पिछले ढाई वर्षों में 1.14 लाख से भी अधिक गांवों ने स्वयं को ‘ओडीएफ प्लस’ घोषित कर दिया है और लगभग 3 लाख गांवों ने ‘ओडीएफ प्लस’ बनने की अपनी यात्रा शुरू करते हुए ठोस व तरल कचरा निपटान कार्य बाकायदा शुरू कर दिए हैं। इसके तहत मुख्य लक्ष्य छह लाख ‘ओडीएफ प्लस’ गांवों को बनाना और इसके साथ ही ऐसा करते हुए ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों को रोजगार मुहैया कराना एवं उनका आय स्तर बढ़ाना है। आइए, हम सभी ‘स्वच्छता से स्वावलंबन’ के अपने प्रयासों के तहत एकजुट हो जाएं।
गजेंद्र सिंह शेखावत केंद्रीय जलशक्ति मंत्री स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) सरकारी कार्यक्रम नहीं रह गया है, बल्कि यह एक जन आंदोलन बन गया है। एक स्वस्थ राष्ट्र एक सशक्त राष्ट्र होता है। एसबीएम ने भारत को दुनिया की पांचवीं अग्रणी अर्थव्यवस्था बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। यूनिसेफ के एक स्वतंत्र अध्ययन में कहा गया है कि ओडीएफ गांवों में रहने वाले औसत परिवार ने प्रति वर्ष 50,000 रुपए का संचयी लाभ अर्जित किया। नए शौचालय वाले घरों के संपत्ति-मूल्य में एक बार के लिए 19,000 रुपए की वृद्धि हुई। महात्मा गांधी की जयंती- 2 अक्टूबर को स्वच्छ भारत दिवस 2022 मनाने के क्रम में, एसबीएम अपने दूसरे चरण में दो साल से अधिक का समय पूरा कर चुका है और ओडीएफ का लक्ष्य हासिल करने के बाद सरकार अब ओडीएफ प्लस के लिए प्रयासरत है। आइए, हम इसे आसान शब्दों में समझते हैं। ओडीएफ प्लस के मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं- शौचालयों के निर्माण और उपयोग से आगे बढ़कर समग्र सार्वभौमिक स्वच्छता की दिशा में शौचालयों का निरंतर उपयोग। साथ ही हमारे घरों व समुदायों से उत्पन्न जैविक रूप से अपघटित होने वाले और गैर-अपघटित रहने वाले कचरे सहित ठोस एवं तरल अपशिष्ट का पर्यावरण-अनुकूल और आर्थिक रूप से व्यवहार्य प्रबंधन। परिणामत: स्वच्छ परिवेश का निर्माण।