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Exclusive: मशीनीकरण की अनदेखी से थम सकता है विकास

आर्थिक बहाली: रोजगार और मशीनीकरण में संतुलन से ही, यदि रोबोट या मशीनीकरण पर कर लगाने की जल्दबाजी की जाती है तो प्रतिस्पद्र्धा और नवाचार को गहरा धक्का पहुंच सकता है

नई दिल्लीSep 22, 2020 / 04:36 pm

shailendra tiwari

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कोरोना के कारण उपजे आर्थिक संकट के मद्देनजर मशीनीकरण का मुद्दा हालांकि कहीं पीछे छूट गया है, लेकिन यह तय है कि जैसे-जैसे सामान्य स्थिति बहाल होगी, लोगों को यह मुद्दा फिर से याद आएगा और आर्थिक बहाली किस तरह से फिर से हासिल की जाएगी, यह तय करने में भी इसकी काफी अहम भूमिका रह सकती है।

मूलभूत सवाल यह है कि औसत कर्मचारियों के लिए मशीनीकरण कितना उचित या अनुचित है? हाल ही अर्थशास्त्रियों डैरन एसमॉग्लू, एंड्रिया मनेरा और पास्कुअल रेस्ट्रेपो ने ‘नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनोमिक रिसर्च’ में ‘क्या यूएस टैक्स कोड मशीनीकरण के पक्ष में है?’ नामक शोधपत्र के जरिए रोबोट का विरोध किया। उनका तर्क था कि श्रमिकों पर लगने वाला कर पूंजीगत उपकरणों पर लगने वाले कर से कहीं ज्यादा हैं।
यही कारण है कि कंपनियां मशीनों पर बेहिसाब खर्च करती हैं और मानव संसाधन पर बहुत कम। उन्होंने दावा किया कि श्रमिकों को कम वेतन-भत्ते और रोजगार के कम अवसरों की वजह यही है। इस समस्या के समाधान के रूप में उन्होंने मशीनीकरण पर कर बढ़ाने और आय व पे-रोल पर करों में कटौती की वकालत की। उनका दावा था कि इससे रोजगार 4 फीसदी बढ़ सकता है, यानी कार्यबल में 50 लाख नए श्रमिक।
इन अर्थशास्त्रियों ने दावा किया यदि रोबोट के स्थान पर इंसानों से काम कराया जाए तो व्यापार दक्षता बढ़ेगी। निश्चित ही यदि सरकार रोबोट के पक्ष में नीतियां बनाने की पक्षधर है तो उसके ऐसा नहीं करने से सभी को फायदा मिलेगा, सिवाय रोबोट के, जो इस बात से बेपरवाह हैं कि नीति किस के पक्ष में हो।
शोध-पत्र एक और पहेली का हल तलाशने की कोशिश करता नजर आता है। कुल लोगों का तर्क उचित है कि जब मानव की जगह रोबोट लेते हैं तो उत्पादन में वृद्धि क्यों नहीं दिखाई देती? एसमॉग्लू के अनुसार, रोबोट सिर्फ टैक्स कोड की वजह से दौड़ में आगे हैं।
इससे पहले कि रोबोट को कर के दायरे में लाने का हम निष्कर्ष निकालें, पारम्परिक अर्थशास्त्र के सिद्धांतों पर भी ध्यान देना होगा। इनमें से कुछ के मुताबिक पूंजीगत संसाधन किसी भी तरह के हों, उन पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए। दरअसल रोबोट, मानव संसाधन का स्थान ले रहे हैं, इससे जुड़े साक्ष्य अभी बेहद कम हैं।
इकोनोमिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट के अर्थशास्त्रियों लॉरेंस मिशेल और जोश बिवेंस का विश्लेषण तस्वीर धुंधली पाता है। एक ओर जहां एसमॉग्लू और रेस्ट्रेपो ने मशीनीकरण के बेहद संकरे स्वरूप – औद्योगिक रोबोट पर ध्यान दिया, वहीं मिशेल और बिवेंस ने समान डेटा के विश्लेषण से पाया कि सूचना तकनीक में कुल निवेश का रोजगार के अवसरों से सकारात्मक संबंध रहा है। इसी प्रकार रोबोटिक्स व अन्य तकनीक संबंधी नए अविष्कारों के पेटेंट से जुड़े क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़े, न कि कम हुए। जाहिर है रोबोट, इंसानों के विकल्प न हो कर उनके पूरक हैं। अगर वे मनुष्य के काम को कुछ अलग तरह से करें तो भी।

विभिन्न देशों पर नजर डालें तो पाएंगे कि औद्योगिक क्षेत्र के रोबोट की भूमिका भी ‘बोगीमैन’ से ज्यादा नहीं होती। रोबोट इस्तेमाल के मामले में अमरीका कई देशों से पीछे है। चूंकि रोबोट अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पद्र्धा बढ़ाने में अहम कारक हो सकते हैं, मशीनीकरण पर कर लगाना अमरीका के हित में नहीं होगा और यदि ऐसा किया जाता है तो और ज्यादा लोगों के बेरोजगार होने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए संभव है कि तकनीकी विकास के लिए रोबोट को बढ़ावा देने वाली कर व्यवस्था अपनाई जाए।

कुछ आर्थिक इतिहासकारों का मानना है कि सस्ते रोबोट और महंगे श्रमिकों के चलते औद्योगिक क्रांति हुई। इस तरह यदि रोबोट या मशीनीकरण पर कर लगाने की जल्दबाजी की जाती है तो प्रतिस्पद्र्धा और नवाचार को गहरा धक्का पहुंच सकता है। इससे रोजगार और विकास थम सकता है। जाहिर है कि ऐसा जोखिम नहीं लिया जा सकता।

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