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मतदाताओं को सशक्त बनाने में मददगार बना ऐप

locationनई दिल्लीPublished: Oct 16, 2020 03:09:52 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

भारत निर्वाचन आयोग ने वर्ष २०१८ में कर्नाटक विधानसभा निर्वाचन में सिटीजन विजिलेंस मोबाइल ऐप लॉन्च किया था

 

election commmtion

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बिहार विधानसभा के सामान्य निर्वाचन और पूरे देश में रिक्त विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव की घोषणा होने के साथ ही चुनावी हलचल तेज होने लगी है। गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग के कोरोना से बचाव संबंधी निर्देशों के कारण चुनाव प्रचार पिछले चुनावों से अलग दिख रहा है। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने तो निर्देश भी दिए हैं कि यदि जन सभाओं में निर्धारित मापदंडों का उल्लंघन पाया जाए, तो जिला निर्वाचन अधिकारी/डीएम की ड्यूटी होगी कि वे तुरंत संबंधित आयोजकों, स्थानीय प्रशासनिक/ पुलिस अधिकारियों आदि के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराएं। अन्यथा वे अवमानना के दोषी माने जाएंगे।
इस परिप्रेक्ष्य में एक दूसरे के खिलाफ शिकायतों का दौर चल पड़ा है।
यहां तक की एक राष्ट्रीय दल ने भारत निर्वाचन आयोग में यह शिकायत भी दर्ज करा दी कि मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी उनकी शिकायतों पर तत्परता से कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। ऐसी ही स्थिति वर्ष २०१६ में एक राज्य के विधानसभा चुनाव के दौरान आई थी। कारण यह था कि शिकायतों की संख्या ५४००० से भी अधिक हो गई थी और उनका निराकरण भी तेजी से हो रहा था। फिर भी लगभग एक हजार शिकायतें जांच में लंबित थीं और दो-तीन दिन हो चुके थे। चुनाव अभियान का समय सीमित होता है। लगभग १५-२० दिन। यदि शिकायतों के निराकरण में चार-पांच दिन लग जाएं, तो राजनीतिक दलों का धैर्य टूटने लगता है।
चुनाव मशीनरी भी अन्य सभी व्यवस्थाओं में संलग्न रहने से शिकायतों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाती। यह भी सही है कि काफी संख्या में शिकायतें सत्यापन कराए जाने पर आधारहीन अथवा सुनी-सुनाई बातों के आधार पर की गई पाई जाती हैं। इससे भी चुनावी मशीनरी शिकायतों को उच्च प्राथमिकता नहीं दे पाती।
इसलिए भारत निर्वाचन आयोग ने वर्ष २०१८ में कर्नाटक विधानसभा निर्वाचन में आम वोटर को सशक्त बनाने के लिए सिटीजन विजिलेंस नाम का मोबाइल ऐप लॉन्च किया था।
इसमें चुनावों के दौरान अनियमितता या निर्देशों का उल्लंघन देखने पर वीडियो बनाकर भेजने की सुविधा है। वीडियो शिकायत अपने आप संबंधित रिटर्निंग ऑफिसर/ जिला निर्वाचन अधिकारी के पास पहुंच जाएगी। इन शिकायतों पर संबंधित अधिकारियों को प्राप्ति के १०० मिनट में जांच-सत्यापन कर कार्रवाई करने और की गई कार्रवाई की जानकारी शिकायतकर्ता को भेजने की जिम्मेदारी दी गई।
यदि १०० मिनट में यह नहीं हो पाता, तो ऑटोमेटिक रूप से एक स्तर ऊपर के अधिकारी पर यह जवाबदारी आ जाएगी कि वह स्वयं जांचकर उक्त कार्रवाई तुरंत पूर्ण करे और विलंब का कारण संतोषजनक न पाने पर कनिष्क अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई भी करे। इस ऐप के कारण २०१८-१९ के चुनावों में शिकायतों पर कार्रवाई में विलंब की बात नहीं उठी थी। मीडिया रिपोर्टो के अनुसार लोकसभा सामान्य निर्वाचन २०१९ में इस ऐप पर लगभग दो लाख शिकायतें प्राप्त हुई थी। इनमें से ९० प्रतिशत से अधिक सही पाई गईं और प्रभावी कार्रवाई कर शिकायतकर्ता को सूचना भी मिली।

इस ऐप में एक ऑप्शन बाद में जोड़ा गया कि यदि आप किसी ताकतवर व्यक्ति की शिकायत कर रहे हैं और आपको भय है कि वह प्र्रताडि़त कर सकता है तो आप अपनी आइडी या मोबाइल नंबर गुप्त रखने का ऑप्शन भी चुन सकते हैं। इस पहल ने भारत के चुनावों को ‘सशक्त मतदाता, सशक्त भारतÓ का खिताब उपलब्ध कराया है। अब शिकायत करना भी आसान और कार्रवार्ई भी तत्काल। फर्जी शिकायतों पर समय नष्ट होने से बचा, तो चुनाव मशीनरी भी प्रसन्न।
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