लोकसभा और विधानसभा चुनावों का विश्लेषण-
चुनावी राजनीति में महिलाओं की बढ़त-
लोकसभा चुनावों में महिलाओं की भागीदारी, प्रतिशत में-
देश की जनसंख्या में करीब आधी हिस्सेदारी, 48.6 प्रतिशत, के बावजूद संसदीय चुनावों में महिला प्रत्याशियों की भागीदारी 10 फीसदी से आगे नहीं बढ़ पाई है। दूसरी ओर यह रोचक तथ्य है कि तमिलनाडु में 2021 के विस चुनाव में डीएमके जीती, जबकि पार्टी ने अपेक्षाकृत काफी कम महिला प्रत्याशियों को टिकट दिए।
जीत की बेहतर संभावना-
लोकसभा चुनावों में महिलाओं की भागीदारी, प्रतिशत में-
आर्थिक उदारवाद के दौर की शुरुआत से हालांकि भागीदारी ४ फीसदी से बढ़कर 9 फीसदी तक पहुंची, लेकिन प्रत्याशियों में प्रतिशतता की तुलना में विजेताओं में महिलाओं की प्रतिशतता अधिक रही। यह महिला प्रत्याशियों में गैर-गंभीर या डमी प्रत्याशियों की कमी को दर्शाता है।
और, ज्यादा निर्णायक जीत भी-
लोकसभा चुनाव में जीत का अंतर, प्रतिद्वंद्वी की तुलना में, प्रतिशत में-
देखा गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की जीत का अंतर औसतन मामूली-सा ज्यादा रहा है। विश्लेषण का एक निष्कर्ष यह भी सामने आया है कि चुनाव लड़ें तो महिलाओं की जीत की संभावना अधिक रही है।
लोस चुनावों में महिला प्रत्याशियों की भागीदारी,प्रतिशत में-
ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की दिशा में आगे रही है। २०१९ के लोस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के कुल प्रत्याशियों में एक तिहाई से अधिक महिलाएं थीं।
विस चुनावों में महिला प्रत्याशियों की भागीदारी,प्रतिशत में-
विस चुनावों में कुछ उदाहरण बताते हैं कि पार्टियों ने और ज्यादा महिला प्रत्याशियों को टिकट देने की ओर रुख किया है। पर 2018 के कर्नाटक विस चुनाव में भाजपा ने महिलाओं की हिस्सेदारी कम की।
(स्रोत: त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा, अशोका यूनिवर्सिटी)
उत्तर प्रदेश राजनीति में महिलाओं का दखल बढ़ा-
विस चुनावों में अधिकांश राज्य एक जैसा रुझान दर्शाते हैं। उत्तर प्रदेश में महिलाओं का राजनीति में दखल बढ़ रहा है, प्रत्याशियों व विजेताओं, दोनों में बढ़त दर्ज की गई।
कर्नाटक कम प्रतिनिधित्व-
कर्नाटक, जहां महिलाओं के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक स्थितियां बेहतर हैं, में चुनावी राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी काफी कम देखी गई है।
तमिलनाडु जीतने की क्षमता में गिरावट-
तमिलनाडु, जहां लंबे समय तक जयललिता मुख्यमंत्री रहीं, में महिलाओं की भागीदारी में सुधार का रुझान इस साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनाव में पलटता हुआ देखा गया।