भाजपा ने जहां तीन सीटों पर कब्जा बरकरार रखते हुए दो सीटें विपक्ष से छीन ली, वहीं कांग्रेस की स्थिति जस की तस रही। कर्नाटक की दो और मध्य प्रदेश की एक सीट जीतकर कांग्रेस सुकून की सांस ले सकती है।
भाजपा ने जरूर दिल्ली में आम आदमी पार्टी और राजस्थान में बसपा से एक-एक सीट छीन ली। कांठी दक्षिण सीट पर भाजपा का दूसरे नम्बर आना भी पश्चिम बंगाल में उसके बढ़ते प्रभाव का परिचायक है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर था और उसकी जमानत जब्त हो गई थी।
विधानसभा उपचुनाव में सबसे बड़ा झटका दिल्ली में सत्तारूढ़ आप को लगा। आप विधायक के इस्तीफे से खाली हुई राजौरी गार्डन सीट पर उसके उम्मीदवार की जमानत जब्त होना दिल्ली ही नहीं, देश को भी चौंका गया। सप्ताह भर बाद दिल्ली में नगर निगम चुनाव होने हैं।
आप की करारी हार का असर नगर निगम चुनाव पर पडऩे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। अगले छह महीने में गुजरात व हिमाचल प्रदेश विधानसभाओं के चुनाव होंगे। इन दोनों राज्यों के नतीजे 2019 के लोकसभा चुनाव के संकेत देने का काम करेंगे। और, तमाम दलों को लोकसभा चुनाव की तैयारियों की रणनीति बनाने में भी मददगार होंगे।
देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा के लिए विपक्षी दल एकजुट होंगे? क्या यूपी में सपा और बसपा हाथ मिलाएंगे? क्या प. बंगाल में वामपंथी दल ममता बनर्जी का साथ देंगे?