बजट की खास बात: गेमचेंजर होगा 'डीएफआइ'
- आधारभूत ढांचे को नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता से जोड़ा
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह बजट पूर्व में पेश किए गए सभी बजट से अलग है, भले ही वह मोदी सरकार में पेश किए गए हों या उससे पहले।

संदीप घोष, कमेंटेटर, सलाहकार सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी
अब तक यह बात सब लोग जान चुके हैं कि एक 'विकास केंद्रित' बजट तैयार करने में वित्त मंत्री ने आधारभूत ढांचे को अधिक महत्व दिया है। परन्तु जिस बात पर पहली नजर में ध्यान नहीं जाता, वह यह है कि सरकार ने आधारभूत ढांचा रणनीति बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। यह दो चरणों में किया गया है- पहला, रणनीतिक प्रारूप और दूसरा, विविध प्रभाव क्षेत्र।
इसलिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह बजट पूर्व में पेश किए गए सभी बजट से अलग है, भले ही वह मोदी सरकार में पेश किए गए हों या उससे पहले। बजट का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रावधान है-विकास वित्तीय संस्थान(डीएफआई) का गठन। इसके लिए 20,000 करोड़ की लागत के साथ ही तीन साल में 5 लाख करोड़ रुपए की फंडिंग का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह गेम चेंजर साबित हो सकता है।
दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण कदम है-'संपत्ति मौद्रीकरण का ब्लू प्रिंट तैयार करना। इसके तहत सड़क, रेल, हवाई अड्डों एवं अन्य आधारभूत ढांचा सम्पत्तियों जैसे गोदाम और स्पोर्ट स्टेडियम के लिए पीपीपी मॉडल पर फंड रेजिंग की रूपरेखा तैयार की जाएगी। हालांकि राजनीतिक मोर्चे पर इसकी आलोचना हुई है, जैसे राजद और तृणमूल इसे राष्ट्रीय सम्पत्ति के 'बेचान' की संज्ञा दे रहे हैं, जो कि आधुनिक विश्व में त्वरित विकास का मार्ग है। तीसरा स्तंभ विवादित है, जहां उत्तरोत्तर सरकारें विफल साबित हुई हैं। ये है-घाटे में चल रही सरकारी इकाइयों का विनिवेश, हालांकि सरकार के पास विकल्प कम है।

आम तौर पर जनमानस के लिए आधारभूत ढांचे का अभिप्राय भौतिक संपत्ति जैसे सड़क, पुल, रेलवे हवाई अड्डों आदि से होता है। पारम्परिक तौर पर ये सब विकास के मुख्य घटक रहे हैं। इस बजट की खास बात यह है कि बजट में आधारभूत ढांचे को नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता से जोड़ दिया गया है। इसके तहत स्वास्थ्य, शिक्षा, कल्याण और रोजगार सृजन के साथ ही सड़क एवं रेल सम्पर्क बेहतर बनाने पर जोर दिया गया है। पूर्व में केवल भौतिक संसाधनों पर ही पूरा फोकस रहता था और उसी के लिए सर्वाधिक संसाधन आवंटित किए जाते थे।
चूंकि इस बजट में कोविड-19, स्वास्थ्य और सेहत को उच्च प्राथमिकता दी गई है। इसलिए पहले इसी पर गौर करते हैं। वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री आत्म निर्भर स्वास्थ्य भारत योजना के लिए 64,180 करोड़ रुपए अलग से आवंटित किए हैं। इसका एक बड़ा हिस्सा 17,788 ग्रामीण और 11,024 शहरी स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र, सभी जिलों में जन स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं बनाने तथा 600 से अधिक जिलों में गहन चिकित्सा सेवा ब्लॉक बनाने में खर्च किया जाएगा। अन्य बड़ी पहल है, 4,000 शहरी निकायों में स्वच्छ जल आपूर्ति की जाएगी और करीब तीन लाख करोड़ शहरी नल कनेक्शन दिए जाएंगे।

शिक्षा के क्षेत्र में इस बात पर बल दिया गया है कि हमारे बच्चों और युवा पीढ़ी को डिजिटल विश्व के लिए तैयार किया जाए। अत: लेह जैसे क्षेत्रों में नए शैक्षणिक संस्थान और यूनिवर्सिटी बनाने के अलावा सरकार का मंत्र है-'डिजीटल फस्र्ट। इसी प्रकार, रोजगार सृजन के उद्देश्य से टैक्सटाइल पार्क, मछली पकडऩे के स्थल और मत्स्य उतराई केंद्र बनाने और अंतर्देशीय नदी व जल मार्ग बनाने के लिए बजट आवंटित किया गया है।

सरकार दिसम्बर 2019 में पहले ही एक राष्ट्रीय आधारभूत ढांचा पाइपलाइन (निप) लॉंन्च कर चुकी है, जिसमें करीब 7,000 परियोजनाएं शामिल हैं। हाल ही निप की परियोजनाओं में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई, खास तौर पर भारतमाला परियोजना में। हालांकि अगर भारत 5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर की अर्थव्यवस्था खड़ी करने का सपना साकार करना चाहता है, तो इस कार्य में आवश्यक रूप से तेजी लानी होगी। हालांकि आधारभूत ढांचे के विकास को गति देना तभी संभव है, जब पारिस्थितिकी तंत्र अनुकूल हो और संस्थानिक सहायता प्रारूप उपलब्ध हो।

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