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चंद छोटे कदम और ऊर्जा संरक्षण में बड़ी कामयाबी

locationजयपुरPublished: Dec 14, 2022 09:00:19 pm

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Patrika Desk

नीति-नवाचार: व्यक्तिगत गतिविधियों के साथ सुदृढ़ नीतिगत प्रयास बढ़ा सकते हैं जोखिमों को सहने की भारत की क्षमता

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ध्रुवक अग्रवाल, प्रोग्राम एसोसिएट
मुस्कान मल्होत्रा, रिसर्च एनालिस्ट
काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू)
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वर्ष 2022 के दौरान दुनिया कोविड महामारी से उबरी तो रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण उथल-पुथल का शिकार हो गई। ईंधन आपूर्ति में बाधा के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले और प्राकृतिक गैस की कीमतें तेजी से बढ़ गईं। इससे पूरी दुनिया में बिजली महंगी हो गई। अधिक फ्यूल सरचार्ज के कारण भारत में भी उपभोक्ताओं को जुलाई से बिजली दरों में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ा। इस समस्या में जब खाद्यान्न आपूर्ति शृंखला में बाधा जुड़ गई तो खुदरा महंगाई में उछाल आ गया। इस साल अक्टूबर में भारत में सामान्य खुदरा मुद्रास्फीति 6.8 प्रतिशत पहुंच गई जो बीते साल अक्टूबर में 4.5 प्रतिशत थी। मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में जिस तरह से ईंधन की कीमतें सभी क्षेत्रों को प्रभावित कर रही हैं, उसमें ईंधन व उससे पैदा होने वाली ऊर्जा का विवेकपूर्ण उपयोग आज की सर्वोच्च प्राथमिकता बन गया है। इसके लिए राष्ट्रीय नीतियों के साथ-साथ देश का हर नागरिक केंद्र सरकार के मिशन ‘लाइफस्टाइल फॉर इनवायरनमेंट’ (मिशन लाइफ) का हिस्सा बनकर अपना योगदान कर सकता है।
इस साल भारत ने ऊर्जा संरक्षण की दिशा में कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 में अब तक के पहले संशोधन को लोकसभा मानसून सत्र में और राज्य सभा मौजूदा शीतकालीन सत्र में पारित कर चुकी है। इसके प्रभावी होने पर ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) में आवास एवं शहरी मामलों और सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग जैसे प्रासंगिक मंत्रालय शामिल हो जाएंगे। इससे बीईई में ऊर्जा की बहुत ज्यादा खपत करने वाले क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व बढ़ जाएगा। इतना ही नहीं, बीईई बड़ी आवासीय इमारतों के लिए भी ऊर्जा खपत और स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग संबंधित मानदंडों के निर्धारण में सक्षम बन जाएगा, क्योंकि उसका अधिकार क्षेत्र अभी तक सिर्फ व्यावसायिक इमारतों तक ही सीमित है। इसके अलावा, सीलिंग फैन पर स्टार लेबलिंग को भी अनिवार्य बना दिया गया है, जो लगभग एक दशक से स्वैच्छिक था। इससे उपभोक्ताओं को अगले साल से पंखे खरीदते समय उसकी बिजली खपत या ऊर्जा कुशलता की जानकारी मिल सकेगी। काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के अनुमान के अनुसार, अगर सभी भारतीय घरों में सिर्फ 5-स्टार वाले सीलिंग फैन का उपयोग होने लगे तो भारत 2018 में कुल घरेलू बिजली खपत के 15 प्रतिशत के बराबर बिजली की बचत कर सकता है। ऊर्जा संरक्षण के ऐसे लाभ प्राप्त करने के लिए स्टार लेबलिंग को अनिवार्य बनाना महत्त्वपूर्ण है।
निश्चित तौर पर, सरकार के ये कदम ऊर्जा संरक्षण की दिशा में एक मजबूत नीतिगत इच्छाशक्ति का संकेत देते हैं। पर इस दिशा में भारतीय उपभोक्ता भी बहुत कुछ कर सकते हैं। अक्टूबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन लाइफ की शुरुआत की, जिसका मूल विचार यही है। यह उपभोक्ताओं को ऊर्जा खपत समेत सभी क्षेत्रों में पर्यावरण अनुकूल व्यवहार को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
व्यक्तिगत स्तर पर, पर्यावरण अनुकूल व्यवहार का मतलब है कि हम जितनी भी वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं, चाहे कोई उपकरण हो या पूरा घर, उनके ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा कुशल विकल्पों की मांग करना। जैसे सबसे कुशल सीलिंग फैन का उपयोग करने से नियमित पंखों की तुलना में बिजली खपत आधी हो सकती है, ऊर्जा-कुशल इमारतें अंदर के तापमान को प्राकृतिक तौर पर कम रखने के साथ-साथ प्राकृतिक प्रकाश के उपयोग को बढ़ाते हुए बिजली की खपत को 25-50 प्रतिशत तक घटाने में मदद कर सकती हैं। पर ऐसे विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए उपभोक्ता मांग बहुत महत्त्वपूर्ण है।
मिशन लाइफ में योगदान करने का एक और तरीका है द्ग उपकरणों के इस्तेमाल की आदतें बदलना। उदाहरण के लिए, यदि पंखे के साथ एयर कंडिशनर (एसी) को 24 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक तापमान पर चलाया जाए तो बिजली की काफी बचत हो सकती है। इसके अलावा अधिक बिजली खपत वाले उपकरणों की नियमित सर्विस से भी बिजली खपत घटाने में मदद मिलती है। रूफटॉप सोलर सिस्टम (व्यक्तिगत या सामुदायिक) अपना कर भी बिजली बिल और जीवाश्म ईंधन आधारित पॉवर प्लांट से जुड़े उत्सर्जन दोनों को घटाने में मदद मिल सकती है।
सामुदायिक स्तर पर, हरियाली वाली जगहों और स्थानीय जल स्रोतों की मरम्मत व देखभाल जैसे प्रयास आसपास के क्षेत्रों को अपेक्षाकृत ठंडा रखने में मदद कर सकते हैं। शहरी क्षेत्रों में छतों पर सौर ऊर्जा को परावर्तित (रिफलेक्ट) करने वाले पेंट की कोटिंग प्रभावी रहती है। एक किलोमीटर से कम दूरी के लिए पैदल चलने और कार पूलिंग जैसे प्रयास भी ऊर्जा संरक्षण में मदद कर सकते हैं। ऊर्जा कुशलता उन व्यवसायों और उद्योगों के लिए तो और भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण है जो ईंधन की महंगाई और बिजली की ऊंची कीमत से प्रभावित हैं। ऐसे प्रतिष्ठान एनर्जी ऑडिट से एनर्जी लीकेज रोक सकते हैं। इसके अलावा कोयले या गैस की जगह विद्युत-चालित प्रौद्योगिकियां, ज्यादा ऊर्जा कुशल कूलिंग सिस्टम और इलेक्ट्रिक वाहन अपना सकते हैं। उदाहरण के लिए, इन्फोसिस ने 2008 के बाद से भारत में 250 लाख वर्ग फीट में फैले अपने 12 परिसरों में लाइटिंग, एयर कंडीशनिंग और यूपीएस सिस्टम की ऊर्जा दक्षता बढ़ाकर 33 मेगावाट लोड घटाया है। दूसरी बड़ी कंपनियों को भी ऐसे उदाहरण पेश करने चाहिए।
हमारे छोटे से छोटे कदम ऊर्जा संरक्षण के प्रयास को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण हैं। मिशन लाइफ का एक लक्ष्य ‘वन बिलियन प्रो-प्लैनेट’ लोगों का नेटवर्क बनाना है, जिसे पाने के लिए हम सभी एकजुट हो सकते हैं। व्यक्तिगत स्तर की गतिविधियों के साथ सुदृढ़ नीतिगत प्रयास भविष्य में कीमत के झटकों और जलवायु परिवर्तन के जोखिमों को सहने की भारत की क्षमता (लचीलेपन) बढ़ा सकते हैं।
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