कई जानें जा चुकी हैं, उन्हें व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें इस समय का इस्तेमाल करना चाहिए। हममें से हर किसी को, जो हम अभी हैं, उसमें कम से कम दस प्रतिशत बढ़त करने का प्रयास करना चाहिए- शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक रूप से हम जो कर रहे हैं, उसकी काबिलियत के संदर्भ में दस प्रतिशत बेहतर करें। पूरी दुनिया रहने के लिए बेहतर जगह होगी, मेरा यकीन कीजिए, अगर हर कोई उससे दस प्रतिशत बेहतर हो जाए, जैसा वह अभी है।
और आध्यात्मिक समुदायों में ऐसा होता है, लेकिन अगर हर कोई इसे करता है, आप खुद को उन्नत बनाने के लिए दो-तीन हफ्ते की छुट्टी लीजिए। शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और काबिलियत का उत्थान, बस खुद को उन्नत बनाने के लिए। अगर हर कोई ऐसा करता है, मेरे ख्याल से कुछ सालों में हमें इस महामारी का खेद नहीं रहेगा, क्योंकि हमारे पास कहीं बेहतर मानवता होगी और आगे बढऩे का यही तरीका है।
अगर हम इसे ठीक से नहीं संभालते हैं, तो हम शायद 15 से 20 करोड़ लोगों को एक बार फिर गरीबी में वापस धकेल देंगे। हमने उन्हें पिछले पंद्रह सालों में बाहर निकाला है, हम उन्हें एक बार फिर से गरीबी रेखा के नीचे धकेल देंगे। हम ऐसी चीज होते हुए नहीं देखना चाहते। तो, जीवन के संदर्भ में हमने जो नुकसान उठाया है, आर्थिक हानि के संदर्भ में हमने जो नुकसान उठाया है और इससे जो सामाजिक बाधाएं होंगी, हमें उसकी क्षतिपूर्ति मानव जीवन का उत्थान करके करनी चाहिए, क्योंकि आखिरकार यही हमारे लिए मायने रखता है।