scriptचढ़ता सत्ता का नशा! | editorial 24 april 2017 | Patrika News

चढ़ता सत्ता का नशा!

Published: Apr 24, 2017 02:09:00 pm

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ताजा बयान देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का है कि मुसलमान हमें वोट नहीं देते लेकिन हमने उन्हें कभी परेशान नहीं किया। मानो बड़ा अहसान किया हो।

भाजपा माने या नहीं, सत्ता का नशा इन दिनों उसके नेताओं पर चढ़कर बोल रहा है। प्रधानमंत्री लाख नसीहत देते रहें हैं कि बड़ी जीत के बाद नेता विनम्र बनें पर नेताओं की जीत की खुमारी उतर ही नहीं रही। 
ताजा बयान देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का है कि मुसलमान हमें वोट नहीं देते लेकिन हमने उन्हें कभी परेशान नहीं किया। मानो बड़ा अहसान किया हो। 

प्रसाद के बयान के समय को समझना होगा। उनको पता होगा कि मुसलमान तो भाजपा को पहले भी वोट नहीं देते थे, फिर उन्होंने परेशान न करने वाली बात पहले क्यों नहीं की? 
उत्तर प्रदेश में मिली भारी जीत के बाद भाजपा, विहिप और बजरंग दल के नेताओं के सुर ही बदल गए हैं। नेता विनम्र होने की जगह आक्रामक हो रहे हैं। उन्हें लगने लगा है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक उनका ही राज है। 
भाजपा के बड़बोले नेताओं को ध्यान रखना होगा कि ये लोकतांत्रिक देश है। नेताओं को सिरमाथे बैठाने वाले मतदाता उन्हेंं जमीन पर भी ला पटकते हैं। उत्तर प्रदेश की जनता ने भाजपा को जीत इसलिए नहीं दिलाई है कि वह अहंकार में चूर हो जाए। 
भाजपा को सत्ता मिली है काम करके दिखाने के लिए और राज्य में कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए। भ्रष्टाचार मिटाने व युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए। ऐसे समय में हिन्दू-मुसलमान की बातों का क्या मतलब? प्रसाद की गिनती पार्टी के शीर्ष नेताओं में होती है। 
उनसे अपेक्षा की जाती है कि अगर कोई छोटा नेता गलत बात करता है तो उसे समझाएं। ना कि खुद ऐसी बात करें जो माहौल बिगाडऩे वाली हो। ऐसा होता इसलिए है क्योंकि प्रधानमंत्री तो नसीहत देकर शांत हो जाते हैं। लेकिन दूसरे नेता बयानबाजी से बाज नहीं आते क्योंकि उन्हें पता है कि कार्रवाई तो होने से रही। 
अब भाजपा नेतृत्व को देखना है कि वह प्रसाद सरीखे नेताओं पर कार्रवाई का साहस जुटा पाता है या नहीं। बड़े नेता पर कार्रवाई हो तो छुटभैये नेताओं को भी लगे कि उन्हें चुप रहना चाहिए। भाजपा माने या नहीं, यह हकीकत है कि अपने गठन के बाद से वह सबसे शक्तिशाली दौर से गुजर रही है। 
शक्तिशाली होने का अर्थ है,नेताओं में जिम्मेदारी का अहसास बढ़े। बात ‘सबका साथ-सबका विकास’ की होती है तो हिन्दू-मुसलमान अलग क्यों माने जाते हैं? 

कितने ही हिन्दू भाजपा को वोट नहीं देते, क्या पार्टी नेता उनके खिलाफ भी कार्रवाई की बात कहेंगे? प्रसाद को चाहिए कि वे बात करें तो काम की और सबको जोड़ने की।
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