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द वाशिंगटन पोस्ट से… रूसी पत्रकारों के लिए लगातार बढ़ रही हैं मुश्किलें

locationनई दिल्लीPublished: Sep 03, 2021 08:33:28 am

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Patrika Desk

– व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के शासनकाल के 21 वर्ष रूसी पत्रकारों के लिए कठिन रहे हैं। कई पत्रकारों को सुरक्षा कारणों से रूस छोडऩे के लिए मजबूर होना पड़ा है।- रूसी पत्रकारों (Russian journalists) को दुनिया भर के अपने सहयोगियों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रीय सरकारों से समर्थन की जरूरत है, ताकि ईमानदार और निष्पक्ष जानकारी नागरिकों तक पहुंच सके।

Vladimir Putin

Vladimir Putin

रोमन बदनिन (खोजी समाचार आउटलेट प्रोएक्ट के मुख्य संपादक)

रूसी कानून के तहत जब भी मैं सार्वजनिक रूप से ऑनलाइन पोस्ट करता हूं, चाहे वह इंस्टाग्राम पर बिल्ली का चित्र हो, किसी मित्र को शुभकामनाएं देनी हों या फिर लेख लिखना, मुझे यही लिखना होता है- यह संदेश विदेशी एजेंट की भूमिका निभाते हुए विदेशी मास मीडिया द्वारा तैयार किया गया था। मेरे पास इसके अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि मैं एक पत्रकार हूं। यदि मैं ऐसी घोषणा करने में विफल रहता हूं या फिर रूसी विदेशी एजेंट कानून (Russian Foreign Agent Law) के तहत आने वाले अन्य कई सम्भावित उल्लंघनों में एक का भी उल्लंघन करता हूं, तो मेरे जेल जाने का खतरा है। यह रूसी सरकार द्वारा पत्रकारों को सलाखों के पीछे डालने के कई तरीकों में से एक है।

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तीन वर्ष पहले मैंने प्रोएक्ट नामक खोजी रिपोर्टिंग साइट बनाई थी। पिछले कुछ महीनों से अधिकारियों ने मुझे और मेरे सहयोगियों के साथ दुश्मन नंबर एक की तरह व्यवहार करना शुरू कर दिया। पहले तो उन्होंने हमारे ऊपर आपराधिक मानहानि का आरोप लगाया। फिर हमारे अपार्टमेंट पर छापा मारा और हमें पूछताछ के लिए ले गए। अंत में उन्होंने प्रोएक्ट को ‘अवांछनीय संगठन’ के रूप में चिह्नित किया और मुझ सहित मेरे कर्मचारियों को विदेशी एजेंट्स करार दिया। कोई भी पत्रकार, विशेषज्ञ या व्हिसलब्लोअर, जो हमसे बात करता है, उसे पांच साल तक की जेल हो सकती है।

व्लादिमीर पुतिन के शासनकाल के 21 वर्ष रूसी पत्रकारों के लिए कठिन रहे हैं। इसके पहले हालात इतनी तेजी से कभी खराब नहीं हुए। इस वर्ष के आठ महीनों में छह स्वतंत्र मीडिया आउटलेट्स विदेशी एजेंट्स के रूप में चिह्नित किए गए। यह स्थिति उनके अस्तित्व को खतरे में डालने वाली है, क्योंकि विज्ञापनदाता उनसे दूरी बना लेते हैं। रूस की सबसे बड़ी स्वतंत्र समाचार साइट ‘मेडुजा’ को व्यवसाय से बाहर करने के लिए अधिकारियों ने कानून का इस्तेमाल किया। हालांकि इससे जुड़े पत्रकारों ने अभियान चलाकर जनता से धन जुटाया, ताकि यह साइट चलती रहे। इस वर्ष चार वेबसाइट्स को ब्लॉक किया गया। प्रोएक्ट समेत 14 समूहों को अवांछनीय घोषित किया गया। पत्रकारों के घरों और सम्पादकीय कार्यालयों में दस से अधिक छापे डाले गए। कई पत्रकारों को सुरक्षा कारणों से रूस छोडऩे के लिए मजबूर होना पड़ा।

इन सबसे यही लगता है कि जिसने भी पुतिन के शासन को चुनौती दी, उसे दुश्मन घोषित कर दिया जाएगा। अब पहले से कहीं ज्यादा, हम रूसी पत्रकारों को दुनिया भर के अपने सहयोगियों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रीय सरकारों से समर्थन की जरूरत है, ताकि ईमानदार और निष्पक्ष जानकारी नागरिकों तक पहुंच सके। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कार्रवाई करनी चाहिए। अन्यथा यह माना जाएगा कि वह भी समाज को चुप कराने के रूसी सरकार के प्रयासों में शामिल है।

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