सेना पर एफआईआर: मनोबल कमजोर करने वाला कदम
सेना ने बाढ़ में डूबने वाले पत्थरबाजों और अलगाववादियों की जान बचाई है। कश्मीरियों के लिए स्किल ट्रेनिंग स्कूल चलाए हैं।

- कौशल मिश्रा, रक्षा मामलों के जानकार
कश्मीर में पत्थरबाजी के चलते सेना के जवानों और अधिकारियों के घायल होने की घटनाएं बढ़ती जा रही है। आत्मरक्षा में सेना गोली चला दे तो यह राजनीतिक मुद्दा बन जाता है। पिछले दिनों शोपियां में ऐसी ही एक घटना के लिए राज्य सरकार ने सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी। सवाल यह है कि क्या सुरक्षा बलों को आत्मरक्षा का अधिकार नहीं है? आश्चर्य की बात तो यह है कि देश के नेताओं ने इस गंभीर घटना पर कोई प्रतिक्रिया ही व्यक्त नहीं की। रक्षा मंत्री ने भी मौन साध रखा है।
यह किसी से छिपा नहीं है कि अलगाववादी तत्व और नेता पत्थरबाजों को उकसा कर सेना के खिलाफ आतंकियों को संरक्षण देते रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के पत्रकार और स्थानीय नेता सेना को बलात्कारी और अत्याचारी बताते हैं। लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि इसी सेना ने बाढ़ में डूबने वाले पत्थरबाजों और अलगाववादियों की जान बचाई है। कश्मीरियों के लिए स्किल ट्रेनिंग स्कूल चलाए हैं। पढ़ाई में सेना की मदद से नौ बच्चों का आईआईटी में चयन हुआ है।
कश्मीर में जवानों पर कितना तनाव है, यह समझना अत्यंत आवश्यक है। इन सभी के बीच कर्तव्य से हटे बिना सैनिक देश की सेवा कर रहा है। हमें समझना चाहिए कि सुरक्षा बलों का मनोबल गिरा कर हम देश और अपना ही नुकसान करेंगे। क्यों हम अलगाववादियों, पत्थरबाजों और उन्हें शह देने वाले राजनेताओं को पनाह दे रहे हैं। यह चौंकाने वाली बात है कि गुनाह साबित हो जाने के बाद भी प्रमुख अलगाववादियों पर शिकंजा कसा नहीं गया।
सरकार को समय रहते समझना चाहिए कि सैनिकों, उनके परिवारजनों और देश के नागरिकों में इस घटना को लेकर रोष है। सेना के खिलाफ दर्ज एफआईआर को तुरंत वापस लिया जाए। देश के रक्षा मंत्री यह साफ करें कि सेना का रास्ता रोकने, आतंकियों को पनाह देने, पत्थर वर्षा करने, देश विरोधी नारे लगाने पर, देशद्रोही अगर गोलियों का सामना करे तो कोई भी उनकी रक्षा नहीं कर पाएगा।
Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें (Hindi News App) Get all latest Opinion News in Hindi from Politics, Crime, Entertainment, Sports, Technology, Education, Health, Astrology and more News in Hindi