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Patrika Opinion : स्मार्ट सिटी सबको सुहाए, दंश नहीं दे

हर परियोजना के कुछ अच्छे, कुछ खट्टे अनुभव होते हैं, जो परियोजना के आकार लेने की प्रक्रिया के दौरान सामने आते हैं। स्मार्ट सिटी परियोजना में भी बिल्कुल ऐसा ही है। जिस रूप में वह आगे बढ़ रही है, एक बड़े वर्ग के लिए बला साबित हो रही है।

नई दिल्लीOct 16, 2021 / 08:48 am

Patrika Desk

Patrika Opinion : स्मार्ट सिटी सबको सुहाए, दंश नहीं दे

देश में पिछले पांच-सात साल में विकास के जो सोपान निर्धारित किए गए हैं, स्मार्ट सिटी परियोजना उनमें प्रमुख है। 25 जून 2015 को स्मार्ट सिटी परियोजना एक परिकल्पना के तौर पर सामने आई। इसकी पहली सूची में बीस शहर सम्मिलित किए गए। तब से संख्या बढ़कर 100 हो चुकी है। परियोजना पर सभी शहरों में काम चल रहा है, कहीं पूरी क्षमता से तो कहीं कुछ मंद गति के साथ।

हर परियोजना के कुछ अच्छे, कुछ खट्टे अनुभव होते हैं, जो परियोजना के आकार लेने की प्रक्रिया के दौरान सामने आते हैं। स्मार्ट सिटी परियोजना में भी बिल्कुल ऐसा ही है। जिस रूप में वह आगे बढ़ रही है, एक बड़े वर्ग के लिए बला साबित हो रही है। ऐसी बला जो उसकी हाड़-मांस मेहनत की सालों की कमाई को नेस्तनाबूद करने वाली है। यह वर्ग ऐसा है, जो उस क्षेत्र में या तो रहवास करता है या कारोबार करता है, जिस क्षेत्र को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित करने के लिए प्लान में लिया गया है। परियोजना के तहत दो दर्जन से ज्यादा जो काम होने हैं, उनमें एक काम सड़क की चौड़ाई बढ़ाने का है।

सड़क चौड़ी करने के लिए निकाय दायरे में आने वाले निर्माण तोड़ रहे हैं। वैसे देश में नियम है कि शहर, राज्य और देशहित की परियोजनाओं में आमजन के निर्माण और जमीन आंशिक या पूरे लिए जा सकते हैं, लेकिन इसके एवज में उन्हें उस निर्माण या जमीन का मुआवजा देना होता है। स्मार्ट सिटी परियोजना में यह बड़ी विसंगति बना दी गई है, जिसमें मुआवजे का कोई प्रावधान ही नहीं रखा गया है। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में स्मार्ट सिटी का काम जिस तेजी से चल रहा है, उस तेजी से संबद्ध क्षेत्र के लोग अपनी सम्पत्ति खो रहे हैं। चूंकि काम सरकारी स्तर पर हो रहा है, इसलिए उनके पास आवाज उठाने का अवसर भी नहीं है। वे बेबस बने हुए हैं। ऐसी ही स्थिति परियोजना के अन्य शहरों के बाशिंदों की भी होगी। यह उन लोगों के साथ सरासर अन्याय है।

सरकार को इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए। परियोजना की समीक्षा कर उसे न्यायपूर्ण प्रावधान इसमें शामिल करने चाहिए और उन्हें योजना की प्रारंभिक तिथि से लागू करना चाहिए। ऐसा होगा तो ही स्मार्ट सिटी सबको सुहाएगी, अन्यथा अभी तो यह बड़ी संख्या में लोगों के लिए अभिशाप साबित हो रही है। केंद्र को परियोजना के लिए निकायों को उसकी ओर से दिए जाने वाला अनुदान बढ़ाने और इसे बिना विलंब के लगातार उपलब्ध करवाने की भी बहुत जरूरत है, क्योंकि निकायों के पास शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए आवश्यक संसाधन अत्यल्प हैं।

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