Patrika Opinion: सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर दिया जाए जोर
Published: Nov 09, 2022 10:23:08 pm
यह बात समझनी होगी कि देश में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना सरकारों का दायित्व है और वे इससे पीछे नहीं हट सकतीं। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद उम्मीद भी की जा सकती है कि सरकारें नागरिकों को सस्ती शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में ठोस कदम उठाएंगी।


सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर दिया जाए जोर
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी प्रासंगिक और गौर करने काबिल है कि शिक्षा लाभ कमाने का जरिया नहीं है। इसलिए ट्यूशन फीस हमेशा कम होनी चाहिए। शीर्ष कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें मेडिकल कॉलेजों में ट्यूशन फीस सात गुना बढ़ा कर 24 लाख रुपए करने के राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया था। कोर्ट की यह टिप्पणी इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि आज देश में शिक्षा का क्षेत्र मुनाफाखोरी का माध्यम बनता जा रहा है। हालत यह है कि भारी-भरकम फीस होने के कारण एमबीबीएस जैसे प्रोफेशनल कोर्स आम नागरिकों के बच्चों की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं। ऐसी हालत में एक बड़ा वर्ग इन क्षेत्रों मे जाने का सपना भी देखने से बचने लगा है।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो शिक्षा परमार्थ का काम होनी चाहिए, वह व्यवसाय बन रही है। निजी क्षेत्र शिक्षा का कारोबार चला रहा है और वह इसके जरिए मोटी कमाई करना चाहता है। हालत यह है कि कुछ शैक्षिक संस्थान तो शेयर मार्केट में भी प्रवेश कर रहे हैं। यह स्वाभाविक है कि ऐसे संस्थानों के शेयरों में जो पैसा लगाएगा, वह ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाने की इच्छा रखेगा। इसलिए विद्यार्थियों से फीस और दूसरी मदों में ज्यादा पैसा लिया जाएगा। वर्तमान में शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय निजी क्षेत्र की स्थिति को देखकर कहीं नहीं लगता है कि उनके नजरिए में बदलाव आएगा। सुप्रीम कोर्ट का आदेश या टिप्पणी को भविष्य के लिए नजीर माना जाता है। ऐसे में सवाल है कि क्या केंद्र और राज्य की सरकारें सुप्रीम कोर्ट की ताजा टिप्पणी के बाद सस्ती शिक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगी?ï क्या वह फीस के मामले को लेकर निजी क्षेत्र के शैक्षिक संस्थानों पर लगाम कस पाएगी? सरकारों को यह नहीं भूलना चाहिए कि शिक्षा नागरिकों का बुनियादी अधिकार है। अगर देश में शिक्षा सस्ती उपलब्ध नहीं होगी, तो आम नागरिकों के बच्चे कैसे शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे?
यह बात समझनी होगी कि देश में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना सरकारों का दायित्व है और वे इससे पीछे नहीं हट सकतीं। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद उम्मीद भी की जा सकती है कि सरकारें नागरिकों को सस्ती शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में ठोस कदम उठाएंगी। ऐसा होना समय की मांग भी है, क्योंकि आज जिस तरह से शिक्षा महंगी होती जा रही है, उसमें प्रत्येक नागरिक यही उम्मीद करता है कि उनके बच्चों को सस्ती शिक्षा मिले। हर हालत में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए। शिक्षा के नाम पर पैसा बनाने की प्रवृत्ति पर चोट आवश्यक है।