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भागीदारी से ही संभव पर्यावरण संरक्षण

locationनई दिल्लीPublished: Jul 15, 2021 08:16:41 am

विकासशील देशों के मुकाबले विकसित देशों में वायु प्रदूषण ज्यादा है। ये प्रति व्यक्ति ज्यादा ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कर रहे हैं।
भारत सहित विकासशील देशों के 53 शहर भी दुनिया में बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। दुनिया भर के वायु प्रदूषण में चीन सबसे आगे है

भागीदारी से ही संभव पर्यावरण संरक्षण

भागीदारी से ही संभव पर्यावरण संरक्षण

वायु प्रदूषण के लिए दुनिया भर के शहरों में 25 सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। इनमें से 23 शहर अकेले चीन में मौजूद हैं। यहां से 52 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैस और जहरीली हवाओं का उत्सर्जन हो रहा है। बाकी के दो शहर मास्को और टोक्यो हैं, जहां से सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण हो रहा है। विकासशील देशों के मुकाबले विकसित देशों में वायु प्रदूषण ज्यादा है। ये प्रति व्यक्ति ज्यादा ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कर रहे हैं। ये शहर न केवल वातावरण के लिए खतरनाक हैं, बल्कि पूरी आबादी के लिए नया संकट पैदा कर रहे हैं।

फ्रंटियर और सस्टेनेबल सिटी जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक भारत सहित विकासशील देशों के 53 शहर भी दुनिया में बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। दुनिया भर के वायु प्रदूषण में चीन सबसे आगे है और अकेले 27.2 प्रतिशत जहरीली हवाओं का उत्सर्जन करता है। दूसरे नंबर पर अमरीका है, जिसकी हिस्सेदारी 14.6 प्रतिशत है। जबकि भारत 6.8 प्रतिशत, रूस 4.7 प्रतिशत और जापान 3.3 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कर रहे हैं। विकास के नाम पर लगातार हो रहे औद्योगिकीकरण के चलते वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। कोविड से हुए लॉकडाउन में वायु प्रदूषण का स्तर काफी हद तक कम हुआ था और उसका असर यह हुआ कि हमारे आसपास का वातावरण काफी साफ हुआ। दृश्यता तेजी के साथ बढ़ी। हवा में कार्बन के स्तर में सुधार आया। लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद हालात वापस वैसे ही हो गए हैं, जैसे पहले थे। यानी हमने इससे कोई सबक सीखने का प्रयास नहीं किया।

दूसरी तरफ सरकारों के स्तर पर भी पर्यावरण में सुधार के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं दिखे। विकास की अंधी दौड़ में सबसे ज्यादा नुकसान पर्यावरण को ही हुआ है। हमने यह मान लिया है कि विकास ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। लेकिन, पर्यावरण को ताक पर रख कर किसी भी तरह के विकास को इजाजत नहीं दी जा सकती है। इसके लिए दुनियाभर को एकजुट होकर अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है।

यह वक्त संभलने का है। एक बार फिर सोचने का है कि आखिर हम कैसे जहरीली हवाओं पर लगाम लगाएं। देशों से ज्यादा नागरिकों को इसके लिए गंभीर होना होगा। पर्यावरण के प्रति सजगता दिखानी होगी और जंगलों की वैध और अवैध, दोनों ही कटाई पर निगाहें ही नहीं रखनी होंगी बल्कि उसे रोकना भी होगा। शहरों और गांवों में पर्यावरण सुधार के लिए पौधरोपण को भी प्राथमिकता के आधार पर अभियान बनाना होगा। इसमें लोगों की भागीदारी के साथ जरूरत को भी समझना होगा और जागरूकता लानी होगी, तभी हम पर्यावरण को बचा पाएंगे।

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