‘मल्टी-ईयर’ सीएसआर –
नियमों में सबसे अहम संशोधन ‘मल्टी-ईयर’ सीएसआर को माना जा रहा है। इसके तहत एक वर्ष में यदि खर्च अधिक हो जाता है तो तीन साल की अवधि तक इसे समायोजित किया जा सकता है। जो फंड खर्च नहीं होगा, उसे सीएसआर अकाउंट या विशेष कोष में स्थानांतरित करना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ‘मल्टी-ईयर’ सीएसआर के प्रावधान से न केवल कंपनियों को परियोजनाएं लागू करने में आसानी होगा, बल्कि वे बेहतर परियोजनाओं पर काम कर सकेंगी।
राज्यवार सीएसआर खर्च-
(वित्त वर्ष 2014-15 से 2019-20 तक)
महाराष्ट्र – 12,700, 16%
कर्नाटक – 4,919, 4.9%
गुजरात – 3,925, 4.9%
तमिलनाडु – 3,415, 4.3%
राजस्थान- 2,053, 2.6%
प.बंगाल – 1,666, 2.1%
मध्य प्रदेश – 1,047, 1.3%
छत्तीसगढ़ – 685, 0.9%
(सीएसआर खर्च (करोड़ रुपए में)
कार्य, जिन पर जोर दिया गया
शिक्षा – 39% – 30,710
स्वास्थ्य – 26% – 20,945
ग्रामीण विकास – 11% – 8,750
पर्यावरण – 08% – 6,566