मूलभूत सवाल यह है कि औसत कर्मचारियों के लिए मशीनीकरण कितना उचित या अनुचित है? हाल ही अर्थशास्त्रियों डैरन एसमॉग्लू, एंड्रिया मनेरा और पास्कुअल रेस्ट्रेपो ने ‘नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनोमिक रिसर्च’ में ‘क्या यूएस टैक्स कोड मशीनीकरण के पक्ष में है?’ नामक शोधपत्र के जरिए रोबोट का विरोध किया। उनका तर्क था कि श्रमिकों पर लगने वाला कर पूंजीगत उपकरणों पर लगने वाले कर से कहीं ज्यादा हैं।
शोध-पत्र एक और पहेली का हल तलाशने की कोशिश करता नजर आता है। कुल लोगों का तर्क उचित है कि जब मानव की जगह रोबोट लेते हैं तो उत्पादन में वृद्धि क्यों नहीं दिखाई देती? एसमॉग्लू के अनुसार, रोबोट सिर्फ टैक्स कोड की वजह से दौड़ में आगे हैं।
इससे पहले कि रोबोट को कर के दायरे में लाने का हम निष्कर्ष निकालें, पारम्परिक अर्थशास्त्र के सिद्धांतों पर भी ध्यान देना होगा। इनमें से कुछ के मुताबिक पूंजीगत संसाधन किसी भी तरह के हों, उन पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए। दरअसल रोबोट, मानव संसाधन का स्थान ले रहे हैं, इससे जुड़े साक्ष्य अभी बेहद कम हैं।
विभिन्न देशों पर नजर डालें तो पाएंगे कि औद्योगिक क्षेत्र के रोबोट की भूमिका भी ‘बोगीमैन’ से ज्यादा नहीं होती। रोबोट इस्तेमाल के मामले में अमरीका कई देशों से पीछे है। चूंकि रोबोट अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पद्र्धा बढ़ाने में अहम कारक हो सकते हैं, मशीनीकरण पर कर लगाना अमरीका के हित में नहीं होगा और यदि ऐसा किया जाता है तो और ज्यादा लोगों के बेरोजगार होने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए संभव है कि तकनीकी विकास के लिए रोबोट को बढ़ावा देने वाली कर व्यवस्था अपनाई जाए।
कुछ आर्थिक इतिहासकारों का मानना है कि सस्ते रोबोट और महंगे श्रमिकों के चलते औद्योगिक क्रांति हुई। इस तरह यदि रोबोट या मशीनीकरण पर कर लगाने की जल्दबाजी की जाती है तो प्रतिस्पद्र्धा और नवाचार को गहरा धक्का पहुंच सकता है। इससे रोजगार और विकास थम सकता है। जाहिर है कि ऐसा जोखिम नहीं लिया जा सकता।