दीर्घकालिक स्थायी मूल्य उत्पन्न करने के लक्ष्य पर केन्द्रित, व्यवसाय में समावेशिता एक रणनीति या एक मॉडल को दर्शाती है जो निम्न आय वाले समुदायों को व्यवसाय की मूल्य शृंखला (आपूर्ति या मांग) में एकीकृत करके सम्मिलित करती है। इस तरह रणनीतिक क्षमता और स्थानीय संवेदनशीलता को मिश्रित करने से संस्था को लाभ पहुंचता है और समान विशेषाधिकार से वंचित वर्गों को महत्व मिलता है। इससे राजस्व में लाभ के अलावा, व्यवसाय नए बाजारों तक पहुंच प्राप्त करते हैं, आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करते हैं और सकारात्मक सामाजिक ‘ब्रांड’ स्थापित करते हैं।
समावेशी व्यापार रणनीतियां महत्वाकांक्षी और जिम्मेदार व्यवसायों के लिए परोपकार और लाभ के बीच संतुलन बनाने के लिए नए मूल्य प्रदान करती हैं, लेकिन इसके लिए निर्णय निर्माताओं के बीच विशेषज्ञता और नवीनता का एक अनूठा मिश्रण आवश्यक है। दूसरी बड़ी चुनौती सीमांत समुदायों के उपभोक्ताओं की प्राथमिकताओं और अपेक्षाओं को समझना है, साथ ही ये अनुमान लगाना कि आपूर्ति-पक्ष कर्मचारी, निर्माता और उद्यमी के रूप में क्या चाहते है। गरीब समुदायों के बाजार में नियामक ढांचे की कमी भी चिंतनीय है। यहां कानून या नियमों का पालन निम्न स्तर पर होता है और इसलिए आपसी विश्वास स्थापित करने से ही व्यापार आगे बढ़ सकता है। लेकिन सक्षम नेतृत्व, समावेशी रणनीतियों के माध्यम से इन सभी चुनौतियों को मात दे कर लाभ प्राप्त करने में मददगार सिद्ध हो सकता है।