि तक इस प्रकार की मदद भी संभव नहीं है।

लॉक-डाउन व कर्फ्यू से न केवल मानव जाति बल्कि पशु-पक्षी तथा अन्य जीवों पर भी विपरित प्रभाव पड़ रहा है। लोग अपने पालतू जानवरों की तो फिर भी देखभाल कर रहे हैं, परन्तु पशु-पक्षी को जो दाना पानी व चारा और कीड़े-मकोड़े को जो भोजन मिलता था, उसमें व्यापक व्यवधान पड़ा है। लोग घरों से डर के मारे व सरकारी नियंत्रण के कारण नहीं निकलेगे तो दान-पुण्य का कार्य कैसे होगा। हालांकि इस वायरस को फैलने से रोकने का फिलहाल उपाय यही है परन्तु प्राकृतिक संतुलन भी अति-आवश्यक है। ऐसी परिस्थिति में लॉक-डाउन हटाने या नहीं हटाने का निर्णय सरकारों द्वारा करना भी आसान नहीं है, देश की अर्थव्यवस्था व अधिकतर आबादी के भी जीवनयापन व जिन्दगी का प्रश्न है। हालांकि कोरोना वायरस जैसी महामारी से बचना भी जरूरी है, परन्तु लम्बे समय तक दैनिक मजदूरी करने वालों का भी घर बैठना संभव नहीं है।
अब प्रश्न यह है कि लॉक-डाउन कितने समय तक रखा जाए, इस पर सभी परिस्थितियों पर विचार-विमर्श व मंथन कर निर्णय करना ही उचित होगा। मैंने इस संबंध में अनेक बुद्धिजीवियों व शिक्षाविद्धों तथा समुदायों के लोगों से बात की तो उनके मतानुसार इसका जो समाधान निकलता है वह यह है कि कोरोना वायरस को व्यापक फैलने से रोकने के लिए लॉक-डाउन ही फिलहाल उपाय है परन्तु इसे विभिन्न चरणों में व क्षेत्र की आवश्यकतानुसार लागू किया जाना चाहिए। जैसे किसी उद्योग में मजदूरी करने वालों के बीच शारीरिक व व्यक्तिगत सम्पर्क न हो, रिक्शा-ऑटो चलाने वाले सीमित संख्या में सवारी लेकर चले, होटल-रेस्टोरेन्ट में काम करने वालो के लिए सोशल डिस्टेन्सिंग रखना या वस्तुओं व व्यक्तिगत सम्पर्क से दूरी रखना संभव नहीं है तो उन्हे फिलहाल लॉक-डाउन की परिधि में ही रखा जाय तथा ऐसे उद्योग जहां व्यक्तिगत सम्पर्क में स्वयं या वस्तुओं के माध्यम से दूरी बनाना संभव नहीं हो तो उन्हे भी लॉक-डाउन की परिधि में रखा जाए। इस प्रकार लॉक-डाउन या कर्फ्यू को सामान्यीकृत करना उचित नहीं होगा।

सरकारों व सरकारी तंत्र को आमजनता की सुविधा व साधन का ख्याल रखना अत्यन्त आवश्यक है, अन्यथा सम्पूर्ण व्यवस्था पर उपयुक्त नियंत्रण व समाधान खोजना असंभव होगा। इसके लिए राज्य सरकारें व केन्द्र सरकार अपने-अपने स्तर पर सरकारी मशीनरी के साधनों को ध्यान में रखकर करें तो उचित होगा। लॉक-डाउन व कर्फ्यू से लाखों लोगों को अपना एवं अपने परिवार के सदस्यों का पेट भरने एवं दवा-इलाज में रूकावट पैदा हो रही है। इस स्थिति को समझने कर निदान के रास्ते भी निकलने की आवश्यकता है। सारी व्यवस्था पर सरकारी तंत्र द्वारा निगरानी एवं नियंत्रण रखने की जरूरत है। इसके लिए क्षेत्र व समय का विभाजन कर निगरानी व नियंत्रण रखना होगा।

सरकारें मंथन करे व देखें कि किस क्षेत्र में क्यों वायरस बढ़ रहा है तथा उसे नियंत्रण में कैसे व कब तक रखा जाये , हो सकता है समयबद्ध लॉक-डाउन व कर्फ्यू से स्थिति नियंत्रित हो जाये। किन्हे कैसे छूट दी जाये व कब दी जाये, इसे देखने एवं प्रभावी ढ़ग से मोनिटर करने की जरूरत है। जिन कार्याें व गतिविधियों को कुछ समय के लिए या दीर्घ समय के लिए रोका जा सकता है तो वैसा करे परन्तु किसी भी क्षेत्र में लम्बा लॉक-डाउन या कर्फ्यू उपयुक्त नहीं हो सकता। सभी वर्गाें, समुदायों तथा प्रभावित लोगों के हितों व सुविधा का भी ध्यान रखना होगा, साथ ही उनकी व अन्य की जान की भी परवाह करनी होगी।

कोरोना वायरस पर शीघ्र नियंत्रण व समाप्त करने का उपाय भी जरूरी है, इसके लिए हालांकि सभी देशों की सम्बधित एजेन्सियां काम कर रही होगी परन्तु इस कार्य में तेजी लाना तथा जनता का मनोबल व विश्वास बढ़ाने के लिए नियमित जानकारी देना भी आवश्यक है। ऐसा नहीं हो कि अमुक कर लेगा या कर रहा है, इस भ्रम में ही स्थायी उपाय में देरी हो जाये। इस कार्य एवं व्यवस्था पर भी निगरानी जरूरी है। ( भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी हैं )

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