विडंबना यह है कि अभी तक हम शांति और सुख की प्राप्ति या पीड़ा पर काबू पाने में सफल नहीं हुए हैं। साफ है कि हमारे विकास में कोई गंभीर चूक हुई होगी। यदि हमने समय रहते उसे नहीं सुधारा, तो विनाशकारी परिणाम होंगे। विज्ञान और तकनीक के विरोध में नहीं हूं, पर यदि हम विज्ञान और तकनीक पर ही बहुत अधिक जोर देंगे, तो हमारा मानवीय ज्ञान और समझ के उस नेटवर्क से संपर्क टूटने का खतरा है, जो ईमानदारी और परोपकार का विकास करता है।