पुतिन ने की आपत्तिजनक टिप्पणी, कहा- हम नहीं चाहते कि यहां आतंकवादी शरणार्थियों की आड़ पर पहुंचे
तीन वर्ष पहले मैंने प्रोएक्ट नामक खोजी रिपोर्टिंग साइट बनाई थी। पिछले कुछ महीनों से अधिकारियों ने मुझे और मेरे सहयोगियों के साथ दुश्मन नंबर एक की तरह व्यवहार करना शुरू कर दिया। पहले तो उन्होंने हमारे ऊपर आपराधिक मानहानि का आरोप लगाया। फिर हमारे अपार्टमेंट पर छापा मारा और हमें पूछताछ के लिए ले गए। अंत में उन्होंने प्रोएक्ट को ‘अवांछनीय संगठन’ के रूप में चिह्नित किया और मुझ सहित मेरे कर्मचारियों को विदेशी एजेंट्स करार दिया। कोई भी पत्रकार, विशेषज्ञ या व्हिसलब्लोअर, जो हमसे बात करता है, उसे पांच साल तक की जेल हो सकती है।
व्लादिमीर पुतिन के शासनकाल के 21 वर्ष रूसी पत्रकारों के लिए कठिन रहे हैं। इसके पहले हालात इतनी तेजी से कभी खराब नहीं हुए। इस वर्ष के आठ महीनों में छह स्वतंत्र मीडिया आउटलेट्स विदेशी एजेंट्स के रूप में चिह्नित किए गए। यह स्थिति उनके अस्तित्व को खतरे में डालने वाली है, क्योंकि विज्ञापनदाता उनसे दूरी बना लेते हैं। रूस की सबसे बड़ी स्वतंत्र समाचार साइट ‘मेडुजा’ को व्यवसाय से बाहर करने के लिए अधिकारियों ने कानून का इस्तेमाल किया। हालांकि इससे जुड़े पत्रकारों ने अभियान चलाकर जनता से धन जुटाया, ताकि यह साइट चलती रहे। इस वर्ष चार वेबसाइट्स को ब्लॉक किया गया। प्रोएक्ट समेत 14 समूहों को अवांछनीय घोषित किया गया। पत्रकारों के घरों और सम्पादकीय कार्यालयों में दस से अधिक छापे डाले गए। कई पत्रकारों को सुरक्षा कारणों से रूस छोडऩे के लिए मजबूर होना पड़ा।
इन सबसे यही लगता है कि जिसने भी पुतिन के शासन को चुनौती दी, उसे दुश्मन घोषित कर दिया जाएगा। अब पहले से कहीं ज्यादा, हम रूसी पत्रकारों को दुनिया भर के अपने सहयोगियों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रीय सरकारों से समर्थन की जरूरत है, ताकि ईमानदार और निष्पक्ष जानकारी नागरिकों तक पहुंच सके। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कार्रवाई करनी चाहिए। अन्यथा यह माना जाएगा कि वह भी समाज को चुप कराने के रूसी सरकार के प्रयासों में शामिल है।