मामला चुनाव आयोग और राष्ट्रपति भवन से लेकर अदालत की चौखट तक भी पहुंचा। चुनाव आयोग की सफाई के बावजूद समूचा विपक्ष बैलेट पेपर से चुनाव पर लौटने की वकालत में जुटा है। ऐसे में चुनाव आयोग की पुरानी मांग अमल में लाकर केंद्र सरकार ने टकराव टालने की कोशिश की है। केंद्र ने वोटिंग मशीन में वीवीपीएटी मशीनों को जोडऩे की आयोग की मांग मानते हुए तीन हजार करोड़ रुपए की राशि भी मंजूर की थी।
अब जो खबरें आ रही हैं, लगता है कि वह विपक्ष को संतुष्ट करने में कामयाब होंगी। आयोग के हवाले से खबर है, गुजरात-हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में हर पोलिंग बूथ पर वीवीपीएटी मशीन लग जाएंगी।
ये मशीन पुष्टि करती है कि मतदाता ने जिसे वोट दिया वह उसी प्रत्याशी के नाम ईवीएम में दर्ज हुआ था या नहीं? आयोग की मंशा 2019 के लोकसभा चुनाव तक सभी बूथों पर ऐसी मशीन लगाने की है ताकि किसी भी दल को चुनाव प्रणाली पर अंगुली उठाने का मौका नहीं मिल सके।
चुनाव आयोग ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतों की जांच के लिए राजनीतिक दलों को बुलाने पर भी विचार कर रहा है। ये भी अच्छा कदम है। आरोप लगाने वाले दलों को मशीनों की हर पहलू से जांच करनी चाहिए और गड़बड़ी के अपने आरोपों को साबित करना चाहिए।
आयोग मशीनों की जांच के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञों को भी आमंत्रित करे ताकि सभी आरोपों का समाधान निकल सके।