अफसरों की काली कमाई के छींटे सरकार पर भी
अफसरों में डर खत्म होने की बड़ी वजह है ऐसे मामलों में सरकार का अभियोजन के लिए स्वीकृति न देना। जब सरकार ही भ्रष्टाचारियों के प्रति दरियादिली दिखाने लगे तो फिर कौन ऐसे लोगों का बाल भी बांका कर सकता है?
Published: April 26, 2022 05:58:23 pm
अलवर के पूर्व जिला कलक्टर नन्नूमल पहाडिय़ा, आरएएस अशोक सांखला व दलाल नितिन शर्मा की घूसखोरी के मामले में गिरफ्तारी यह बताती है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की नियमित छापेमारी व पकड़े जाने पर जेल जाने का भय खत्म होता जा रहा है। जिले के प्रशासनिक तंत्र के सबसे बड़े ओहदे पर बैठे अफसर सरकारी बंगले पर मोटी रकम घूस के रूप में लेते पकड़े जाएं तो किसी कार्रवाई के प्रति बेफिक्री का इससे बड़ा प्रमाण और क्या होगा। यह दिखाता है कि भ्रष्टाचार की दीमक हमारे सिस्टम को किस तरह खोखला कर रही है। अफसरों में डर खत्म होने की बड़ी वजह है ऐसे मामलों में सरकार का अभियोजन के लिए स्वीकृति न देना। जब सरकार ही भ्रष्टाचारियों के प्रति दरियादिली दिखाने लगे तो फिर कौन ऐसे लोगों का बाल भी बांका कर सकता है? अब तक के उदाहरण सामने हैं कि भ्रष्टाचार के आधे प्रकरणों में तो अभियोजन की मंजूरी मिल ही नहीं पाती। ज्यादा समय नहीं हुआ है। एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साफगोई से कहा था कि 'भ्रष्टाचार हर विभाग में है। कोई विभाग इससे अछूता नहीं है।'
प्रश्न यह उठता है कि भ्रष्टाचार रोकना सरकार के लिए मुश्किल क्यों है? इसका जवाब भी है। जब सत्ता को बचाने के लिए ही सब तरह के हथकंडे अपनाए जाने लगे हों तो फिर साफ-सुथरे सिस्टम की उम्मीद कैसे की जाए? क्यों यह उम्मीद बेमानी न हो कि सरकारी कारिंदों का दामन रिश्वतखोरी के दाग से रंगा न हो? मतलब साफ है कि रिश्वतखोरी पर अंकुश लगा पाने में विफलता कानून की सख्ती न होने के कारण भी हो रही है। भ्रष्टाचार की व्यापकता को स्वीकारना अलग बात है और इस घुन को नष्ट करने की गंभीर कोशिश दूसरी बात। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के पिछले साल हुए एक सर्वेक्षण में राजस्थान भ्रष्टाचार में शीर्ष पर रहा। ज्यादातर लोगों ने माना कि हर काम के लिए सरकारी कार्यालयों में घूस देनी पड़ती है। 2021 में राजस्थान में एसीबी ने रिकार्ड छापेमारी कर घूसखोरों को दबोचा। इसके बावजूद आम आदमी 'सुविधा शुल्क' देने को मजबूर है। अदना-सा सरकारी मुलाजिम भी काली कमाई से अकूत सम्पत्ति का मालिक बन जाता है। घूसखोरों को शिकंजे में लेने के लिए तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल बहुत जरूरी है। नौकरशाही को चुस्त-दुरुस्त करना होगा, अन्यथा अफसरों की काली कमाई का कलंक सरकार के दामन को ही दागदार करता है। (र.श.)

अफसरों की काली कमाई के छींटे सरकार पर भी
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