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असुर भी श्रेष्ठ !

Published: Jun 28, 2018 03:55:21 pm

Submitted by:

Gulab Kothari

आदमी को पशु कौन बना रहा है-शिक्षा, धन या सत्ता?

Crime Against Women

Crime against women

आदमी को पशु कौन बना रहा है-शिक्षा, धन या सत्ता? भारत का प्रसिद्ध उद्घोष है-‘यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते, रमन्ते तत्र देवता’ जहां नारी का सम्मान होता है, वहां देवता निवास करते हैं। और आज देखते ही देखते क्या सम्पूर्ण भारत असुर-लोक बन गया? विश्व की थाम्पसन राउटर फाउण्डेशन संस्था के सर्वे ने अभिव्यक्त किया है कि भारत में महिलाएं कतई सुरक्षित नहीं हैं। सर्वे कहता है कि महिलाओं के लिए भारत सबसे असुरक्षित देश है। और क्या सुनना चाहती है हमारी सरकार? क्या आज के बाद प्रधानमंत्री के दौरे सहज होंगे? क्या सभी राजनीतिक दल अपने-अपने स्तर पर जानकारी करेंगे कि इस दृष्टि से उनके कार्यकर्ताओं की छवि कैसी है?

कितने कार्यकर्ताओं के विरुद्ध दुष्कर्म या अपमानित करने के मामले चल रहे हैं? क्या ये पार्टियां उनको सजा दिलवाने में पहल कर पाएंगी? कितने प्रभावशाली नेताओं को पुलिस बचाने में लगी रहती है। अब तो पर्यटक महिलाएं भी सुरक्षित नजर कम ही आती हैं।

क्या इस परिवर्तन को विकासवादी दृष्टिकोण माना जाए? जैसा कि पिछली केन्द्र सरकार के मंत्री-कपिल सिब्बल -नए कानून ला रहे थे-‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ और ‘सोलह वर्ष की लड़की को सम्बन्ध बनाने की छूट’ (शादी की उम्र 18 वर्ष ही रखते हुए)। आज कितने सत्तासीन लोग इन आरोपों के कठघरे में हैं। शहला मसूद हत्याकांड (भोपाल) कौन भूल सकता है?

आश्चर्य की बात तो है ही। क्योंकि विश्व में सर्वाधिक बलात्कार युद्ध क्षेत्र में सैनिक करते रहे हैं। आज युद्ध क्षेत्र का सीरिया इस सर्वे में तीसरे स्थान पर है। अफगानिस्तान दूसरे पायदान पर। भारत शीर्ष स्थान को सुशोभित कर रहा है। निश्चित ही है कि इस सर्वे में सहमति वाले मामले नहीं आए होंगे। दोनों की साथ-साथ कल्पना की जाए तो मन सिहर उठेगा।

हमने रावण के बारे में पढ़ा है। सीता को उठाकर ले गया था। किन्तु सीता की अस्वीकृति के बाद उसको छूने का प्रयास तक नहीं किया। असुर हो कर भी मर्यादा? लक्ष्मण ने सुर्पणखा की नाक काटी तो उसने लंका जाकर रावण से की सारी शिकायत। कानून को हाथ में नहीं लिया। घटनास्थल के चारों ओर तो शुक्राचार्य के अनुयायियों का जमघट था। क्या हम असुरों से भी नीचे गिर गए? हमें पशु बनने पर किसने मजबूर किया, सोचना चाहिए।

क्या हम पशु की तरह स्वेच्छाचार करके गौरवान्वित होते हैं? हम हिंसक पशुओं से अधिक हिंसक होते जा रहे हैं। भारत यौन हिंसा के मामले में सबसे ऊपर है। इसमें घरेलू दुष्कर्म, अनजान लोगों द्वारा किए गए दुष्कर्म, हथियार के तौर पर दुष्कर्म का उपयोग, दुष्कर्म के मामलों में समय पर न्याय नहीं मिलना, भ्रष्टाचार के लिए महिलाओं का उपयोग शामिल है। महिलाओं की तस्करी के मामले में भी भारत सबसे खतरनाक देश माना गया है। इसमें जबरन शादी और दुष्कर्म के लिए बन्धक बनाने को आधार बनाया गया है।

नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार सन् 2018 में देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध दर्ज हुए 3,38,954 जिनमें से राजस्थान में 27,422 थे। देश में दुष्कर्म के मामले थे 39,068 राजस्थान में 3,657। गैंग रेप 2,171 में से राज्य में 366 मामले रेकॉर्ड पर लिए गए। इनके अलावा हत्या, आत्म-हत्या, दहेज हत्या, अपहरण, मारपीट आदि मामलों के आंकड़े अलग हैं। हमने अमरीका जैसे विकसित देश को भी पछाड़ दिया। आज तो बड़े-बड़े साधु-सन्त इस दृष्टि से सुर्खियों में आते जा रहे हैं।

इसका एक बड़ा कारण है संस्कारों का अभाव। न घर में और न शिक्षा में इन पर कोई चर्चा होती है। इंटरनेट, मोबाइल की शिक्षा प्रणाली, समय पर नैतिक शिक्षा का अभाव, ऊपर से सहशिक्षा, देश की मानसिकता, धार्मिक अंधविश्वास। गरीबी, बेरोजगारी भी धनबल और भुजबल की आक्रामकता का बड़ा कारण है।

हमारे शास्त्र कहते हैं कि आत्मा कभी मरती नहीं, चोला (शरीर) बदलती है। स्वभाव पिछले जन्म का ही साथ लाता है। पिछले जन्म का पशु इस नर-देह को भी पशु की तरह ही काम में लेता है। प्रश्न यह है कि उसे मानव के संस्कार कौन दे? आज की मां प्रथम गुुरु नहीं। ज्ञान की गुरु से दीक्षा नहीं। जीवन संस्कार शून्य है। देश की दिव्यता का लोप हो चुका। आसुरी अहंकार को अपराध बोध कैसा? फिर धरती को फटना होगा। या फिर ‘यदा यदा हि धर्मस्य….!’

gulabkothari.wordpress.com

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